फरीदाबाद: इस बार लोकसभा और चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में करीब 50 हजार करोड़ रुपये का कलाधान खर्च किया जाएगा. यह पक्का अनुमान है, कच्चे अनुमान के मुताबिक़ कम से कम सवा लाख करोड़ रुपये का कालाधन चुनावों में खर्च किया जाएगा. एक तरह से कहें तो नेता लोग और राजनीतिक पार्टियाँ अब तक का लूटा माल चुनाव में खर्च करेंगी और कालेधन की देश के अर्थ तंत्र में वापसी भी होगी.
मान लो मैं नेता मंत्री या सांसद हूँ. मैं खूब लूटा है. अब मैं फिर से चुनाव जीतने के लिए चुनाव प्रचार पर अधिक से अधिक पैसे खर्च करने की कोशिश करूंगा. यही इस देश में होने वाला है. सबसे अधिक कलाधान कांग्रेस पार्टी के नेता खर्च करेंगे क्योंकि उनके सामने मोदी से निपटने की चुनौती है, अगर सच कहें तो कांग्रेसी नेता अब तक लूटा हुआ पैसा चुनाव में खर्च करेंगे.
इसका असर भी दिखने लगा है, भोपाल में कांग्रेसी नेताओं के यहाँ बख्शे के बख्शे नोट बरामद हुए हैं, कांग्रेस के दफ्तर में भी कालाधन भेजा गया है लेकिन अभी इसकी जांच हो रही है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चुनाव में प्रचार पर खर्च की लिमिट 75 लाख रुपये है, मतलब एक प्रत्याशी 75 लाख रुपये से अधिक नहीं खर्च कर सकता लेकिन ऐसा होता नहीं है. बैनर पोस्टर, होर्डिंग, रोजाना भंडारा. सैकड़ों आदमियों का खर्चा आदि में रोजाना कई लाख रुपये खर्च होते हैं. कई प्रत्याशी तो 50 करोड़ तक खर्च कर देते हैं.
कलाधान सिस्टम में वापस आने से देश की अर्थयवस्था को फायदा होगा. गरीबों को भी फायदा होगा. बैनर पोस्टर, पम्फलेट और होर्डिंग बनाने वालों को भी फायदा होगा, हलवाइयों, समोसा, पकौड़ा और चाय वालों का भी फायदा होगा. रिक्शे वालों, ऑटो वालों, बस वालों सबका फायदा होने वाला है.
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