फरीदाबाद: नगर निगम के वरिष्ठ उपमहापौर देवेन्द्र चौधरी तिगांव विधानसभा क्षेत्र से मेहनत कर रहे हैं. कृष्णपाल गुर्जर भी तिगांव में कांग्रेसी विधायक होने के बावजूद भी अपने क्षेत्र की तरह ही विकास करवा रहे हैं, नहर पर आधा दर्जन पुल बनवा चुके हैं, मंझावाली पुल बनवाकर फरीदाबाद को नॉएडा से जोड़ रहे हैं, नहरपार एरिया में अरबों रुपये की लागत से सीवर और वाटर पाइपलाइन बिछवाकर वहां के लोगों का जीवन आसान कर रहे हैं, इसी तरह से दर्जनों विकास कार्य जारी हैं, तिगांव विधानसभा क्षेत्र की जनता को उनकी किस्मत पर छोड़ा जा सकता था लेकिन यह सब विकास कार्य इसलिए करवाए जा रहे हैं ताकि देवेन्द्र चौधरी को मेहनत का फल मिल सके, जनता का आशीर्वाद मिल सके और वह अगली बार तिगांव से विधायक बन सकें.
देवेन्द्र चौधरी की राह में ललित नागर सबसे बड़ा काँटा थे, ललित नागर के नाम पर कोई विकास कार्य नहीं है एक दो को छोड़कर. अगर विकास के पत्थरों पर किसी का नाम लिखा है तो कृष्णपाल गुर्जर और देवेन्द्र चौधरी का. उसके बावजूद भी ऐसा लग रहा था कि ललित नागर देवेन्द्र चौधरी को थोड़ी बहुत टक्कर देंगे. लेकिन अब ललित नागर को लोकसभा टिकट मिल गयी है. ललित नागर की जीत की संभावना ना के बराबर है क्योंकि उनके पास विकास के नाम पर बताने के लिए कुछ भी नहीं है. विधायक लोग पहले अपने क्षेत्र का विकास करके जनता को अपने विकास कार्य गिनाते हैं लेकिन ललित नागर कौन से विकास गिनाएंगे यह कोई नहीं जानता.
अब भाजपा नेता ललित नागर को बुरी तरह हराने की कोशिश करेंगे, अगर ललित नागर की बुरी हार हो गयी तो वह तिगांव विधानसभा से टिकट मांगने के लायक भी नहीं रह पाएंगे. अगर किसी तरह टिकट मिल भी गयी तो हारने की सम्भावना अधिक रहेगी. मतलब ललित नागर को टिकट मिलने से देवेन्द्र चौधरी को मुंहमांगी मुराद मिल गयी है. बस थोडा मेहनत करने की जरूरत है. वैसे भी तिगांव की जनता पिछली बार ललित नागर को चुनकर पछता रही है क्योंकि अगर उन्होंने भाजपा विधायक चुना होता तो क्षेत्र में मनचाहा विकास होता. कांग्रेसी विधायक चुनने से विकास ठप्प हो गए. पृथला और NIT में भी दूसरी पार्टी के विधायक चुने गए थे लेकिन उन लोगों ने भाजपा के साथ मिलकर अपने क्षेत्र के लिए फंड प्राप्त किया और अपने क्षेत्रों का विकास कराया जबकि तिगांव का विकास रुक गया.
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