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LN पाराशर ने बढ़ाया अरावली के भू माफियाओं का सिरदर्द, सबूत जुटा कर सुप्रीम कोर्ट में डाल दी PIL

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नई दिल्ली: हरियाणा सरकार ने हाल में विधानसभा में एक बिल के माधयम से पीएलपीए ऐक्ट में संशोधन कर अरावली के माफियाओं को बड़ी राहत देने का फैसला लिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार के अरमानों पर पानी फेर दिया। हरियाणा सरकार के लिए दूसरी बुरी खबर फरीदाबाद से आई है जहाँ के बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एल एन पराशर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका फ़ाइल कर दी है। याचिका का नंबर 40414 है जिस पर शुक्रवाई को सुनवाई होगी।

पाराशर का कहना है कि कांत एन्क्लेव केस में भी शुक्रवार को सुनवाई है और अब उनकी याचिका और कान्त एन्क्लेव की सुनवाई एक साथ होगी। पाराशर ने कहा कि मेरी याचिका और कान्त एन्क्लेव का मामला एक साथ चलेगा। पाराशर ने कहा कि मनोहर लाल सरकार हरियाणा की जनता के साथ अरावली मामले को लेकर बड़ा खेल खेला है और खट्टर सरकार ने अरावली को तवाह करने के लिए कपिल सिब्बल जैसे वकील को किया है। पराशर ने बताया कि इस मामले में जितने वकील अरावली के खिलाफ केस लड़ रहे हैं उनकी संख्या 38 है जिसमे कपिल सिब्बल का नाम है और इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अरावली को तवाह करने का कितना बड़ा खेल खेला जा रहा है।

पाराशर ने बताया कि कान्त एन्क्लेव मामले पर अभी तक एमसी मेहता अकेले माफियाओं से संघर्ष कर रहे थे अब मैंने याचिका के माध्यम से उनका साथ देने का फैसला लिया है और इसलिए मैंने ये याचिका दायर की है।

पाराशर ने कहा कि मैं कई महीने से अरावली का दौरा कर रहा था और मुझे कई चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं। पाराशर ने कहा कि कई बड़े माफियाओं के लिए अरावली सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है और लगभग दो दशक से कई नेताओं और माफियाओं ने इस मुर्गी का जमकर इस्तेमाल किया और अरावली के पहाड़ों को उजाड़कर उस मुर्गी के सोने के अण्डों से अपनी तिजोरियों में सोने का पहाड़ खड़ा कर लिया। पाराशर ने कहा कि माफियाओं और नेताओं का काला धन छुपाने का अरावली एक अड्डा बन गई है और कई बड़े नेता एवं भ्रष्ट अधिकारियों ने अपनी काली कमाई अरावली पर लगाईं है जिसमे एक बाबा भी शामिल है जिसने 1200 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदवाए हैं और उसने भी अपने काली कमाई यहाँ छुपाई है। इस बाबा के डीलरों की 100 से ज्यादा GPA मेरे पास है और अधिकतर जीपीए बंगाल, बिहार, यूपी और पंजाब से करवाई गईं हैं जिनमे कई फर्जी हैं।

पराशर ने कहा कि देश की सबसे बड़ी पहाड़ श्रृंखला पर 400 प्रकार से ज्यादा पेड़ पौंधे हैं और 200 प्रकार से ज्यादा पक्षी भी हैं जो सब अब खतरे में हैं। पाराशर ने कहा कि हरियाणा के अधिकारियों और नेताओं ने मिलकर हजारों करोड़ के कालेधन को छुपाने के लिए अरावली पर से पीएलपीए को ख़त्म करवाने का प्रयास किया जिनके मंसूबों को मैं कभी कामयाब नहीं होने दूंगा। पाराशर ने कहा कि मैंने जो याचिका दायर की है उसमे मांग की है कि कांत एन्क्लेव के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सितम्बर 2018 में जो आदेश दिया था उसके बाद जितने अवैध निर्माण हुए हैं सब ढहाए जाएँ और इनके मालिकों पर पाराशर ने बताया कि कान्त एन्क्लेव मामले पर अभी तक एमसी मेहता अकेले माफियाओं से संघर्ष कर रहे थे अब मैंने याचिका के माध्यम से उनका साथ देने का फैसला लिया है और इसलिए मैंने ये याचिका दायर की है।

पाराशर ने कहा कि मैं कई महीने से अरावली का दौरा कर रहा था और मुझे कई चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं। पाराशर ने कहा कि कई बड़े माफियाओं के लिए अरावली सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है और लगभग दो दशक से कई नेताओं और माफियाओं ने इस मुर्गी का जमकर इस्तेमाल किया और अरावली के पहाड़ों को उजाड़कर उस मुर्गी के सोने के अण्डों से अपनी तिजोरियों में सोने का पहाड़ खड़ा कर लिया। पाराशर ने कहा कि माफियाओं और नेताओं का काला धन छुपाने का अरावली एक अड्डा बन गई है और कई बड़े नेता एवं भ्रष्ट अधिकारियों ने अपनी काली कमाई अरावली पर लगाईं है जिसमे एक बाबा भी शामिल है जिसने 1200 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदवाए हैं और उसने भी अपने काली कमाई यहाँ छुपाई है। इस बाबा के डीलरों की 100 से ज्यादा GPA मेरे पास है और अधिकतर जीपीए बंगाल, बिहार, यूपी और पंजाब से करवाई गईं हैं जिनमे कई फर्जी हैं।

पराशर ने कहा कि देश की सबसे बड़ी पहाड़ श्रृंखला पर 400 प्रकार से ज्यादा पेड़ पौंधे हैं और 200 प्रकार से ज्यादा पक्षी भी हैं जो सब अब खतरे में हैं। पाराशर ने कहा कि हरियाणा के अधिकारियों और नेताओं ने मिलकर हजारों करोड़ के कालेधन को छुपाने के लिए अरावली पर से पीएलपीए को ख़त्म करवाने का प्रयास किया जिनके मंसूबों को मैं कभी कामयाब नहीं होने दूंगा। पाराशर ने कहा कि मैंने जो याचिका दायर की है उसमे मांग की है कि कांत एन्क्लेव के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सितम्बर 2018 में जो आदेश दिया था उसके बाद जितने अवैध निर्माण हुए हैं सब ढहाए जाएँ और इनके मालिकों पर अदालत के अवमानना का मामला दर्ज किया जाए। के अवमानना का मामला दर्ज किया जाए।
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