फरीदाबाद: शहर में महालूट के नए नए खुलासे हो रहे हैं. आज एक और महालूट का खुलासा हुआ है. 2008-09 में पूर्व कांग्रेस सरकार के समय सेक्टर-56 में हजारों फ्लैट बनाए गए थे, इस प्रोजेक्ट को HUDA ने बनाया था. अब तक आपने फाइलों में देखा होगा कि सरकारी इमारतें, फ्लाईओवर और अन्य प्रोजेक्ट सीमेंट की जगह बालू से बना दिए जाते हैं और जब इमारतें भरभराकर गिर जाती हैं तो घोटाले का खुलासा होता है, जो आपने फाइलों में देखा होगा वही HUDA से सच में कर दिखाया है, हजारों फ्लैट जर्जर हो चुके हैं, सिर्फ हाथ से धक्का देने पर छतें टूट रही हैं.
इस मौके पर जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान भी मौजूद रहे. उन्होंने अपनी आँखों ने लूट का खेल देखा. उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से करने का फैसला किया है. अगर सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों पर एक्शन नहीं लिया तो वे हाईकोर्ट में केस करेंगे.
इस मौके पर जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान भी मौजूद रहे. उन्होंने अपनी आँखों ने लूट का खेल देखा. उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से करने का फैसला किया है. अगर सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों पर एक्शन नहीं लिया तो वे हाईकोर्ट में केस करेंगे.
पिछले कई दिनों से हमें इमारतों के टूटने और बीच में दरार पड़ने की शिकायत मिल रही थी. आज हमने इमारत का लाइव सर्वे किया तो देखा कि इमारत पूरी तरह से जर्जर हैं. इन्हें बनाने में सीमेंट की जगह बालू का इस्तेमाल किया गया है जिसकी वजह से इमारतों को हाथ से तोडा जा सकता है. कई जगह इमारतों के अन्दर पानी रिस रहा है, कई जगह हल्की सी छड़ी से ही छतें टूट गयी जिसे नीचे वीडियो में देखा जा सकता है.
गरीबों के ये आशियानें JNUURM/आशियाना योजना के तहत HUDA ने 2010 से पहले बनाए थे, उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी. ऐसा लगता है कि इन्हें बनाने में महालूट हुई है, जिसका सबूत आप वीडियो में देख सकते हैं.
इन फ्लैट्स में रहने वालों को 20 वर्षों तक हर महीनें करीब 3000 रुपये की क़िस्त देनी है, एक फ्लैट्स की कीमत 3.82 लाख है लेकिन साला 7 फीसदी ब्याज के साथ 20 वर्षों में करीब 7-8 लाख रुपये वसूले जाएंगे. इमारतों को देखकर लगता है कि कभी भी ये भरभराकर गिर सकती हैं और हजारों लोगों की जान जा सकती है लेकिन लोग मजबूरीवश इन फ्लैट्स में रहने को मजबूर हैं क्योंकि उनकी झुग्गियों को तोडा जा चुका है, अब इनके पास रहने के लिए कोई ठिकाना नहीं है इसलिए मजबूरीवश ये लोग मौत के नीचे रह रहे हैं.
कहने का मतलब ये है कि आपने अब तक सिर्फ फिल्मों में ही सरकारी इमारतों को सीमेंट की जगह बालू से बना दिया जाता है, HUDA ने इसे सच में कर दिखाया है. कई जगह इमारतें दो टुकड़ों में टूटने को तैयार हैं, दरारें पड़ चुकी हैं जिसे वीडियो में देखा जा सकता है. गरीबों का अब भगवान् ही मालिक है.
अगर इस घोटाले की जांच हो गयी तो कई अधिकारियों के साथ साथ तत्कालीन सत्ताधारी कुछ नेता भी फंस सकते हैं लेकिन फरीदाबाद प्रशासन और हरियाणा सरकार अपनी ऑंखें बंद करके बैठी है. गरीब जनता को ये लोग कीड़े मकोड़े समझते हैं, जब कुछ लोगों की जान जाएगी तो ही ये लोग एक्शन में आयेंगे.
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