फरीदाबाद, 4 अप्रैल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च को पूरे देश को एक साथ लॉक डाउन करने की घोषणा की थी, कुछ लोगों ने उनके इस कदम को गलत बताया था, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने कहा कि - मोदी ने जल्दबाजी में यह कदम उठा लिया लेकिन अब सोचिये, अगर 25 मार्च को लॉक डाउन का ऐलान ना होता और सब कुछ पहले की तरह चलता रहता तो अब तक क्या परिस्थिति होती।
अगर आप ध्यान दें तो 25 अप्रैल को लॉक डाउन के बाद ही जमातियों के बारे में पता चला, जब इस्लामिक सेण्टर में एक जमाती की मौत हो गयी और उसका टेस्ट कराया गया तो वह कोरोना पॉजिटिव निकला। उसके बाद जांच पड़ताल की गयी तो पता चला कि निजामुद्दीन के मरकज में पिछले एक महीनें से तबलीगी जमात के हजारों लोग इकठ्ठा होकर धार्मिक समारोह कर रहे हैं. कई लोगों ने तो तबलीगी जमात और मरकज के बारे में सुना ही नहीं था, दिल्ली सरकार ने पूरी दिल्ली में धारा 144 लगा थी और तक साथ 5 लोगों के इकठ्ठे होने पर रोक लगा दी थी लेकिन ये लोग तो कोई नियम कानून मानते ही नहीं।
उसके बाद 28 मार्च को पुलिस निजामुद्दीन पहुंची और जमातियों को बसों में भरकर अस्पताल भेजा और उनका टेस्ट कराया तो सैकड़ों लोग कोरोना पॉजिटिव निकले, उसके बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया, उसके बाद जमातियों की लिस्ट बनायी गयी और सभी राज्यों ने जमातियों की तलाश शुरू की, सभी राज्यों ने जमातियों को पकड़कर टेस्ट कराया तो सैकड़ों लोग पॉजिटिव मिले और ये लोग जहाँ पर रह रहे थे वहां के लोगों को भी संक्रमित कर दिया है. तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, दिल्ली में जमातियों ने सबसे अधिक संक्रमण फैलाया, गृह मंत्रालय के अनुसार इन लोगों ने अब तक 14 राज्यों में कोरोना संक्रमण फैलाया है।
इन जमातियों को निजामुद्दीन मरकज के मौलाना साद ने यह बोलकर धार्मिक प्रोग्राम में बुलाया था कि मस्जिद में आने वालों को कोरोना संक्रमण नहीं होगा क्योंकि मस्जिद मरने के लिए सबसे अच्छा स्थान है, उनका ऑडियो भी वायरल हुआ है, उनपर FIR दर्ज की गयी है, वह फरार हैं, इस कार्यक्रम में अधिकतर कट्टरपंथी विचारधारा के लोग ही आये थे जिनके अंदर जिहाद का जहर भरा होता है इसलिए उन्होंने कोरोना संक्रमण को गंभीरता से नहीं लिया।
यह कार्यक्रम पिछले एक महीनें से चल रहा था, पूरे देश के और विदेश के जमाती कार्यक्रम में आकर कुछ दिन रूककर चले जाते थे, इस प्रोग्राम में विदेश से कुछ संक्रमित जमाती भी आये और अन्य लोगों को संक्रमित कर दिया, उसके बाद संक्रमित लोग यहाँ से निकलकर अपने घरों को गए तो वहां अपने पूरे परिवार को संक्रमित कर दिया, अब जहाँ से भी कोरोना के मामले निकल रहे हैं तो पता चल रहा है कि जमातियों का पूरा परिवार ही संक्रमित है.
संक्रमित जमातियों की पहचान इसलिए हो पा रही है क्योंकि देश में लॉक डाउन है, जनता को उनके घरों में ही रहने को बोला गया है, जमाती अधिकतर मस्जिदों में छुपे हुए हैं, ये लोग खुद बाहर आकर अपना टेस्ट नहीं करवा रहे हैं, पुलिस इन्हें ढूंढ ढूंढ कर इनका टेस्ट करवा रही है और अन्य संपर्क में आये लोगों का टेस्ट करवा रही है. कई जगह से यह भी ख़बरें आयी कि ये लोग पुलिस और इनका इलाज कर रहे डॉक्टरों पर थूक रहे हैं, कुछ लोग डॉक्टर और नर्सों को अश्लील इशारे कर रहे हैं, गाजियाबाद में इनके खिलाफ शिकायत की गयी है और डॉक्टरों ने इनका इलाज करने से इंकार कर दिया है.
भगवान का शुक्र है कि देश में लॉक डाउन है, वरना ये लोग भीड़ भाड़ में घुसकर अन्य लाखों लोगों को अब तक संक्रमित कर चुके होते और भारत भी अमेरिका, इटली, स्पेन, चीन, ईरान, इंग्लॅण्ड, फ़्रांस की श्रेणी में आ चुका होता। हम ये नहीं कह रहे हैं कि ये लोग जान बूझकर संक्रमण फैला रहे हैं लेकिन देश के कानून को ना मानकर ये लोग खुद को गलत साबित कर रहे हैं.
कुछ लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉक डाउन के फैसले को गलत बता रहे हैं लेकिन अगर लॉक डाउन ना होता और लाखों लोगों में संक्रमण फ़ैल चुका होता तो हो सकता है उसमें से आप भी होते। इसलिए लॉक डाउन के नियमों का पालन करें और अपने घरों में रहें ताकि संक्रमित लोगों की पहचान करके उनका इलाज किया जा सके और देश को इस महामारी से बचाया जा सके.
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