फरीदाबाद: अदालतों में अपराधियों को सजा काटने के लिए जेल में भेज दिया जाता है ताकि उन्हें गलत काम करने का सबक मिले और उनकी जिंदगी में बदलाव आये, इसीलिए जेलों को बंदी सुधार गृह भी कहा जाता है लेकिन फरीदाबाद की नीमका जेल में बंदियों और कैदियों को सुधारने के बजाय बिगाड़ने का काम हो रहा है.
जेल में सबसे अधिक विक्री बीड़ी और सिगरेट की होती है, कैदी दिन-रात बीड़ी पीते हैं और साथ में बैठकर ताश खेलते हैं. हर बैरक में करीब 25 बंदी होते हैं, सीमेंट के तख़्त होते हैं जिसे बेड का आकार दिया जाता है, उसी पर बैठकर बंदी और कैदी बीड़ी पीते हुए ताश खेलते हैं, पूरा बैरक धुंवा धुंवा हो जाता है, जो बंदी बीडी-सिगरेट नहीं पीता उसे भी धुंवे को निगलना ही पड़ता है, अगर कोई आदमी बंदियों को बीडी-सिगरेट पीने से रोकता है तो उसकी पिटाई भी होती है इसलिए ऐसे जहमत कोई नहीं लेता.
जेल में बीडी का पैकेट 30-40 रुपये में मिलता है, जो बहुत अमीर बंदी होते हैं वे 200-500 रुपये तक में सिगरेट खरीदकर पीते हैं और बैरक में अपनी धाक जमाते हैं. जब लड़ाई-झगड़ा-मारपीट और दंगों की वजह से बैरक को बंद कर दिया जाता है तो बंदी लोग हजार-हजार रुपये में बीडी-सिगरेट का पैकेट खरीदकर पीते हैं क्योंकि अधिकतर बंदी नशे की लत की वजह से अपराध करते हैं.
अब सवाल यह उठता है कि जब जेल में बीडी, सिगरेट और अन्य नशीले पदार्थों की सप्लाई हो रही है, बंदी लोग खुलेआम ये सब ग्रहण कर रहे हैं तो इनकी जिंदगी में सुधार कैसे आएगा. जिस नशे की वजह से अपराधी अपराध करते हैं, अगर वही नशा उन्हें जेलों में मिल रहा है, सरकार खुलेआम बेच रही है, कैंटीन में खुलेआम ये सब चीजें बिक रही हैं तो बंदियों की आदत कैसे सुधरेगी.
यह सब चीजें मैंने खुद देखी हैं, मुझे भी 7 दिनों तक नीमका जेल में रहने का मौका मिला, जेल में हो रही हर करतूत को मैंने अपनी आँखों से देखा. जेल में बिकने वाली बीडी-सिगरेट और अन्य नशीले पदार्थ बंदियों को सुधारेंगे नहीं बल्कि उन्हें और बिगाड़ देंगे इसलिए मैं नीमका जेल को बंदी सुधार-गृह नहीं बल्कि बंदी-बिगाड़-गृह कहा है, सरकार और प्रशासन को इसपर ध्यान देना चाहिए वरना अपराध को ख़त्म करना का उनका दावा खोखला साबित होगा.
कैदियों को नहीं सिखाया जाता कोई हुनर, सरकार का दावा झूठा
कभी कभी यह भी खबर आती है कि हरियाणा सरकार और जिला प्रशासन नीमका जेल में बंद बंदियों को हुनर सिखाकर उन्हें रोजगार के काबिल बना रही है लेकिन सरकार के ये दावे विल्कुल गलत हैं, बंदियों के लिए ऐसे कोई व्यवस्था नहीं है, बंदी लोग सिर्फ बीडी-सिगरेट पीकर ताश खेलते हैं और खाना खाकर सो जाते हैं, बंदियों को सुधारने का कोई भी कार्यक्रम नीमका जेल में नहीं है.
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