फऱीदाबाद 2 सितंबर। महाराणा प्रताप द्वारा सन 1582 मे विजयदशमी मे दिन मुगल सेनाओं पर दिवेर युद्ध मे प्राप्त विजय को विजय पर्व के रूप मे मनाने के उद्देशय से 30 सितंबर को दिवेर (राजस्थान) से प्रारम्भ हुई दिवेर विजय पर्व एवं रज कलश यात्रा आज फऱीदाबाद पहुंची जिसका सैक्टर 8 स्थित महाराणा प्रताप भवन समस्त क्षत्रिय समाज के गणमान्य व्यतिकयों द्वारा किया गया।
इस कलश यात्रा मे महाराणा प्रताप की पीढ़ी के 13वें वंशज रावत साहब हमीरगढ़ युग प्रताप सिंह, महाराणा प्रताप के पुत्र चूड़ा जी के वंशज एवं पूर्व विधायक कुँवर प्रदीप सिंह सिंगोली, चूड़ा जी के वंशज कुँवर महेंद्र सिंह भगवानपुरा, कुँवर करण सिंह नरूका, कुंवरानी विजया कंवर चंपावत, कुँवर ओंकार सिंह बाकली मारवाड़, कुँवर रण बहादुर सिंह मारवाड़, कुँवर जलम सिंह दातड़ा, कुँवर राजेन्द्र सिंह नरूका, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुँवर अजय सिंह, पंडित विनोद जी रेनवास और पलवल से डा॰ हरेन्द्र पाल सिंह राणा मुख्य रूप से उपस्थित थे। फरीदाबाद क्षत्रिय समाज की ओर से राजकुल सांस्कृतिक संस्था, युवा राजपुताना संगठन, क्षत्रिय एकता मंच, क्षत्रिय सभा, बल्लभगढ़, क्षत्रिय सभा, ओल्ड फरीदाबाद, क्षत्रियवीर ज्योति मिशन गुरुग्राम और दिल्ली तथा राजपूत एकता मिशन के पदाधिकारियों के रज कलश यात्रा का स्वागत किया।
इस अवसर पर नेपाल सिंह तंवर, रिटायर्ड आईएएस, एस आर रावत, ठाकुर अनिल प्रताप सिंह, हुकम सिंह भाटी, हेम सिंह राणा, उदयवीर सिंह मदनावत, ओ पी एस परमार, रत्नाकर सिंह बैस, अभिमन्यु सिंह, संजीव चौहान, दीपक भाति, गौरव भाति, विनोद राजपूत, राहुल राणा, सुधीर चौहान, एस के सिंह, एस बी सिंह, महाबीर स्वामी, होराम सिंह, जगपाल सिंह, राम बाबू राघव, गुरुदयाल सिंह, प्रेमनारायण शास्त्री, रेवत सिंह तंवर, संतोष छोंकर तथा समाज के अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मंच के सफल संचालन कुमार बीरेन्द्र गौड़ ने किया।
इस अवसर पर बोलते हुए कुँवर राजेन्द्र सिंह नरूका, रावत साहब हमीरगढ़ युग प्रताप सिंह और अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुँवर अजय सिंह ने क्षत्रिय समाज और विशेषकर युवाओं से आव्हान कि राष्ट्र गौरव महाराणा प्रताप द्वारा विजित इस युद्ध पर सोशियल मीडिया में ज्यादा से ज्यादा जानकारियां साझा करे और इस युद्ध को विजयोत्सव के रूप में जगह जगह मनाएं ताकि हमारी नई पीढ़ी का मनोबल ऊँचा रहे जिससे उनके मन में भी महाराणा प्रताप की तरह स्वाभिमान और देशभक्ति कूट-कूट कर भरी रहे7 नई पीढ़ी को पता चले कि महाराणा प्रताप अकबर से हार कर जिंदगीभर जंगलों में नहीं भटके, बल्कि दिवेर युद्ध मे उन्होंने उस समय के विश्व के सबसे ताकतवर सम्राट अकबर की विशाल सेना को अपने शोर्य एवं प्रकारम से युद्धभूमि में धूल चटा कर मेवाड़ पर विजय प्राप्त कर ली थी। 4 सितंबर 2016 को यह दिवेर विजय पर्व एवं रज कलश यात्रा पंजाब मे पठानकोट पहुंचेगी जहां क्षत्रिय महासभा पंजाब के तत्वाधान में कलेर पैलेस, डिफेंस रोड, पठानकोट, पंजाब दिवेर विजय पर्व धूम धाम से मनाया जाएगा।
ज्ञात रहे कि हल्दीघाटी युद्ध के बाद राणा प्रताप अरावली के घने जगलों एवं गुफाओं में वास करने लगे थे। जब 1578 में महारणा प्रताप ईडर के पास चूलिया ग्राम में थे तब उनके विश्वासपात्र वितमंत्री सेठ भामाशाह व उनके भाई ताराचंद वहां आए उन्होंने महाराणा प्रताप को अपने सम्पूर्ण खजाने के रूप मे 25 लाख 20 हजार स्वर्ण मुद्राएँ भेंट की जिससे वीर प्रताप ने पुन: एक विशाल सेना का गठन किया तथा सिरोही, जालौर, ईडर, बांसवाड़ा और डुंगरपुर सभी राजाओं से संपर्क कर प्रत्यक्ष सहयोग लेकर दिवेर को जीतने की रणनीति व तैयारी के लिए मनकियावास के जगलों को चुना। आत्मसुरक्षा के साथ ही आमेट, देवगढ़, रूपगनगर एवं आसपास के ठिकानों से मदद पाने की दृष्टि से भी यह स्थान मुफीद था।
1582 मे एक विशाल सेना लेकर वीर प्रताप ने विजयदशमी के दिन अपने पुत्र कुँवर अमर सिंह के नेत्रत्व मे कुंभलगढ़ से 30 किलोमीटर दूर दिवेर पर पूरी ताकत से आक्रमण किया। शाही थाने का मुख्तार अकबर का चाचा सुल्तान खां था। मुगलों की विशाल सेना और वीर प्रताप की सेना के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमे मुगल सूबेदार सुल्तान खां कुँवर अमर सिंह के हाथों मारा गया और महारणा प्रताप की सेना विजयी हुई। इस युद्ध मे विजयी होने के बाद महारणा प्रताप की ख्याति फिर चारों ओर फैल गई। यह मेवाड़ का वो विजयी युद्ध था जिसके बाद अकबर या उसके किसी वंशज ने मेवाड़ की तरफ आँख उठा कर भी नहीं देखा।
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