उन्होंने ग्रामीणों को जागरूक करते हुए कहा कि किसान फसल के अवशेषों को खेत में जोतकर भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ा सकते हैं। बासमती धान की पराली को पशु चारा के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।
कार्यक्रम में डॉ. आनंद ने बताया कि किसानों को प्रति वर्ष फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत व्यक्तिगत कृषि यंत्र पर 50 प्रतिशत व किसान समूह को 80 प्रतिशत तक अनुदान सरकार द्वारा मुहैया करवाया जा रहा है।
इस दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी रणजीत सिंह संधू ने बताया कि फसल अवशेष जलाने पर सरकार की हिदायत के अनुसार किसान का चालान व एफआईआर भी का जी सकती है। मौके पर जिला के कृषि उपनिदेशक ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से जो सीओटू गैस उत्सर्जित होती है वह सूर्य की किरणों से होने वाली गर्मी को जकड़ लेती है।
इस मौके पर गांव के सरपंच देवेंद्र गोयल, सरपंच फज्जुपुर, ब्रजभान भाटी, शाहजानपुर, नाहर सिंह, साहुपुरा से सरपंच ताराचंद ने भी हिस्सा लिया।
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