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प्राइवेट कंपनी वाले मान तो लें मोदी की बात लेकिन उनके रास्ते में हैं कई मुश्किलें, पढ़ें

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फरीदाबाद, 16 अप्रैल: कोरोना वायरस से फैली महामारी की वजह से केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने लॉक डाउन कर दिया है, लॉक डाउन की सबसे ज्यादा मार प्राइवेट कंपनी वालों और उनमें काम करने वाले कर्मचारियों पर पड़ी है. जरूरी सेवाओं को छोड़कर अन्य प्राइवेट कम्पनियाँ पूरी तरह से बंद हैं, उनकी कमाई भी बंद है इसलिए वे अपने कर्मचारियों को सैलरी भी नहीं दे पा रहे हैं.

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने प्राइवेट कंपनी वालों से अपील की थी कि वे अपने कर्मचारियों की सैलरी ना काटें और किसी भी कर्मचारी को नौकरी से ना निकालें। प्राइवेट कंपनी वाले और अन्य व्यवसायी सरकार की बात मानना चाहते हैं लेकिन उनके रास्ते में कई मुश्किलें हैं.

निजी व्यवसाइयों से बात करने पर उन्होंने बताया - एक तरफ तो सरकार व्यवसाइयों से बोल रही है के वो अपनी दुकान/फैक्ट्री/कंपनी में काम करने वालों को काम से ना निकालें और उनको तनख्वाह भी दें जबकि सबकी दुकान/फैक्ट्री बंद है... हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि दुकान/फैक्ट्री वालों के पास ऐसा कौन सा चिराग है कि उसको रगड़ते ही इनके पास पैसों की बरसात होने लगेगी।

व्यवसाइयों ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा - हम सबका काम और कमाई बंद है, लेकिन - 

  • बिजली बिल देना पड़ेगा
  • टैक्स भी देना पड़ेगा 
  • GST भी देना पड़ेगा
  • बैंक लोन की EMI भी देना पड़ेगा
  • कंपनी के प्लाट या बिल्डिंग का किराया भी देना पड़ेगा
  • इसके अलावा हमें अपने परिवार का खर्च भी उठाना पड़ेगा
व्यवसाइयों ने कहा कि सरकार अपनी तरफ से अभी तक कोई छूट नहीं दे रही है और हमें कह रही है कि ना तो किसी की सैलरी काटें और ना किसी को नौकरी से निकालें। आखिर हम लोगों के पास पैसा कहाँ से आएगा। यह हम लोगों के लिए बहुत कठिन समय है.

व्यवसाइयों ने कहा कि हम अपने कर्मचारियों को सैलरी तभी दे सकते हैं जब हमारे पास पैसे हों, अधिकतर लोग बैंक से लोन लेकर व्यवसाय चलाते हैं, हर महीनें लाखों रुपये की क़िस्त जाती है, ऐसे में हम अपने कर्मचारियों को सैलरी कैसे दे सकते हैं, सरकार या तो लोन माफ़ करे या सैलरी जारी रखने के लिए हमें फंड दे तभी हम सैलरी दे सकेंगे।
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Faridabad News

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