फरीदाबाद, 11 मार्च: वर्ष 2006 में फरीदाबाद कोर्ट में फायरिंग के एक केस में फरीदाबाद की कोर्ट ने IPC की धारा 307 के चार्ज पर बहस के बाद इस मामले में नामजद 20 लोगों को बारी कर दिया जबकि चार वकीलों एल एन पाराशर, ओपी शर्मा, गौरव शर्मा और कैलाश वशिष्ठ को सजा का ऐलान कर दिया। 7 मार्च से चारों वकील जेल में हैं और 12 मार्च को सुबह 10 बजे उन्हें सजा सुनायी जाएगी।
इस मामले में सबसे अधिक चर्चा में बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान वकील LN पाराशर हैं, उन्हें भी इस मामले में जेल में बंद किया गया है और 12 मार्च को उन्हें भी सजा सुनायी जाएगी।
शहरवासियों के दिमाग में इस वक्त सिर्फ एक सवाल है, पिछले दो वर्षों में प्रशासन और सरकार की नाक में दम करने वाले, अरावली चीरहरण, ग्रीन बेल्ट पर कब्जे, तहसीलों में भ्रष्टाचर के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने वाले और सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर करके सरकार और फरीदाबाद प्रशासन की नींद उड़ाने वाले LN पाराशर क्या अब जेल में रहेंगे।
अगर सुप्रीम कोर्ट के वकील डॉ ब्रह्मदत्त की बात करें तो उनके मुताबिक़ फरीदाबाद की कोर्ट ने वकीलों के साथ ज्यादती की है, उन्होंने पंजाब केसरी से बातचीत करते हुए कहा - वह 12 मार्च को फरीदाबाद कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन करेंगे और केस जीतेंगे, क्योंकि उनके वकील साथियों को एक साजिश के तहत फंसाया गया है.
डॉ ब्रह्मदत्त ने बताया कि यह मामला 2006 में चुनाव के समय शुरू हुआ, एक ग्रुप ने कहा हम जीत गए, दूसरे ग्रुप ने कहा हम जीत गए, सेक्टर 12 में जो कैंटीन है उसे दोनों ग्रुपों ने अलग अलग अलॉट किया। कैंटीन वालों में झगड़ा हुआ, दूसरे ग्रुप ने यह सोचकर कि कैंटीन वालों से हमें क्या लेना देना है, इसमें शर्मा जी को फंसाया जाय, इसमें यह दिखाया गया कि शर्मा जी ने गोली चलाई, एक कारतूस मिला है, एक हथियार से एक कारतूस चलता है, कोई और हथियार नहीं है, कोई और कारतूस नहीं है, कोई कारण नहीं है, और इनको सजा दी गयी है.
उन्होंने कहा कि जब हम आगे अपील करेंगे तो हमारे पास यह भी पॉइंट रहेगा कि आखिर क्या जरूरत थी, 7 मार्च को सजा का ऐलान करने की और 12 मार्च को सजा सुनाने की, बीच में होली है, त्यौहार है, यह तो अदालत की ज्यादती है.
उन्होंने कहा कि LN पाराशर, ओपी शर्मा का पहले भी एक जज के साथ झगड़ा हुआ था, जज जमानत नहीं दे रहे थे, कह रहे थे कि एक स्कूटर चोरी हुआ है वो रिकवर करना है, मैंने कहा कि रिकवरी मेमो ये है, स्कूटर तो रिकवर कर दिया, वो कहने लगे, आज मैं देखूँगा ही नहीं, तीन दिन बाद दिखाइए, उसमें भी यहाँ के जज इकठ्ठे हुए, शर्मा जी ने लड़ाई लड़ी, यहाँ से कन्विक्शन हुआ, हाई कोर्ट में भी सजा बरकरार रखी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में हम तीन वकील - राम जेठमलानी, राजेश खन्ना और मैं, एपीयर हुआ, वहां पर हमने ये सभी पॉइंट रखे और सुप्रीम कोर्ट ने सजा को माफ़ किया। इसमें भी हम केस जीतेंगे।
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