फरीदाबाद, 5 अक्टूबर 2021: फरीदाबाद कोट गांव के रहने वाले तेजवीर मावी ने अरावली के जंगलों और पहाड़ों में प्राचीन निशान और आदिमानव सभ्यता की निशानियों की खोज की है, अरावली पहाड़ों के विशालकाय पत्थरों पर बने इन चिन्हों और कलाकृतियों को उन्होंने कई लाख वर्ष पुराने होने का दावा किया है।
तेजवीर मावी की खोल और प्राचीन चिन्हों और कलाकृतियों को देखने के लिए गुरुग्राम सेक्टर-14 थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर सत्येंद्र रावल भी कल अरावली के जंगलों में पहुंचे और उन्होंने भी प्राचीन चिन्हों और कलाकृतियों को देखकर आश्चर्य व्यक्त किया और तेजवीर मावी की प्रशंसा की। इस अवसर पर कोट गाँव के सरपंच केसर सिंह भी मौजूद रहे और उन्होंने भी तेजवीर मावी की प्रशंसा की।
आपको बता दें कि अरावली की पहाड़ियों में अनेक ऐसी धरोहरें हैं, जिनका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। कोटगांव के तेजवीर मावी ने मंदिर में लगे निशानों से बेहद ही कोमल निशानों की खोज की है, जिसमें एक लाख साल पुराने पत्थर के औजार और आदिमानव की गुफाएं शामिल हैं, कोटगांव के रहने वाले तेजवीर मावी ने बताया कि ‘अरावली के अंदर ऐसी कई अहम चीजें हैं जो हमें हमारे इतिहास के बारे में बताती हैं इसलिए हम सब को मिलकर इस अनमोल धरोहर को बचाना है, सरकार एवं पुरातत्व विभाव को चाहिए कि इस धरोहर की पहचान करें और इसे संरक्षित करें।
आपको बता दें कि तेजवीर मावी अपने दैनिक काम करने के बाद हर रोज पहाड़ियों पर जाकर नई खोज करते रहते हैं, वह कोट गाँव एवं आस पास के अरावली क्षेत्र में घूमते रहते हैं, बड़े बुजुर्गों से नई-नई जानकारी लेते हैं, उन्होंने जैसे ही कुछ नयी जानकारी मिलती है या चिन्ह मिलते हैं मीडिया के जरिये इसे सामने लाते हैं।
तेजवीर ने अबतक आदिमानव की गुफाएं, शैलचित्र, जानवरों के पंजे, लाखों साल पुरानी गुफाओं के अंदर जानवरों के चित्र समेत कई चीजों की खोज की है, उन्होंने 20 किलोमीटर के दायरे में रिसर्च शुरू की, रिसर्च के दौरान पत्थर के औजार मिलने के बाद उन्होंने अपने कोटगांव के 15-20 किलोमीटर की परिधि में रिसर्च शुरू की। दिल्ली यूनिवर्सिटी की मदद से पत्थर के औजार को पहचानने में आसानी मिली।
तेजवीर मावी बताते हैं कि ‘पुरा पाषाण, मध्य पाषाण और नव पाषाण काल से जुडी चीजों की खोज कर रहा हूँ, उन्होंने बताया कि खोज करने में कोट गांव के मुखिया केसर सरपंच से भी उन्हें काफी मदद मिली, कोटगांव सहित अरावली की अलग-अलग जगहों पर हजारों साल पुरानी चीजें मिल सकती हैं, जिनको म्यूजियम में संरक्षित किया जा सकता है।
अरावली को सरकार करे संरक्षित।
अरावली को संरक्षित करने की पहल करने वाले पर्यावरण और वन्य जीव प्रेमी संजय राव ने बताया कि अरावली में पहले माइनिंग और अवैध कब्जों ने तबाही मचा दी, यहाँ पर वन्य जीवों के अलावा कई ऐतिहासिक चीजें हैं, जिनको सरकार को संरक्षित करना होगा। ये चीजें न सिर्फ फरीदाबाद की बल्कि पूरे प्रदेश की धरोहर हैं।
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