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किसान आंदोलन को फायदे की नजर से क्यों देख रही है मोदी सरकार, क्यों नहीं रुकवा रही धरना, पढ़ें

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फरीदाबाद, 7 दिसंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आमदनी डबल करने का वादा किया है और इसी सपने को पूरा करने के लिए वह कृषि कानून लाये हैं ताकि सरकारी मंडियों के अलावा प्राइवेट मंडियां भी खुलें और किसानों को फसल बेचने के कई विकल्प मिलें, जहाँ पर किसानों को अधिक दाम मिलेगा वहां पर वे फसल बेच सकेंगे।

किसान संगठन मोदी सरकार के कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं और इसे वापस लेने की मांग हो रही है, पिछले 11 दिनों से दिल्ली में इकठ्ठे होकर किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं, दिल्ली के अधिकतर रास्ते जाम हैं लेकिन किसानों के धरने से केंद्र सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है जबकि पहले की ख़बरों में आपने पढ़ा होगा कि एक दो दिन के जाम से ही सरकारें झुक जाती हैं.

केंद्र सरकार को क्यों नहीं पड़ रहा आंदोलन से फर्क

अगर कृषि कानून को छोड़ दें तो किसान आंदोलन से केंद्र सरकार के पिछले कामों का प्रचार भी हो रहा है, यह प्रचार पूरी दुनिया में हो रहा है क्योंकि इस आंदोलन पर पूरी दुनिया की नजर है.

अगर आप ध्यान दें तो किसान कह रहे हैं कि कृषि कानून से MSP ख़त्म हो जाएगी और सरकारी मंडियां भी ख़त्म हो जाएंगी, मतलब किसान यह मान रहे हैं कि केंद्र सरकार वर्तमान में किसानों की फसल पर उचित MSP दे रही है और किसानों को यह MSP खोने का डर है.

इसी तरह से किसान सरकारी मंडियों को ख़त्म होने की आशंका जता रहे हैं मतलब वे इशारों इशारों में यह भी मान रहे हैं क़ि उन्हें सरकारी मंडी व्यवस्था पर भरोसा है.

इससे पहले आप सुनते रहे होंगे कि किसानों को MSP नहीं मिल रही है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं लेकिन इस आंदोलन में यह सुनायी दे रहा है कि MSP मिल रही है और किसान MSP आगे ना मिलने को लेकर आशंकित हैं और कृषि बिलों का विरोध कर रहे हैं, इसमें से आधे संगठन सिर्फ MSP जारी रखने का लिखित में आश्वासन चाहते हैं और केंद्र सरकार भी इसके लिए तैयार दिख रही है.

MSP का कानून बनाने पर केंद्र से खुश हो जाएंगे किसान

मोदी सरकार को अभी चार साल बचे हैं, बहुमत की सरकार है इसलिए गिरने का कोई डर नहीं है, MSP पर अभी तक कोई कानून नहीं है, अगर केंद्र सरकार MSP का कानून बना देगी तो आधे किसान संगठन धरना ख़त्म कर देंगे, पंजाब के कुछ किसान संगठन कृषि कानून को ख़त्म करने की मांग कर रहे हैं, यह मांग शायद ही मानी जाएगी क्योंकि मोदी सरकार ने किसानों को डबल इनकम का वादा किया है, अब किसान ये तो कहेंगे नहीं कि हमें डबल इनकम नहीं चाहिए, ये कानून वापस ले लो, अगर कह भी देंगे तो मोदी सरकार भी कहेगी कि आप इसी में खुश है तो हम कानून ख़त्म कर रहे हैं. इससे भी मोदी सरकार का प्रचार ही होगा, कम से कम दुनिया यह तो देखेगी कि मोदी सरकार के काम से किसान खुश हैं सिर्फ कृषि कानून का विरोध हो रहा था.

समझे क़ि नहीं

उपरोक्त बातें पढ़कर आप समझ गए होंगे कि केंद्र सरकार को आंदोलन से फर्क क्यों नहीं पड़ रहा है, केंद्र के अलावा भाजपा का भी किसान आंदोलन से फायदा हो रहा है, दिल्ली के अधिकतर बॉर्डर बंद हैं, और डीटी रोड जाम होने से पंजाब की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी, दिल्ली और पंजाब में मंहगाई बढ़ेगी, जनता परेशान होगी और यहाँ की सरकारों के खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी पैदा होगी, इन राज्यों में भाजपा को वापसी करने में आसानी होगी। इसलिए धरना 6 महीनें तक भी चले तो केंद्र सरकार और भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।

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