पलवल, 21 जुलाई: अनाथ बच्चों के उत्थान एवं कल्याण को समर्पित संस्था ‘आंचल-छाया’ में पली-बढ़ी 18 वर्षीया अनाथ छात्रा कंचन अपने परिश्रम व कुशल मार्गदर्शन से भगत फूल सिंह महिला विश्व विद्यालय, खानपुर कलां (सोनीपत) में 05 वर्षीय विधि स्नातक (एल.एल.बी.) डिग्री कोर्स में प्रवेश प्राप्त करने में सफल हुई है। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण, पलवल की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से कंचन को उच्च शिक्षा (विधि स्नातक) का मार्ग प्रशस्त हुआ।
मात्र 04 वर्ष की बालिका कंचन वर्ष 2004 में अनाथ बच्चों के उत्थान एवं कल्याण को समर्पित पलवल जिला के बघौला गांव स्थित संस्था ‘आंचल-छाया वात्सल्य मंदिर’ में आई थी। ‘आंचल-छाया’ के अध्यक्ष आनन्द भिक्षु (कैलाशनाथ शुक्ल) के पिता तुल्य लाड-दुलार व स्नेह में पली-पढ़ी होनहार कंचन ने बी.के. वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, पलवल से 12वीं कक्षा उत्र्तीण की। कंचन कहती है ‘‘पिता स्वरूप बाबा (आनन्द भिक्षु) उनके लिए सब कुछ कर रहें हैं’’। मां संतोष जी (‘आंचल-छाया’ की उपाध्यक्ष)से कंचन को माता का स्नेह मिला है। ‘आंचल-छाया’ में रह रहे सभी बच्चे कंचन के लिए उच्च शिक्षा का मार्ग प्रशस्त होने पर प्रफुल्लित हैं। ‘आंचल-छाया’ की विधि स्नातक की शिक्षा के लिए प्रवेश प्राप्त करने में सफल होने वाली कंचन प्रथम छात्रा है।
उल्लेखनीय है कि ‘आंचल-छाया’ में पल-बढ़ रहे बच्चों के उत्थान एवं कल्याण के लिए जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण, पलवल द्वारा उल्लेखनीय प्रयास किए जा रहे हैं। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के अच्छे प्रयासों से ‘आंचल-छाया’ के 19 अनाथ बच्चों को रामानुजन दिव्यांग पुनर्वास एवं कौशल विकास केन्द्र, मितरोल (पलवल) में लघु समयावधि के रोजगार परक प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। इसी क्रम में ‘आंचल-छाया’ की कंचन को उच्च शिक्षा (विधि स्नातक) के लिए मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की सचिव मोना सिंह ने प्रेरित भी किया और प्रवेश प्राप्त करने में कुशल मार्गदर्शन व हर सम्भव सहयोग भी दिया।
मोना सिंह का कहना है कि ‘आंचल-छाया’ की कंचन एक होनाहार छात्रा है। हमने तो प्राधिकरण के माध्यम से बस अपने कर्त्तव्य के निर्वहन के लिए प्रयास मात्र ही किया है, सब कंचन के परिश्रम व ‘आंचल-छाया’ के अध्यक्ष व उपाध्यक्षा के पालन-पोषण का परिणाम है।
जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण, पलवल का प्रयास होगा कि होनाहर कंचन को विधि स्नातक के पाठ्यक्रम को पूर्ण करने के लिए शुल्क, छात्रावास शुल्क व अन्य आवश्यकताओं के लिए पैसे का स्थाई प्रबन्ध कर सके। कंचन के प्रवेश शुल्क के लिए जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण, नूंह के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी नरेन्द्र सिंह के प्रयासों से प्रबन्ध हो सका है। नूंह के अधिवक्ता प्रवीण कौशिक ने कंचन का प्रवेश शुल्क दिया है। बाल संरक्षण अधिकारी सुरेखा डागर कहती हैं ‘‘आंचल-छाया की अनाथ कंचन (छात्रा) का एल.एल.बी. में प्रवेश होना वास्तव में ही बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ को चरितार्थ करता है।’’
उल्लेखनीय है कि आंचल-छाया शैक्षणिक एवं पुर्नवास सोसायटी द्वारा पलवल जिला के बघौला गांव में संचालित ‘आंचल-छाया वात्सल्य मंदिर’ में 06 वर्ष से 18 वर्ष आयु तक के 43 बच्चे रह रहे हैं। कंचन का विधि स्नातक डिग्री कोर्स में प्रवेश होने पर ‘आंचल-छाया’ के बच्चे प्रफुल्लित हैं। कंचन कहती है 'एल एल बी की पढ़ाई करके वह वकील बनना चाहती है और दूसरों की सहायता करना चाहती है'। कंचन कहती है ‘‘ छाया-आंचल के बच्चे खुश भी हैं और अब पढ़ाई के लिए मेरे उनसे दूर जाने पर वे थोड़े उदास से भी हैं’’।
कंचन की इस सफलता पर गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर की कविता को उद्धरित करते हुए ‘आंचल-छाया’ के अध्यक्ष आनन्द भिक्षु कहते हैं ‘‘आंचल-छाया में मासूम बच्चों की परवरिश इस आशा और विश्वास से की जाती है कि चमन के ये सेवित पुष्प मानव निर्मित सभी सीमाओं को पार करते हुए अपनी मोहक सुगंध बिखेरेंगे, इसी उम्मीद के साथ कि छाया-आंचल के बच्चे भी शिक्ष प्राप्त कर राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल हो जाएं।’’ आंचल-छाया की उपाध्यक्षा मां संतोष जी कंचन की सफलता पर अत्यंत खुश हैं और कहती हैं ‘‘अनाथ बच्चे भी समाज का अभिन्न अंग हैं, हम सभी इन्हें अपने बालक समझकर इनका पालन-पोषण करें व इनकी शिक्षा का प्रबन्ध करें तो अनाथालयों की स्थापना की आवश्यकता ही न पड़े।
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