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करण दलाल की चोट पर मरहम लगाने पहुंचे ललित नागर, माँगा लोकसभा के लिए समर्थन, लेकिन..

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फरीदाबाद: करण दलाल को बहुत बड़ी चोट मिली है, यह चोट किसी और ने नहीं बल्कि ललित नागर ने दी है, करण दलाल को लोकसभा टिकट मिलने वाली थी लेकिन ललित नागर ने रॉबर्ट वाड्रा से अपने लिए सिफारिश करवाकर करण दलाल की टिकट कटवा दी और खुद टिकट हासिल कर लिया. करण दलाल काफी नाराज बताए जा रहे हैं. आज ललित नागर उनकी चोट पर मरहम लगाने पहुंचे और उनसे लोकसभा के लिए समर्थन माँगा. ललित नगर एक घंटे तक करण दलाल की कोठी पर रुके. अब देखते हैं कि करण दलाल क्या फैसला लेते हैं. वैसे करण दलाल को मनाना आसान नहीं है क्योंकि वह लोकसभा चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर चुके थे, उनके समर्थक भी उन्हें सांसद बनाने का सपना देख रहे थे, ललित नागर की वजह से सबका सपना टूट गया.

जब कोई योग्य व्यक्ति किसी संस्थान में नौकरी के लिए जाता है और योग्य आदमी का सिलेक्शन हो जाता है तो उसे ख़ुशी होती है लेकिन अचानक उसे पता चलता है कि किसी बड़े आदमी की सिफारिश पर वह नौकरी किसी और को मिल गयी है और उसका नाम काट दिया गया है तो योग्य आदमी को दुःख भी हो जाता है और संस्थान के खिलाफ नफरत हो जाती है, यही नहीं योग्य आदमी को नौकरी पाने वाले से भी नफरत हो जाती है क्योंकि वह अपने लिए सिफारिश करवाकर योग्य आदमी को नौकरी पाने से रोक देता है.

फरीदाबाद से लोकसभा टिकट की दावेदारी में करण दलाल का नाम सबसे ऊपर था. 17 सदस्यों के पैनल ने करण दलाल का ही नाम सेलेक्ट किया था, उस समय भी अवतार भड़ाना का नाम सेलेक्ट नहीं किया गया था, ललित नागर के नाम पर चर्चा की गयी लेकिन 17 सदस्यों ने कहा कि ललित नगर की उतनी लोकप्रियता नहीं है कि वह सीट निकाल सकें. ललित नागर ने कल मीडिया के सामने इस बार में भी झूठ बोला, उन्होंने कहा कि 17 सदस्यीय पैनल में से 16 ने मेरा नाम ही सेलेक्ट किया था. करण दलाल का मान सम्मान यहाँ भी नहीं रखा गया.

उस समय करण दलाल का ही नाम तय किया गया था. उनके समर्थक उन्हें टिकट मिलने की खबर पर खुश भी थे लेकिन अचानक करण दलाल और उनके समर्थकों को पता चला कि बीच में रॉबर्ट वाड्रा ने आकर ललित नागर के नाम की सिफारिश कर दी. अब रॉबर्ट वाड्रा की बात काटने की हिम्मत ना तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा में थी और ना ही गुलाम नब़ी आजाद में और ना ही 17 सदस्यीय पैनल में. कल ललित नागर का नाम फाइनल हो गया और करण दलाल और उनके समर्थक देखते रह गए.

कहने का मतलब ये है कि फरीदाबाद में अनुभव और योग्यता पर वाड्रा की सिफारिश भारी पड़ गयी. करण दलाल पांच बार से पलवल के विधायक हैं, उनकी अपनी शख्शियत है. कायदे से अब उनका प्रोमोशन होना चाहिए था और उन्हें सांसद बनाने की कोशिश होनी चाहिए थी लेकिन उन्हें प्रमोशन मिलने के बजाय पहली बार विधायक बने ललित नागर का प्रमोशन करने का फैसला किया गया है हालाँकि उनकी जीत के चांस 0 फ़ीसदी हैं क्योंकि तिगांव छोड़कर उनकी लोकप्रियता कहीं नहीं है.

अब देखते हैं कि करण दलाल क्या कदम उठाते हैं, क्या अपमान का घूँट पीकर वह चुप बैठ जाते हैं या कुछ नया करते हैं, करण दलाल एक स्वाभिमानी आदमी हैं, उनके स्वाभिमान पर चोट पहुंची है. उनके समर्थकों में काफी नाराजगी है, जल्द ही इसका असर देखने को मिल सकता है.

सर्वे में भी ललित पर भारी थे करण दलाल

अधिकतर कांग्रेसी करण दलाल के लिए ही टिकट की मांग कर रहे थे, लोगों की भावनाओं को देखते हुए हमने अपने फेसबुक पेज पर एक सर्वे किया, हमने पाठकों से पूछा - आप ही बताइये, करण दलाल और ललित नागर में से कांग्रेस में लोकसभा सीट के लिए कौन बेहतर उम्मीदवार है.

प्रश्न के जवाब में 58 फ़ीसदी लोगों ने करण दलाल के पक्ष में मतदान किया जबकि सिर्फ 42 फ़ीसदी कांग्रेसियों ने ललित नागर के पक्ष में मतदान किया. करण दलाल को ललित नागर से 16 फ़ीसदी अधिक समर्थन मिला तो बहुत अधिक है क्योंकि दोनों एक ही पार्टी के हैं. अब देखते हैं कि कांग्रेस आलाकमान कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल रखता है या नहीं.

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