फरीदाबाद, 11 नवम्बर: अरावली पहाड़ फरीदाबाद का कवच माना जाता था लेकिन पिछले 20 वर्षों में अरावली का अँधाधुंध चीरहरण किया गया, अवैध खनन करके पत्थर निकाले गए और कुछ लोगों ने अरबों रुपये कमाए, पिछले चार पांच वर्षों से खनन में कुछ कमीं आयी है लेकिन कुछ लोग अभी भी खनन करके पत्थर निकाल रहे हैं. वकील एल एन पाराशर अरावली के चीरहरण को रोकना चाहते हैं लेकिन कुछ लोग नियम कानूनों की धज्जियाँ उड़ाकर अभी भी खनन कर रहे हैं, खनन करके करोड़ों रुपये के पत्थर निकालने वालों के खिलाफ फरीदाबाद का खनन विभाग कोई कड़ा एक्शन नहीं ले पा रहा है.
अरावली पर डेलाईट गार्डन में खुदाई हो रही है जिसमें करोड़ों रुपये के पत्थर निकल रहे हैं, वकील एल एन पाराशर कई बार वहां की फोटो सोशल मीडिया पर दिखा चुके हैं, उन्होंने हाईकोर्ट में रिट भी डाली है. डेलाईट द्वारा की जा रही खुदाई में पत्थर निकल रहे हैं. जिनकी कीमत करोड़ों में हो सकती है लेकिन फरीदाबाद का खनन विभाग ऑंखें बंद करके बैठा है, वकील एल एन पाराशर अरावली का चीरहरण होते देखकर दुखी हैं.
इस मामले में जब खनन अभियंता से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हमें प्रति मीटर सिर्फ 75 रुपये की रोयल्टी चाहिए, खुदाई से निकलने वाली मिटटी को कहीं लेजाकर तुरंत डिस्पोज करना होता है, खुदाई में कुछ भी निकले हमें इससे मतलब नहीं है. खनन विभाग के इस कानून का डेलाईट वाले खूब फायदा उठा रहे हैं, खुदाई में पत्थर निकल रहे हैं जिन्हें क्रेशर जोन में ले जाकर बजरी और रोड़ी बनाकर करोड़ों की कमाई की जा रही है.
खुदाई से तीन तीन फायदे
खुदाई से डेलाईट को तीन फायदा मिल रहा है - खुदाई से नीचे बेसमेंट बनाने के लिए जगह मिल रही है, मिटटी भी निकल रही है जिसे बेचकर मुनाफ़ा कमाया जा रहा है, इसके अलावा करोड़ों रुपये के पत्थर फ्री में मिल रहे हैं. कुछ लोगों ने डेलाईट के खिलाफ NGT में केस किया था लेकिन डेलाईट ने हाईकोर्ट से स्टे लेकर फिर से निर्माण और खुदाई शुरू कर दी.
खनन विभाग को कुछ ऐसे कानून बनाने चाहियें जिसके अनुसार खुदाई से अगर पत्थर निकलें तो उनपर सिर्फ सरकार का हक हो, अगर फरीदाबाद में ऐसा कानून होता तो हरियाणा सरकार को करोड़ों-अरबों रुपये की कमाई होती लेकिन फरीदाबाद में ऐसा कानून ना होने से सरकार को नुकसान हो रहा है.
इस मामले में जब खनन अभियंता से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हमें प्रति मीटर सिर्फ 75 रुपये की रोयल्टी चाहिए, खुदाई से निकलने वाली मिटटी को कहीं लेजाकर तुरंत डिस्पोज करना होता है, खुदाई में कुछ भी निकले हमें इससे मतलब नहीं है. खनन विभाग के इस कानून का डेलाईट वाले खूब फायदा उठा रहे हैं, खुदाई में पत्थर निकल रहे हैं जिन्हें क्रेशर जोन में ले जाकर बजरी और रोड़ी बनाकर करोड़ों की कमाई की जा रही है.
खुदाई से तीन तीन फायदे
खुदाई से डेलाईट को तीन फायदा मिल रहा है - खुदाई से नीचे बेसमेंट बनाने के लिए जगह मिल रही है, मिटटी भी निकल रही है जिसे बेचकर मुनाफ़ा कमाया जा रहा है, इसके अलावा करोड़ों रुपये के पत्थर फ्री में मिल रहे हैं. कुछ लोगों ने डेलाईट के खिलाफ NGT में केस किया था लेकिन डेलाईट ने हाईकोर्ट से स्टे लेकर फिर से निर्माण और खुदाई शुरू कर दी.
खनन विभाग को कुछ ऐसे कानून बनाने चाहियें जिसके अनुसार खुदाई से अगर पत्थर निकलें तो उनपर सिर्फ सरकार का हक हो, अगर फरीदाबाद में ऐसा कानून होता तो हरियाणा सरकार को करोड़ों-अरबों रुपये की कमाई होती लेकिन फरीदाबाद में ऐसा कानून ना होने से सरकार को नुकसान हो रहा है.
बार एसोशिएशन के पूर्व अध्यक्ष और न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एल एन पराशर ने आज अरावली के कई क्षेत्रों का दौरा किया। पाराशर ने दावा किया है कि शहर में अब भी निर्माण कार्य जारी हैं। वकील पाराशर का दावा है कि सूरजकुंड रोड स्थित डिलाइट गार्डन में निर्माण कार्य अब भी चल रहा है। उन्होंने एक वीडियो के माध्यम से बताया कि डिलाइट में कई मजदूर अब भी काम कर रहे हैं और वहां अंदर मशीने चल रहीं हैं। उन्होंने कहा कि डिलाइट वाले बार बार नियम क़ानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं और अधिकारी जानबूझकर खामोश हैं।
वकील पाराशर ने अधिकारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि हाल में नगर निगम ने खानापूर्ति करते हुए एक फ़ार्म हाउस की थोड़ी सी दीवार ढहा दी थी जबकि उस फ़ार्म हाउस की बहुत लम्बी दीवार अब भी खड़ी है। उसका गेट भी नहीं छुआ गया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही और अरावली का चीरहरण के कारण शहर में इतना प्रदूषण बढ़ा है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार जो रहा है जब शहर को सबसे प्रदूषित जिला घोषित किया जा रहा है और बार बार फरीदाबाद में प्रदूषण रिकार्ड तोड़ रहा है। उन्होंने कहा फरीदाबाद के अधिकारियों की मिली भगत से शहर में सभी तरह के अवैध काम जारी हैं और शहर गंभीर प्रदूषण झेलने पर मजबूर है।
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