फरीदाबाद: DCP विक्रम कपूर आत्महत्या केस में मुख्य आरोपी इंस्पेक्टर अब्दुल शाहिद को नीमका जेल भेज दिया गया है, कल क्राइम ब्रांच ने उन्हें चार दिन की रिमांड के बाद कोर्ट में पेश किया जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया.
इस मामले में मीडिया से बातचीत करके हुए डिफेंस लॉयर सत्येन्द्र भडाना ने कहा कि हमारे मुवक्किल को टॉर्चर किया गया है, उनका मेडिकल भी नहीं कराया गया, हमने कोर्ट से उनका मेडिकल कराने की मांग की है, उन्होंने यह भी कहा कि यह हनीट्रैप का मामला हो सकता है और इसीलिए बदनामी के डर से DCP विक्रम कपूर ने आत्महत्या की होगी, उन्होंने इसके लिए अखबारों की ख़बरों का रेफरेंस दिया.
इस मामले में पीपी की तरफ से मीडिया से बात करते हुए वकील एल एन पाराशर ने बताया कि यह हनी ट्रैप का मामला नहीं है, आरोपी से पूछताछ कर ली गयी है. उसे कोर्ट में भेज दिया गया है, आरोपी का मेडिकल कराया गया है, जाँच में पूरी बात सामने आ जाएगी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत भी कार्यवाही की जा रही है और इसकी जांच फरीदाबाद का पूर्व कमिश्नर और IG अमिताभ सिंह ढिल्लो को सौंपी गयी है. उनकी निगरानी में एक SIT का गठन किया गया है.
ऐसा आरोप है कि इंस्पेक्टर अब्दुल शाहिद के पास आय से अधिक संपत्ति है, इस बात की जांच की जाएगी कि उनके पास अकूत संपत्ति कहाँ से आयी. SIT की जांच में इस मामले से जुड़े अन्य राज भी सामने आ सकते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले में पुलिस ने इस बात का खुलासा किया है कि इंस्पेक्टर अब्दुल शाहिद DCP विक्रम कपूर को अपनी महिला मित्र के जरिये झूठा आरोप लगाकर बदनाम करने की धमकी देता था. सवाल ये उठ रहा है कि अगर आरोप झूठे थे तो उसके लिए DCP साहब को आत्महत्या करने की जरूरत क्यों पड़ी, DCP एक प्रेस कांफ्रेंस करके या पुलिस में रिपोर्ट करके या खुद से एक्शन लेकर ब्लैकमेलरों को सबक सिखा सकते थे. अब इस मामले में असली सच का पूरा देश इन्तजार कर रहा है जो SIT जांच में ही सामने आ सकता है.
इस मामले में अभी सह-आरोपी पत्रकार सतीश मालिक और इंस्पेक्टर अब्दुल शाहिद की महिला मित्र की गिरफ्तारी बकाया है. दोनों की गिरफ्तारी के बाद भी कई राज खुल सकते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले में पुलिस ने इस बात का खुलासा किया है कि इंस्पेक्टर अब्दुल शाहिद DCP विक्रम कपूर को अपनी महिला मित्र के जरिये झूठा आरोप लगाकर बदनाम करने की धमकी देता था. सवाल ये उठ रहा है कि अगर आरोप झूठे थे तो उसके लिए DCP साहब को आत्महत्या करने की जरूरत क्यों पड़ी, DCP एक प्रेस कांफ्रेंस करके या पुलिस में रिपोर्ट करके या खुद से एक्शन लेकर ब्लैकमेलरों को सबक सिखा सकते थे. अब इस मामले में असली सच का पूरा देश इन्तजार कर रहा है जो SIT जांच में ही सामने आ सकता है.
इस मामले में अभी सह-आरोपी पत्रकार सतीश मालिक और इंस्पेक्टर अब्दुल शाहिद की महिला मित्र की गिरफ्तारी बकाया है. दोनों की गिरफ्तारी के बाद भी कई राज खुल सकते हैं.
Amitaabh dhillo shahb doodh ka doodh or pani ka pani hi krke dm lenge in jaise officer bahut hi km h
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