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मोदी के असली समर्थक दीपक चौधरी मोदी की तरह लेते हैं रिष्क, जीतेंगे तो चमकेंगे हारेंगे तो संघर्ष

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फरीदाबाद, 14 अक्टूबर: पूरा शहर जानता है कि फरीदाबाद नगर निगम में सबसे अधिक भ्रष्टाचार है, पूरा शहर जानता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे अधिक आवाज उठाने वाले पार्षद का नाम दीपक चौधरी है। अन्य पार्षद भ्रष्टाचार के खिलाफ इसलिए आवाज उठाने से डरते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी ग्रांट कम हो जाएगी लेकिन दीपक चौधरी इसकी परवाह नहीं करते। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके अंदर रिष्क लेने की आदत है। 

यह दीपक चौधरी का जोश, जुनून और रिष्क लेने की आदत ही है कि आज वह पार्षद हैं वरना आज उनका राजनीतिक जीवन अंधकार में होता। 

दीपक चौधरी भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के असली समर्थक हैं। प्रधानमंत्री मोदी के हर अच्छे फैसले का समर्थन करते हैं चाहे वह नोटबंदी हो, GST हो, सर्जिकल स्ट्राइक हो, एयर स्ट्राइक हो या हाल ही में धारा 370 ख़त्म किये जाने का साहसिक कदम हो। 

अब सवाल यह उठता है कि जब दीपक चौधरी प्रधानमंत्री मोदी के असली समर्थक हैं तो वह भाजपा के ही खिलाफ निर्दलीय चुनाव क्यों लड़ रहे हैं। 

आपको बता दें कि 8 जनवरी 2017 को फरीदाबाद नगर निगम के चुनाव हुए थे, दीपक चौधरी उस वक्त पूरी तरह से भाजपा नेता थे, वह वार्ड-37 से पार्षद चुनाव के लिए भाजपा की टिकट मांग रहे थे लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला और उनकी जगह महेश गोयल को टिकट मिला। 

उस समय दीपक चौधरी के सामने दो रास्ते थे - या तो चुप होकर बैठ जाना या तो अपना रास्ता खुद तय करना। अगर दीपक चौधरी चुप होकर बैठ जाते तो उनका राजनैतिक कैरियर ख़त्म हो जाता या उन्हें लंबा इन्तजार करना पड़ता। ये सब सोचकर उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया। 

उस समय प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी की थी इसलिए देश में मोदी की लहर थी। फरीदाबाद में अधिकतर सीटों पर भाजपा की जीत हुई लेकिन दीपक चौधरी ने मोदी लहर को फेल करते हुए भाजपा प्रत्याशी महेश गोयल को हराकर पार्षद चुनाव जीत लिया। 

चुनाव जीतने के बाद दीपक चौधरी ने भाजपा को समर्थन दे दिया और मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के साथ मिलकर अपने क्षेत्र के विकास के लिए काम करने लगे। 

दीपक चौधरी में एक अच्छे नेता बनने के सभी गुण हैं लेकिन राजनीति में सफलता के लिए या तो लंबा इन्तजार करना पड़ता है या रिष्क लेना पड़ता है। 2017 में रिस्क लेकर दीपक चौधरी पार्षद बने थे तो 2019 में रिष्क लेकर बल्लभगढ़ का विधायक बनना चाहते हैं। 

दीपक चौधरी के लिए रिष्क ये है कि इस बार उनकी लड़ाई सीधी बल्लभगढ़ के  भाजपा विधायक मूलचंद शर्मा से है। दीपक चौधरी ने मूलचंद शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार, उनके होटल बिजनेस, टैक्स चोरी और बिजली चोरी जैसे मुद्दों के खिलाफ आवाज उठायी है। जाहिर है कि मूलचन्द शर्मा उनसे नाराज होंगे। इसलिए अगर चुनाव में मूलचंद शर्मा की जीत हुई तो दीपक चौधरी के रास्ते कठिन हो जाएंगे। दीपक चौधरी ढाई साल के लिए पार्षद तो बने रहेंगे लेकिन विधायक से पंगा लेने की कीमत उन्हें चुकानी पड सकती है। 

वैसे रिष्क लेने वाले नेता ही कामयाब होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी, GST, सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और धारा 370 ख़त्म करने का फैसला रिष्क लेकर किया है और आज वह पूरी दुनिया में मशहूर हैं, इसी तरह से दीपक चौधरी ने भाजपा के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़कर रिष्क लिया है लेकिन अगर उनकी जीत हुई तो मुख्यमंत्री मनोहर और प्रधानमंत्री मोदी की नजर उनपर जरूर पड़ेगी और हो सकता है कि दीपक चौधरी को उनका आशीर्वाद मिल जाए। 

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आपको बता दें कि दीपक चौधरी को गैस सिलेंडर चुनाव चिन्ह मिला हुआ है जबकि भाजपा का चुनाव चिन्ह कमल है।  अब देखते हैं कि 21 अक्टूबर को सिलेंडर का बटन ज्यादा दबता है या कमल का. जीत किसी की भी हो लेकिन भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि दीपक चौधरी मोदी-मनोहर का आशीर्वाद जरूर लेंगे। 
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