फरीदाबाद 28 जुलाई। निजी स्कूलों द्वारा बढ़ाई गई फीस के विरोध में छात्रों और अभिभावको का लगातार दूसरे दिन भी उपायुक्त कार्यालय पर रोष प्रदर्शन जारी रहा। अभिभावक एकता मंच के बेनर तले इस रोष प्रदर्शन में उन छात्रों ने भी हिस्सा लिया जो बढ़ी हुई फीस न भरने के कारण घर बैठ गए और शिक्षा के अधिकार से वंचित हो गए है। मंच के महासचिव का कहना है कि सरकार 1997 के कांड को पुन: दोहराना चाहती है। स्कूलों में एक तो चोरी और उपर से सीना जोरी वाली कहावत चल रहीं है। 12 सितम्बर को प्रदेश भर के हजारों अभिभावक और छात्र इस मामलें को लेकर शिक्षा सदन पंचकूला पर रोष प्रदर्शन करेंगें।
प्राईवेट स्कूलों की भारी फीस वृद्धि और उपर से पुलिस प्रशासन द्वारा उल्टा उनका ही सहयोग करने से आहत अभिभावक और वे बच्चे जो बढ़ी हुई फीस न देने के कारण शिक्षा से वंचित हो गए, लगातार सरकार व प्रशासन से गुहार लगा रहे है कि उन्हे शिक्षा के अधिकार से वंचित न किया जाएं। वे शांति पूर्वक आंदोलन कर रहे है, लेकिन सरकार और प्रशासन चाहते है कि उनका आंदोलन हिंसक हो और 1997 की पुर्नावृति हो। प्राईवेट स्कूल न तो शिक्षा निदेशालय के आदेशों की पालना कर रहे है और न ही किसी और की। क्योंकि उन पर सत्ताधारी नेताओं का पूरा संरक्षण है। एक तो फीस की बढ़ौतरी अभिभावकों की राय जाने बिना कर दी गई है और उपर से वे अभिभावकों की बात सुनने को भी तैयार नहीं है।
उपायुक्त कार्याल्य पर प्रदर्शन में शामिल इन छात्राओं की माने तो उन्हे बढ़ी हुई फीस न भरने के कारण नाम काट दिया गया है। या फिर उन्हे स्कूल में उपेक्षित किया जाता है। वे चाहते है कि पढ़े, लेकिन इतनी फीस देने में उनके अभिभावक असमर्थ है।
अभिभावक एकता मंच के महासचिव कैलाश शर्मा की माने तो सरकार और प्रशासन प्राईवेट स्कूलों को सरंक्षण दे रहा है। यहीं कारण है कि एक तो वे बच्चों के नाम काट रहे है और उपर से मिलने जाने वाले अभिभावकों को पुलिस बुलाकर बहार करवा दिया जाता है। 1997 में भी इसी तरह का आंदोलन हुआ था। उस समय एक स्कूल के प्रबंधक ने शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे अभिभावकों पर गोली व पत्थरबाजी करा दी थी। उस समय भी राज्य के शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा थे और आज भी वे ही है। इसलिए उन्हे अंदेशा है कि सरकार आंदोलन को उग्र न करा दें।
मंच के प्रदेश अध्यक्ष ओ पी शर्मा का कहना है कि इससे शर्म की बात नहीं हो सकती है कि छात्रों को शिक्षा के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। शिक्षा के अधिकार में साफ लिखा है कि बीच सेशन में बच्चों का नाम नहीं काटा जा सकता। लेकिन निजी स्कूल सभी नियमों की अवेहलना कर रहे है और कापी-किताब से लेकर वर्दी तक की दुकाने स्कूलों में खुली हुई है।
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