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मेडिटिना हार्ड सेंटर ने फरीदाबाद स्वास्थ्य विभाग की कार्यवाही पर उठाये सवाल, विजिलेंस जांच की मांग

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मेडिटीना हार्ट सेंटर बीके अस्पताल में पिछले साढ़े चार साल से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत फरीदाबाद में चल रहा है। इसके अलावा हरियाणा में अंबाला, पंचकुला और गुरूग्राम को मिलाकर प्रदेश में चार सेंटर सरकारी अस्पतालों में संचालित हैं। लेकिन कुछ लोग हैं जो इन सेंटरों के संचालन में बाधा डाल रहे हैं। ताकि यह सेंटर सही से काम नहीं कर पाएं और प्रदेश के गरीब व जरूरतमंद हद्य रोगियों को सस्ता इलाज मुहैया नहीं हो पाएं। इसी के तहत झज्जर और फरीदाबाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की संयुक्त टीम ने पीएनडीटी एक्ट के तहत शुक्रवार को हार्ट सेंटर पर छापा मारा। टीम ने एक फर्जी ग्राहक बनाकर ईको करने वाली मशीन से यह दिखाने का प्रयास किया कि डियूटी स्टॉफ यहां लिंग एवं भ्रूण जांच कर रहे हैं। जबकि हमारे कॉर्डियोलॉजिस्ट व स्टॉफ किसी भी सेंटर पर ऐसा नहीं करते। हमारी ईको मशीन में लिंग जांच का प्रोब (कनेक्टर) बदलने का ऑप्शन ही नहीं है। जिससे हमारे लिए लिंग जांच करना संभव हो।  

मेडिटीना हॉस्पिटल ग्रुप के नॉर्थ इंडिया के सीओओ (चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर) प्रवीण तिवारी ने बताया कि हमारे फरीदाबाद सेंटर पर की गई कार्रवाई की विजिलेंस जांच होनी चाहिए। क्यूंकि स्वास्थ्य विभाग झज्जर की टीम के अधिकारी और इनफॉर्मर संजय गुप्ता दोनों ही जेल से छूट कर आए आरोपी मानसिंह के साथ मिले हुए हैं। कार्रवाई के दौरान ईको रूम में हमारे स्टॉफ ने संजय गुप्ता के फोन कॉल पर मानसिंह का कॉल आते हुए देखा। इनफॉर्मर संजय गुप्ता ने मानसिंह से आर्थिक लाभ लिया है जिसके  चलते इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। हम सरकार से मांग करते हैं कि इस मामले की विजिलेंस जांच करवाई जाए और जांच टीम में समलित सभी अधिकारियों, कर्मचारियों व संजय गुप्ता और मानसिंह की कॉल डिटेल भी निकलवाई जाए। ताकि यह साफ हो सके की यह सारी कार्रवाई के पीछे षणयंत्र रचा गया है। 

मानसिंह के बारे में आपको हम जानकारी देना चाहते हैं कि मानसिंह ने बरसों पूर्व हार्ट सेंटर में नौकरी की और उसने ही अपने ई-मित्र साथी के साथ मिलकर बीपीएल व जरूरतमंद ह्दय रोगियों के फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाए और इलाज के करीब साढ़े 6 लाख की सरकारी राशि का गबन किया। इस मामले में मानसिंह और उसके अन्य साथियों को 7 महीने जेल में रहना पड़ा। इसलिए यह हमारे हार्ट सेंटरों पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर गलत तरीके से कार्रवाई करवाना चाहता है और लिंग एवं भ्रूण जांच के झूठे मुकदमों में स्टॉफ व डॉक्टरों को फंसाना चाहता है। 

मैं मीडिया कर्मियों को बताना चाहता हूं कि झज्जर से नोडल ऑफिसर शैलेन्द्र डोगरा के नेतृत्व में आई जांच टीम के सदस्यों में से महिला डॉ. ममता ने हमारे तकनीकी स्टॉफ दिनेश के साथ मारपीट की और उसे धमकाया। जिसका विरोध हमारे दोनों डॉक्टरों व मैनेजर ने किया। डॉ. ममता के धमकाने के बाद नर्सिंग स्टॉफ भी रोने लगा। पूरी टीम ने हमारे डॉक्टरर्स को ईको रूम में बंद कर दिया और गलत तरीके से बयान दिलवाने के लिए दबाव बनाया। इसके अलावा इनफॉर्मर संजय गुप्ता ने डॉ. गुंजन गर्ग पर दवाब बनाया और डरा धमकाकर उनके गलत बयान दर्ज किए। इस पूरे मामले की हम विजिलेंस जांच की मांग करते हैं। कि पीएनडीटी एक्ट एवं कानून दुरूपयोग कर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने हमारे हार्ट सेंटर पर दुर्वेष्ता पूर्ण कार्रवाई की है। इस सबके पीछे कौन हैं यह पता चलना चाहिए। 

जबतक हमारे तकनीकी स्टॉफ दिनेश को न्यायालय से जमानत नहीं मिलती तबतक मेडिटीना ग्रुप के प्रदेश के चारों हार्ट सेंटरों पर ओपीडी, आईपीडी और ईको सेवाएं बंद रखेंगे। इन सेंटरों पर केवल दिल के गंभीर मरीजों का ही इलाज किया जाएगा। लेकिन हार्ट सेंटर प्रबंधन ने निर्णय लिया है कि सिक्योरिटी रिजन से गर्भवती महिलाओं की इको जान बंद की जाएगी।

हम मीडिया कर्मियों को बताना चाहते हैं कि इसी तरह की कार्रवाई पूर्व में गुरूग्राम के सरकारी अस्पताल में चल रहे हार्ट सेंटर पर भी की गई थी। जिसमें भी संजय गुप्ता की भूमिका संदिगध पाई गई थी। यहां भी हमारे स्टॉफ पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दवाब बनाने का प्रयास किया था। इस तरह हमारे हार्ट सेंटरों को लक्ष्य बनाया जा रहा है। जबकि हम किसी भी तरह का कोई गलत काम नहीं कर रहे हैं। जो भी काम होता है बिना कॉर्डियोलॉजिस्ट की देखरेख के नहीं होता। 

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Faridabad News

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