फरीदाबाद, 21 अक्टूबर: जनता के सामने जब भाजपा और कांग्रेस का विकल्प आता है तो जनता कहती है कि कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार ज्यादा होता है जबकि भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार कम होता है। इसीलिए पिछले कुछ वर्षों से जनता कांग्रेस की तुलना में भाजपा को वरीयता देती है लेकिन घमंड और अहंकार नाम की बीमारी सब पर भारी पड़ती है और जनता ऐसे नेताओं से अधिक नाराज होती है, यही नहीं पार्टी के कार्यकर्ता भी ऐसे नेताओं को स्वीकार नहीं कर पाते।
यही हाल फरीदाबाद में है, फरीदाबाद के तीन विधायक जो चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें बहुत अहंकारी बताया जा रहा है। जनता से जब इनके बारे में पूछा गया तो उन्होंने एक ही प्रतिक्रिया दी कि ये तो बहुत ही घमंडी और अहंकारी है। कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी तीनों के बारे में ऐसी ही प्रतिक्रिया दी।
अब सवाल ये उठता है कि जनता और भाजपा कार्यकर्ता इन्हें घमंडी और अहंकारी क्यों मानते हैं। बात दरअसल ये है कि वोट मांगते समय तो ये नेता हाथ पैर जोड़ रहे थे लेकिन जब ये विधायक बन गए तो खुद को राजा महाराजा समझने लगे।
रोड या सड़क सभी विधायक बनाते हैं चाहे कांग्रेस के हों या भाजपा के क्योंकि रोड में ये लोग सबसे अधिक कमीशन खाते हैं और कई विधायक तो घटिया रोड बनाकर अरबों रुपये कमा लेते हैं।
मान लो किसी विधायक ने रोड बनवाया। विधायक को ये नहीं पता कि ये काम जनता के पैसों से हुआ है। विधायक लोग सोचते हैं कि हमने रोड बनाकर जनता पर अहसान कर दिया है। वे इसी घमंड में चूर रहते हैं और जनता से दूरी बना लेते हैं, ऐसे लोगों को रोड बनाने के बाद जनता के पास जाना चाहिए और उन्हें बोलना चाहिए कि आपके पैसों से हमने ये काम किया है इसलिए आपका धन्यवाद। अगर कहीं पर कोई काम नहीं हो पाया तो इन विधायकों को जनता के पास जाना चाहिए और उन्हें बोलना चाहिए कि - माफ़ करना, इस बार आपका काम नहीं हो पाया, फंड पास नहीं हो पाया, अगली बार जरूर करा देंगे। ऐसा कहने पर जनता का गुस्सा समाप्त हो जाता है लेकिन फरीदाबाद के भाजपा विधायकों में ये गुण विल्कुल नहीं है। ये अपने घमंड में चूर रहकर अपने घरों में बैठे रहते हैं और जब जनता इनके पास शिकायत लेकर जाती है तो उनसे ठीक से बात भी नहीं करते।
फरीदाबाद में मोदी लहर थी लेकिन विधायकों का घमंड और अहंकार मोदी लहर को खा गया है और जनता ने इस चुनाव में अपनी समझदारी से वोट दिया है। 24 अक्टूबर को नतीजे आएंगे।
हमारी जानकारी के मुताबिक इन तीनों विधायकों से भाजपा कार्यकर्ता भी बहुत नाराज थे और इनकी टिकट बदलने की मांग कर रहे थे लेकिन भाजपा आलाकमान ने कार्यकर्ताओं की मांग नहीं मानी और इन्हें दोबारा टिकट दिया. इन्हें दोबारा टिकट मिलने के बाद आधे से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं ने इनसे दूरी बना ली और इन्हें हराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी.
तीनों विधायक हार के कगार पर हैं, अगर ये हार गए तो इससे अन्य नेताओं को सबक मिलेगा, अगर दो चार वोटों से इनकी जीत हो गयी तो इन्हें अपनी आदत बदलकर जनसेवा की भावना से काम करने की आदत डालनी होगी तभी इनकी तरक्की होगी।
हमारी जानकारी के मुताबिक इन तीनों विधायकों से भाजपा कार्यकर्ता भी बहुत नाराज थे और इनकी टिकट बदलने की मांग कर रहे थे लेकिन भाजपा आलाकमान ने कार्यकर्ताओं की मांग नहीं मानी और इन्हें दोबारा टिकट दिया. इन्हें दोबारा टिकट मिलने के बाद आधे से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं ने इनसे दूरी बना ली और इन्हें हराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी.
तीनों विधायक हार के कगार पर हैं, अगर ये हार गए तो इससे अन्य नेताओं को सबक मिलेगा, अगर दो चार वोटों से इनकी जीत हो गयी तो इन्हें अपनी आदत बदलकर जनसेवा की भावना से काम करने की आदत डालनी होगी तभी इनकी तरक्की होगी।
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