फरीदाबाद, 18 अक्टूबर: फरीदाबाद सेक्टर 12 में करोड़ों रुपये में आलीशान इमारत बनी है जिसे लेबर कोर्ट भी कहते हैं, जब ये इमारत बनी थी तो लोग बहुत खुश हुए थे, सरकार ने भी ढोल पीटकर कहा था कि अब मजदूरों को जल्द न्याय मिला करेगा और कम्पनियाँ मजदूरों का शोषण नहीं कर पाएंगी। मजदूर भी बहुत खुश हुए थे कि अब बड़े बड़े अधिकारी उनसे चंद कदम की दूरी पर होंगे और वह उनसे शिकायत करके न्याय ले सकेंगे।
सरकार ने जो दावे किये थे लेबर कोर्ट के अधिकारियों और कर्मचारियों ने उसे खोखला साबित कर दिया, जिन्हें मजदूरों को न्याय देने के लिए कुर्सी पर बिठाया गया है वे कंपनियों के दलाल बन बैठे और उनसे सेटिंग करके मजदूरों को सिर्फ तारीख पर तारीख देते हैं, मजदूर इतना परेशान हो जाते हैं कि कई बार दौड़ने के बाद थक हार कर बैठ जाते हैं और सैलरी, बोनस आदि मिलने की उम्मीद छोड़ देते हैं.
लॉकडाउन के दौरान लेबर विभाग की पोल खुल गयी, लॉकडाउन के दौरान कई कंपनियों ने मजदूरों को बिना नोटिस दिए, बिना सैलरी और बोनस दिए निकाल दिया। सैलरी और बोनस ही मजदूरों का सहारा था, पैसे ना मिलने पर कई मजदूर तो फरीदबाद छोड़कर भाग गए, जिनके पास कुछ पैसे बचे थे उन्होंने छोटा-मोटा वकील हायर करके लेबर कोर्ट में केस डाल दिया।
नियम के मुताबिक़ तो लेबर कोर्ट को मजदूरों का हक़ दिलवाना था लेकिन ये लोग कंपनी वालों ने मिलकर मजदूरों को परेशान करने लगे, उन्हें तारीख पर तारीख देकर दौड़ाने लगे, बार बार वकील तारीख़ पर आएगा तो पैसे भी लेगा, लेबर कोर्ट वाले जानते थे कि मजदूर वकील को कितना पैसे देंगे, आखिरकार तो ये लोग खुद ही चुप होकर बैठ जाएंगे, लेबर वालों का प्लान कामयाब हुआ, हजारों मजदूर चुप होकर बैठ गए, उन्होंने न्याय की उम्मीद छोड़ दी.
लेबर विभाग वालों ने ऊपरी कमाई के लिए मजदूरों के साथ धोखा किया लेकिन उनकी करतूतों से राज्य सरकार की छवि खराब हुई, मजदूरों का राज्य सरकार से भरोसा उठ गया, अब सरकार पर इसपर ध्यान गया है.
हरियाणा के राज्यपाल ने फरीदाबाद की डिप्टी लेबर कमिश्नर सुधा चौधरी को सस्पेंड कर दिया है और उनके गुरुग्राम हेडक्वार्टर छोड़ने पर रोक लगा दी है.
आदेश में कहा गया है कि सुधा चौधरी का हेडक्वार्टर, एडिशनल लेबर कमिश्नर ऑफिस, गुरुग्राम फिक्स किया जाता है और वह बिना आज्ञा के हेडक्वार्टर नहीं छोड़ेंगी, उन्हें नियम के मुताबिक़ भत्ता मिलेगा।
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