फरीदाबाद, 25 अप्रैल: केंद्र सरकार ने आज सभी दुकानों को खोलने का आदेश दिया है, दुकानें खोलने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है, मतलब अब किसी भी समय दूकान खोली जा सकती है. कन्टेनमेंट और हॉटस्पॉट जोन में कोई दूकान नहीं खुलेगी और वहां पर पूर्ण पाबन्दी जारी रहेगी। फरीदाबाद में भी बड़े मार्किट को छोड़कर कॉलोनियों के अंदर जरूरी सामान उपलब्ध करने की दुकानें खुलेंगी। (कन्टेनमेंट जोन को छोड़कर)
कन्टेनमेंट जोन से बाहर भी दुकानों को खोलने के आदेश पर लोग हैरान है, कुछ लोग कह रहे हैं कि जब देश में 500 कोरोना मरीज थे तो पूरे देश को लॉक डाउन कर दिया गया, सभी दुकानें बंद करा दी गयीं और जब देश में 25000 कोरोना मरीज हो गए तो केंद्र सरकार ने दुकानें खोलने का आदेश दे दिया, लोग कह रहे हैं कि इस तरह से तो कोरोना फिर से फ़ैल जाएगा।
दुकानों को खोलने के कारणों पर हमने कुछ विश्लेषण किया है. हमें लगता है कि पूरी तरह लॉकडाउन से देश के अर्थतंत्र को काफी नुकसान हो रहा है इसलिए दुकानों को खोलने के आदेश दिए गए हैं ताकि नुकसान को कम किया जा सके.
दूसरा कारण यह हो सकता है कि केंद्र सरकार ने कोरोना मरीजों के इलाज करने की पूरी तैयारी कर ली है, करीब डेढ़ लाख आइसोलेशन बेड की व्यवस्था कर ली गयी है जबकि अभी सिर्फ 25000 कोरोना मरीज अब तक आ चुके हैं और सिर्फ 19000 के करीब एक्टिव मरीज हैं, करीब 6000 मरीजों का इलाज कर लिया गया है. केंद्र सरकार को अब लगता है कि अगर मरीज बढ़ भी गए तो उनका इलाज किया जा सकता है लेकिन अगर देश का अर्थतंत्र ढह गया तो देश को फिर से खड़ा होने में कई साल लगेंगे।
तीसरा कारण यह हो सकता है कि लगभग सभी राज्यों और जिलों में हॉटस्पॉट की पहचान कर ली गयी है, सरकार को पता चल गया है कि कहाँ पर कोरोना के मरीज सबसे अधिक हैं, ऐसे क्षेत्रों को कन्टेनमेंट जोन घोषित करके वहां पर कोरोना मरीजों की पहचान और इलाज किया जा रहा है. इसके अलावा सभी जिलों कर दी गयी हैं ताकि कोरोना मरीजों का संक्रमण एक जिले से दूसरे जिले में ना जा सके.
कुछ लोग केंद्र सरकार के फैसले पर आश्चर्य जता रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार ने यह फैसला सोच समझकर किया है और राज्य सरकारें इस फैसले को मानाने के लिए बाध्य नहीं हैं, सिर्फ केंद्र सरकार की तरफ से आदेश दिए गए हैं ताकि राज्य सरकारें केंद्र सरकार पर किसी भी तरह के आरोप ना लगा सकें, कांग्रेस राज्यों की सरकारें केंद्र सरकार पर लॉक डाउन थोपने और दुकानों को बंद करने के लिए बाध्य करने का आरोप भी लगा सकती हैं इसीलिए केंद्र सरकार ने अपनी तरफ से पाबन्दी हटा ली, अब राज्य सरकारें खुद फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं.
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