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वाह भाई, चुनाव में खर्च होते हैं 60-70 लाख, एक ने 3 बार हारकर और रोकर कमा लिए 10-15 करोड़ रुपये

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फरीदाबाद, 19 अक्टूबर: जनता का ह्रदय बहुत दयालू होता है और कुछ लोग इसका खूब फायदा उठाते हैं। विधानसभा चुनाव में खर्च  की लिमिट 25 लाख रुपये है हालाँकि कुछ लोग करोड़ रुपये तक खर्च कर देते हैं। मान लो तीन बार लड़ने में तीन करोड़ रुपये खर्च हुए तो भी दुखी होने की जरूरत नहीं है। 

ऐसे लोगों को थोड़ा सा भावुक होना आना चाहिए। अगर आंसू ना निकलें तो ग्लिसरीन लगाकर आंसू निकाले जा सकते हैं। ऐसा करने पर जनता का मन पिघल जाता है और उसके बाद नोटों की बारिश शुरू हो जाती है। 

फरीदाबाद में एक नेता ने यही तिकड़म अपनाया। एक पार्टी की टिकट ना मिलने पर उसने खुद को पीड़ित बताना शुरू कर दिया। एक दिन मीटिंग बुलाकर पब्लिक के सामने रो रो कर कहने लगा कि मैं तीन बार चुनाव लड़ लिया हूँ, अब मैं बर्बाद हो गया हूँ. मैं मृत्यु की शय्या पर हूँ। 

नेता के मुंह से ऐसी बात सुनते ही जनता का मन पिघल गया, उसके बाद नेता पर जनता ने नोटों की बारिश कर दी, किसी ने एक हजार दिए, किसी ने 10 हजार दिए, किसी ने एक लाख दिए और किसी ने 50 लाख रुपये तक दे दिए। 

चर्चाओं के अनुसार अब तक उस नेता के पास करीब 15 करोड़ रुपये आ चुके हैं और अभी भी नोटों की बारिश हो रही है। हो सकता है कि अगले कुछ दिनों में यह आंकड़ा 20 करोड़ पार हो जाए। 

मतलब जितना रुपये चुनाव जीतने के बाद नहीं कमाया जा एकता उससे भी अधिक चुनाव हारने पर कमाया जा सकता है, बस थोड़ा सा रोने का नाटक करना आना चाहिए। जनता किसी भी आदमी को रोते हुए नहीं देख सकती। अगर कोई दुखी दिखाई देता है तो जनता अपनी जमा पूँजी उसपर लुटा देती है। इस नेता ने बताया कि उसे कई महिलाओं ने अपनी गुल्लक तोड़कर पैसे दिए हैं।

जो चालाक नेता होते हैं वो कई तरह के तिकड़म अपनाते हैं, वे पहले अपने ही आदमियों से सबसे सामने लाखों रुपये दिलवाते हैं, उसके बाद जब लोग सोचते हैं कि चलो हम भी कुछ मदद कर देते हैं, उसके बाद नोटों की बारिश का सिलसिला शुरू हो जाता है, जनता को पता ही नहीं होता कि वो चालाकी का शिकार हुए हैं और उस नेता की कोठी नोटों से भर रहे हैं। 
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