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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से कभी बर्बाद नहीं होंगे किसान, करवालें बीमा: पवन कुमार शर्मा

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पलवल, 25 दिसम्बर। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पलवल के उपनिदेशक पवन कुमार शर्मा ने प्रधानमन्त्री फसल बीमा के बारे में जागरुकता शिविर लगाकर व गोष्ठियां तथा सेमिनार में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमन्त्री फसल बीमा से प्राकृतिक आपदा के समय किसानों के नुक्सान की भरपाई की जाती है. इसके अलावा अगर किसी अन्य कारणों से किसानों की फसलें बर्बाद होती हैं तो भी नुकसान की भरपाई की जाती है.

बीमा योजना से पहले की स्थिति

उन्होंने बताया कि कई बार किसानों की फसल प्राकृतिक आपदाओं ओला, जलभराव आदि से नष्ट हो जाती थी तो किसानों का पूरे वर्ष का बजट गड़बड़ा जाता था तथा बैंक से लिया गया ऋण का बोझ उसका सारा चैन छीन लेता था। 2015-16 से पहले राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना व संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना चल रही थी। इन योजनाओं में कुछ ऐसे प्रावधान थे जिनसे किसानों को अधिक प्रीमियम देने के बाद भी नुकसान का सही मुआवजा नहीं मिल पा रहा था। बीमित प्रीमियम ज्यादा होने पर भी प्रीमियम की कैंपिंग के कारण बीमा की मूल राशि घटा दी जाती थी तथा ज्यादा जोखिम वाले जिलों में प्रीमियम भी ज्यादा देना पडता था तथा किसानों के दावों के भुगतान में भी काफी देर हो जाती थी। ये योजनाएं किसान के लिए ज्यादा मददगार व फायदेमंद नहीं थी। इस कारण 2015-16 में इन्हें बन्द करके नयी बीमा योजना लागू की गयी।

नई योजना, प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना

उपनिदेशक ने बताया कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी ने अन्नदाता किसान की प्राकृतिक आपदा से फसल नुकसान होने पर उसके ऊपर मंडराते आर्थिक संकट के समाधान के लिए नई बीमा योजना, प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना के नाम से शुरु की गयी। इस योजना में किसानों को पुरानी सभी योजनाओं की तुलना में सबसे कम प्रीमियम राशि देनी होती है। इससे किसान को प्रीमियम का बोझ अब महसूस नहीं होता। इस बोझ की वजह से ही पहले बहुत से किसान बीमा नहीं कराते थे।

नई योजना में प्रीमियम

पवन कुमार शर्मा ने बताया कि प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना में अब सभी फसलों के लिए खरीफ में दो प्रतिशत रबी में ज्यादा से ज्यादा 1.5 प्रतिशत प्रीमियम की दर रखी गई है। शेष प्रीमियम राशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है। बागवानी व व्यवसायिक फसलों के लिए प्रीमियम की दर ज्यादा से ज्यादा 5 प्रतिशत की गयी है जो पहली दरों से बहुत कम है। अब किसानों को बीमित राशि की पूरी रकम के अनुसार पूरा हर्जाना मिलेगा। नई योजना प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना के तहत बैंक, के सी सी खाता धारक किसानों, जिन्हें ऋणी किसान कहा जाता है का प्रीमियम बीमा कम्पनियों के पास अपने आप भेज देते हैं तथा उन किसानों का बीमा हो जाता है। अन्य गैर ऋणी किसान निकटतम बैंक या तय की गयी बीमा कम्पनियों के एजेन्ट के माध्यम से या ई दिशा केन्द्र से आन लाईन बीमा करा सकते हैं।

प्रधानमन्त्री फसल बीमा में खेतवार आकलन

इस योजना में ओला पडने, जमीन धंसने व जलभराव से नुकसान होने पर खेतवार नुकसान का आकलन होता है। ठीक इसी प्रकार फसल कटाई के बाद खेत में पडी फसल को 14 दिन के भीतर चक्रवात व मौसम बरसात से नुकसान होने पर भी खेतवार आकलन करके भुगतान का नियम बनाया गया है। प्रभावित किसान को नुकसान के 48 घंटे के अन्दर लिखित सूचना उप कृषि निदेशक कार्यालय में देनी होगी। कम वर्षा या विपरीत मौसम आदि के कारण यदि गांव के 75 प्रतिशत रकवे में फसल नहीं बोयी जा सकी तो भी कलेम प्रभावित किसानों को मिलेगा। गांव में किसी फसल की पैदावार जो बीमा में कवर की गयी है। औसत पैदावार से कम पाये जाने पर कलेम का भुगतान गांव के सभी किसानों को दिया जाता है। इस प्रकार प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना किसानों की हर तरह की आपदाओं में सुरक्षा कवच का कार्य कर रही है। इस प्रकार निसंदेह यह योजना अब तक की सबसे किसान हितैषी योजना है। जिसमें किसान के नुकसान की भरपाई करके उसकी आर्थिक स्थिति को सुधारना योजना का मूलमंत्र है।
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Palwal

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