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फरीदाबाद की जनता ही बदल सकती है फरीदाबाद का बिगड़ता माहौल, चाभी जनता के ही हाथों में, पढ़ें कैसे

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फरीदाबाद: जनता शायद भूल जाती है कि सत्ता की मालिक जनता ही होती है, जनता चाहे तो सत्ता बदल सकती है और जनता चाहे तो सत्ता दोहरा सकती है. जनता चाहे तो किसी को विधायक सांसद बना सकती है और जनता चाहे तो विधायक-सांसद की कुर्सी छीन सकती है. 

फरीदाबाद देश का सबसे शांत और भाईचारे वाला शहर माना जाता था लेकिन पिछले एक दो वर्षों से इसे किसी की नजर लग गयी है. यहाँ पर भ्रष्टाचार और अपराध का बोलबाला है. पिछले दो तीन महीनों से दहशत का माहौल है, रोजाना मर्डर, लूट, रेप, गैंगरेप, फिरौती आदि की घटनाएं सामने आ रही हैं. विकास के पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे हैं, स्मार्ट सिटी के पैसे पता नहीं कहाँ गायब हो रहे हैं, सीवर सिस्टम की बदहाली और गन्दगी से पूरा शहर परेशान है.

बिगड़े हुए माहौल से सबसे अधिक नुकसान जनता का ही है, बढ़ते अपराध से व्यापारियों में दर पैदा होता है जिसकी वजह से निवेश प्रभावित होता है, नौकरियों का संकट आता है, असुरक्षा का माहौल पैदा होता है.

फरीदाबाद के बिगड़े हुए माहौल को सिर्फ जनता ही बदल सकती है, बढ़ते अपराध और भ्रष्टाचार के लिए काफी हद तक नेता लोग जिम्मेदार होते हैं क्योंकि शासन और प्रशासन इनके हाथों में ही होता है, जब नेता भ्रष्ट होता है तो प्रशासन उसके हाथों में नहीं होता, लेकिन जब नेता ईमानदार होता है तो प्रशासनिक अधिकारी नेताओं की बात मानते हैं.  

जनता की जिम्मेदारी है कि इमानदार, पढ़े लिखे, युवा और मेहनती लोगों को अपना नेता बनाएं. अगर जनता ऐसा करने लगेगी तो नेताओं में अच्छा काम करने का दबाव पैदा होगा, भ्रष्टाचार से दूर भागेंगे और पुलिस प्रशासन भी नेताओं का कहना मानेगी.

कई बार पढ़े लिखे नेता भी बेईमान और घमंडी निकल जाते है तो जनता को चाहिए कि अगली बार उसकी भी बदली कर दें, जो नेता अच्छा काम ना करे, जनता को उसकी बदली कर देनी चाहिए. मतलब अगर ट्रैफिक नियम का पालन ना करने पर पुलिस आपका चालान काट सकती है तो अच्छा काम ना करने वाले नेताओं का आप भी चालान काट दीजिये और उसे उसके घर पर बिठा दीजिये. 

अगर जनता समझदारी से काम करेगी तो आने वाले दिनों में माहौल बदल जाएगा, अपराध अपने आप कम होने लगेगा. अगर जनता नेताओं को सजा देना सीख जाएगी तो जनता के अन्दर उबल रहा गुस्सा भी कम होगा, अगर जनता का गुस्सा कम हो जाएगा, यानी जनता अपने गुस्से पर कण्ट्रोल करना सीख जाएगी तो दुर्घटनावश होने वाले अपराधों में भी कमी आएगी.

अपराध दो तरह से होते हैं, योजनाबद्ध अपराध जैसे लूट, मर्डर, फिरौती, चोरी आदि.. और दुर्घटनावश या रंजिशन अपराध जैसे लड़ाई झगडा, बहसबाजी, इगो प्रॉब्लम आदि. ऐसे अपराधों में भी कई बार मर्डर हो जाते हैं जिसकी वजह से आरोपियों की जिंदगी जेल में सड़ती है, अगर लोग गुस्से पर काबू करना सीख जाएंगे तो ऐसे अपराध में कमी आएगी और पुलिस-प्रशासन, कोर्ट का समय बचेगा.

यह आर्टिकल सिर्फ जनहित में लिखा गया है. जनता में जागरूकता फैलाने के लिए लिखा गया है. अगर जनता समझदार बन गयी तो माहौल बदल जाएगा. आर्टिकल लिखने का यह भी उद्देश्य नहीं है कि एक पार्टी की सरकार बदलकर दूसरी पार्टी की सरकार बना दी जाय, जनता को पार्टी देखनी ही नहीं चाहिए, अगर जनता भ्रष्ट विधायकों को सबक सिखाने का मन बना ले तो पार्टियाँ खुद ही इनके टिकट काट देती हैं क्योंकि राजनीतिक पार्टियाँ जनता का मूंड देखकर ही टिकट का फैसला करती हैं. उदाहरण के लिए दिल्ली MCD चुनावों में भाजपा ने जनता का मूंड देखकर सभी पार्षदों के टिकट काट दिए और जनता ने फिर से भाजपा को वोट दिया.

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