फरीदाबाद, 13 दिसंबर: कृषि कानून के विरोध में पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ दिनों के किसान, आढ़ती एवं दलाल आंदोलन कर रहे हैं, इस आंदोलन का समर्थन करीब 22 विपक्षी पार्टियां भी कर रही हैं और आंदोलन में इन पार्टियों के कार्यकर्ता भी किसान बनकर शामिल हुए हैं.
आंदोलनकारियों का मकसद है कि दिल्ली की कई सड़कों और बॉर्डर को जाम करके सरकार को इतना आर्थिक नुकसान पहुंचा दिया जाय कि सरकार कृषि कानूनों को वापस ले ले.
आंदोलनकारियों का मकसद कुछ कामयाब भी होता दिख रहा है, करीब 15 दिन से चल रहे धरने से सरकार को काफी नुकसान हुआ है लेकिन इस नुकसान की भरपाई आम जनता को ही करनी पड़ रही है. पेट्रोल कंपनियों ने पिछले 15 दिनों में पेट्रोल के दाम डेढ़ रुपये तक बढ़ा दिए.
एक तरह से कहें तो आम जनता को इस आंदोलन से काफी नुकसान हो रहा है, सरकारों का क्या है, जनता से ही टैक्स लेकर सरकारें देश चलाती है, जब सरकारी खजाने को नुकसान होता है तो सरकार जनता पर टैक्स का बोझ और लाद देती है.
31 दिसंबर को पेट्रोल का दाम 80.63 रुपये था लेकिन आज पेट्रोल का दाम 82.13 रुपये फरीदाबाद में है, दिल्ली में एक रुपये और मंहगा है और दिल्ली की जनता को मंहगाई की मार और अधिक झेलनी पड़ रही है.
अगर यह आंदोलन कुछ दिन और जारी रहा और आंदोलनकारियों की मंशा के मुताबिक़ तीन चार महीनें आंदोलन जारी रहा तो पेट्रोल डीजल के दाम 100 रुपये तक जा सकते हैं, एक प्रमुख विपक्षी पार्टी ने भी इसकी तरफ इशारा किया है. अगर ऐसा हुआ तो जनता पर मंहगाई की मार और अधिक पड़ेगी।
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