फरीदाबाद, 9 अगस्त: चेक बाउंस की खबर दिखाते वाले पत्रकार जैसे ही तीन महीनें बाद जेल से निकले, उनके समर्थकों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया, मिठाई खिलाकर उनका स्वागत किया गया. पत्रकार ने भी कहा कि जेल भेजकर पुलिस और उद्योगपति उन्हें डरा नहीं सकते, जब भी किसी मजदूर और गरीब के साथ अन्याय होगा, वो उसके साथ खड़े मिलेंगे और उसे न्याय दिलाकर रहेंगे।
पुलिस और प्रशासन उद्योगपतियों के दबाव में अक्सर गरीबों के साथ जुल्म और अन्याय करते हैं लेकिन इस देश में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक संस्थाएं जुल्म के खिलाफ न्याय भी करती हैं. मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकार को आखिरकार हाई कोर्ट से न्याय मिला और उसकी जमानत मंजूर हो गयी. जज साहब ने यह भी पूछा - चेक बाऊंस हुए या नहीं - Say Yes or No. जवाब में कहा गया - हाँ. स्टेट ने भी वाइंस सैम्पल लेने की बात की तो उसे भी फटकार लगाते हुए जज साहब ने कहा - तीन महीनें में क्या किया।
पुलिस और प्रशासन उद्योगपतियों के दबाव में अक्सर गरीबों के साथ जुल्म और अन्याय करते हैं लेकिन इस देश में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक संस्थाएं जुल्म के खिलाफ न्याय भी करती हैं. मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकार को आखिरकार हाई कोर्ट से न्याय मिला और उसकी जमानत मंजूर हो गयी. जज साहब ने यह भी पूछा - चेक बाऊंस हुए या नहीं - Say Yes or No. जवाब में कहा गया - हाँ. स्टेट ने भी वाइंस सैम्पल लेने की बात की तो उसे भी फटकार लगाते हुए जज साहब ने कहा - तीन महीनें में क्या किया।
पत्रकार की तरफ से पेश हुए वकील अमित चौधरी ने कोर्ट में दलील दी कि - मजदूरों के चेक बाउंस हुए थे, वे परेशान थे, पत्रकार ने उसकी खबर लगाई थी इसलिए उसे फर्जी तरीके से ट्रैप किया गया और सेक्शन 386 लगाकर जेल में बंद कर दिया, जो बनती ही नहीं है। जज साहब ने अमित चौधरी की दलील पर पूरी तरह से गौर किया और पत्रकार और उनके रिश्तेदार की रेगुलर बेल मंजूर कर ली। अधिक जानकारी के लिए हाई कोर्ट के अधिवक्ता अमित चौधरी के मोबाइल 8901089100 पर संपर्क किया जा सकता है.
पत्रकार ने रिहा होते ही कहा है कि वह गरीबों और मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे, जेल भेजकर पुलिस उन्हें गरीबों की आवाज उठाने से नही रोक सकती।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मजदूरों का शोषण करने वाली कंपनी के खिलाफ कोर्ट में चेक बाउंस के दर्जन भर केस पेंडिंग हैं, लेबर विभाग में भी कई दर्जन मजदूरों ने शिकायत की है जिसपर सुनवाई चल रही है.
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