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रंग लाई मंत्री कृष्णपाल गुर्जर की कोशिश, CM मनोहर ने IAS रानी नागर के इस्तीफे को किया नामंजूर

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फरीदाबाद, 7 मई: फरीदाबाद के सांसद और मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर की कोशिश रंग लाई है, हरियाणा सरकार ने रानी नागर के इस्तीफे को नामंजूर कर दिया है. मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने खुद इस बात की जानकारी दी.

मैं आप सब से एक ख़ुशी का समाचार सांझा कर रहा हूँ कि हरियाणा कैडर की आईएएस अधिकारी रानी नागर का इस्तीफ़ा माननीय मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी ने नामंज़ूर कर दिया है। इस्तीफ़ा नामंज़ूर करने के लिए मैं मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी का दिल की गहराइयों से आभार प्रकट करता हूँ। मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी इसलिए भी बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने उदारता दिखाते हुए बिटिया रानी नागर का आईएएस कैडर हरियाणा से उनके गृह राज्य में बदलने की भी सिफ़ारिश केंद्र सरकार से की है।

रानी नागर को इंसाफ़ दिलाने के लिए किए जा रही कोशिशें रंग लाई हैं। हमारी कोशिश यही है कि रानी नागर बिटिया के साथ किसी भी क़िस्म की नाइंसाफ़ी ना हो पाए। इसके लिए हरियाणा सरकार में शीर्ष स्तर से लगातार बातचीत की जा रही थी। हमने पहले भी आश्वस्त किया था कि चूंकि हरियाणा सरकार बेटियों के हितों के लिए संवेदनशील है और रानी नागर बिटिया के हितों पर किसी क़िस्म की आँच नहीं आने दी जाएगी। मेरा आशीर्वाद सदैव बिटिया रानी नागर के साथ है।

इस्तीफे से दुखी हुए थे मंत्री कृष्णपाल गुर्जर

इससे पहले 5 मई को मंत्री कृष्णपाल गुर्जर IAS रानी नागर के नौकरी से इस्तीफ़ा देने पर दुःख जताया था, उन्होंने कहा - हरियाणा की आइएएस अधिकारी रानी नागर के नौकरी से इस्तीफ़ा देने की खबर मेरे लिए अत्यंत निराशाजनक और पीड़ादायक है। बिटिया रानी नागर गुर्जर समाज की पहली महिला आईएएस अधिकारी होने के कारण युवाओं, ख़ासकर लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। 

मैं रानी बिटिया से इस्तीफ़ा वापस लेने की अपील करता हूं। मैं इस बारे में हरियाणा सरकार, बिटिया रानी नागर, उनके परिजनों और अपने समाज के लोगों से बातचीत कर इस मामले के समाधान में सक्रियता से लगा हूं।

मैं कांग्रेस के नेताओं को भी कहूंगा कि वो इस संवेदनशील मामले में राजनीति करने से बाज आएं। जो लोग विधायक रहते अपने पांच बरस के कार्यकाल में महज़ सात दफा ही विधानसभा में गए हों, उनकी असलियत हरियाणा की जनता अच्छे से जानती है। 

कैथल से विधायक होने के बावजूद विधायक बनने के लिए ही जींद उपचुनाव लड़ने वाले इन समाज के तथाकथित ठेकेदारों की राजनीतिक सोच पर मुझे तरस आता है। चूंकि जनता ने इनको दो चुनाव (पहले जींद उपचुनाव में जहां मुश्किल से इनकी ज़मानत बची और फिर कैथल में) हरा कर एकदम ठाली बिठा दिया है, इसलिए अब ये बेतुकी बयानबाज़ी कर खबरों में बने रहने की नाकाम कोशिश में दिन रात लगे रहते हैं।
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