इस अवसर पर नरेश दिवाकर, रमेश श्रीवास्तव, नानक चंद, विशन चौहान, गौरी शंकर, चौधरी करन जीत, अनिल कन्नौजिया, सुजान, अंकित, काले, छत्रपाल दिवाकर, मनोज दिवाकर, दिलीप, देविन्द्र खत्री, प्रेम पंवार, अमित दोषी एडवोकेट मौजूद थे.
संत गाडगे जी महाराज के बारे में बताते हुए चौधरी करनजीत ने कहा की संत गाडगे जी बाबा भीम राव अंबेडकर के वैचारिक गुरु थे, अंबेडकर जी उनसे हर मुद्दे पर सलाह मशवरा करते थे, जब उनका मन मुस्लिम धर्म अपनाने का हुआ तो संत गाडगे जी ने उनको समझाया जिसके बाद उन्होने बौद्ध धर्म अपनाया। यही नहीं अंबेडकर से उन्हें इतना प्रेम था कि अंबेडकर की मृत्यु के बाद उन्होंने भी 12 दिन में अपना शरीर त्याग दिया।
इस मौके पर धोबी समाज के लोगों ने सरकार पर उनकी बिरादरी की उपेक्षा करने के भी आरोप लगाए। लोगों ने कहा कि सरकार ना तो उन्हें आरक्षण का लाभ देती है और ना ही उन्हें सत्ता में भागीदारी मिल रही है, यही नहीं सरकार धोबी घाटों पर भी कब्जे कर रही है इसलिए वे जन जागरण आंदोलन करके समाज के लोगों को एकजुट करेंगे और राजनीति में भी आगे आएंगे।
संत गाडगे जी महाराज के बारे में बताते हुए चौधरी करनजीत ने कहा की संत गाडगे जी बाबा भीम राव अंबेडकर के वैचारिक गुरु थे, अंबेडकर जी उनसे हर मुद्दे पर सलाह मशवरा करते थे, जब उनका मन मुस्लिम धर्म अपनाने का हुआ तो संत गाडगे जी ने उनको समझाया जिसके बाद उन्होने बौद्ध धर्म अपनाया। यही नहीं अंबेडकर से उन्हें इतना प्रेम था कि अंबेडकर की मृत्यु के बाद उन्होंने भी 12 दिन में अपना शरीर त्याग दिया।
इस मौके पर धोबी समाज के लोगों ने सरकार पर उनकी बिरादरी की उपेक्षा करने के भी आरोप लगाए। लोगों ने कहा कि सरकार ना तो उन्हें आरक्षण का लाभ देती है और ना ही उन्हें सत्ता में भागीदारी मिल रही है, यही नहीं सरकार धोबी घाटों पर भी कब्जे कर रही है इसलिए वे जन जागरण आंदोलन करके समाज के लोगों को एकजुट करेंगे और राजनीति में भी आगे आएंगे।
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