उपनिदेशक पशुपालन एवं डयरिग विभाग नीलम आर्य ने बताया कि पहली बार पशुओं के कानों में टैग लगाकर टीकाकरण करने का कार्य किया जाएगा। टैग लगाने के साथ-साथ पशुओं का रजिस्ट्रेशन भी ऑनलाइन किया जाएगा। जिला के सभी पशुओं के टैगिंग की जाएगी ताकि टीकाकरण या अन्य सुविधाओं का लाभ पशुपालक उठा सकें।
उन्होंने पशुपालकों से अनुरोध किया है कि वे अपने सभी पशुओं की टेगीग जरूर करवाएं । उन्होंने बताया कि मुंह खुर रोग यह एक विषाणु जनित बीमारी है। इस बीमारी में पशु के मुंह में छाले व पैर में घाव हो जाते हैं तथा तेज बुखार आता है। पशु दूध देना बंद कर देता है । वह पूर्ण रुप से नकारा व कमजोर हो जाता है। इन दोनों बीमारियों में पशुपालक को नुकसान झेलना पड़ता है। इसमें बीमारी से ग्रसित पशु की मृत्यु हो जाती है या पशु दूध देना बंद कर सकता है।
उपनिदेशक ने बताया कि कई पशुपालकों में यह भ्रम है कि टीकाकरण से दूध घटता है या गर्भपात होता है। जबकि यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सही नहीं है कई बार को थोड़ा बहुत बुखार की शिकायत हो सकती है। या टीके वाली जगह पर गांठ बन सकती है। परंतु नुकसान वाली कोई बात नहीं होती।
उन्होंने कहा कि टीकाकरण के समय तुरंत टीका वाली जगह पर मालिश कर देनी चाहिए ताकि गांठ न बने। उन्होंने सभी पशु पालकों से अपील की है, कि वे अपने सभी पशुओं को टीका अवश्य लगाएं तथा इस राजकीय कार्यक्रम में भागीदार बनें । उन्होंने बताया कि सामान्य वर्ग के पशुपालको के बीमा 100 रुपये मे तथा एससी वर्ग के पशु पालकों का बीमा निशुल्क किया जाता है.
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