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पृथला में अपनाया गया कमल खिलाने का Indirect तरीका, भाजपा के कट्टर विरोधियों के भी ले लिए गए वोट

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पृथला, 25 अक्टूबर: पृथला में भाजपा ने नयनपाल रावत को दो बार टिकट दिया लेकिन दोनों बार उनकी हार हुई, ऐसा इसलिए क्योंकि पृथला में जातिवाद और धर्मवाद चलता था। नयनपाल रावत ठाकुर समाज के हैं इसलिए पंडित, जाट और मुस्लिम उनसे दूर रहते थे और कुछ वोटों के अंतर से नयनपाल की हार हो जाती थी। जातिवाद के चलते पृथला में कमल खिलाना असंभव सा लग रहा था लेकिन इस बार पृथला में कमल खिल ही गया.

बात दरअसल ये हुई कि पृथला में भाजपा ने सोहनपाल छोकर को टिकट दिया जो राजपूत समाज से हैं लेकिन उन्होंने जातिवाद का कार्ड नहीं खेला और चुनाव प्रचार के दौरान सबकी बात करते रहे। 

इस बार भाजपा ने नयनपाल रावत को टिकट नहीं दिया। नयनपाल रावत ठाकुरों के लीडर माने जाते हैं, पृथला में करीब 20 हजार ठाकुर वोट हैं। नयनपाल रावत को हर बार ठाकुरों की वोट तो मिलती थी लेकिन अन्य समाज के लोग उन्हें एकतरफा वोट नहीं करते थे।

नयनपाल रावत को जब भाजपा की टिकट नहीं मिली तो उन्होंने भाजपा से बगावत कर दी और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया। नयनपाल रावत की जिद थी कि पृथला में किसी भी कीमत पर भाजपा को हराना है। इसके लिए नयनपाल रावत ने चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा पर जमकर हमला किया, पार्टी पर टिकट बेचने का आरोप लगाया, खुद को पीड़ित और बर्बाद बताकर सुसाइड करने की धमकी दी। 

नयनपाल रावत की भाजपा को हराने की जिद देखकर भाजपा के कट्टर विरोधियों ने भी उन्हें वोट दे दिया। भाजपा के कट्टर विरोधियों ने सोचा कि पृथला में भाजपा को अब नयनपाल रावत ही हरा सकता है इसलिए कांग्रेस और बसपा की बजाय नयनपाल रावत को एकतरफा वोट पड़े। ऐसा कहा जाता है कि मुस्लिम समाज भाजपा को बहुत कम वोट करते हैं लेकिन पृथला में मुस्लिम समाज ने भी नयनपाल रावत को एकतरफा मतदान किया। इस बार नयनपाल रावत और भाजपा विरोधियों का मकसद एक ही था। 

अंत में नयनपाल रावत और भाजपा विरोधियों, दोनों की मेहनत सफल रही। पृथला में भाजपा की जामनत जब्त हो गयी. अब आप समझिये, पृथला में भाजपा की भले ही करारी हार हुई हो लेकिन वहां पर भी कमल ही खिला है क्योंकि नयनपाल रावत ने भाजपा को अपनी पुरानी पार्टी बताते हुए भाजपा को समर्थन दे दिया है. अब उनका सस्पेंशन भी वापस ले लिया जाएगा और वह भाजपा विधायक ही कहे जाएंगे।  

नयनपाल रावत के भाजपा में मिलने के बाद लोग तरह तरह की बातें कर रहे हैं, कुछ लोग कह रहे हैं कि भाजपा ने पृथला में कमल खिलाने के लिए गेम खेला है। नयनपाल रावत को पार्टी से सस्पेंड करके पहले उनके समर्थकों को भड़काया गया ताकि भाजपा विरोधी भी भाजपा को हराने के लिए नयनपाल रावत के साथ मिल जाएं और भाजपा के खिलाफ एकतरफा मतदान हो. लोगों का कहना है कि भाजपा इस बार दूसरे तरीके से पृथला में कमल खिलाना चाहती थी। मतलब कमल खिलाने का इनडाइरेक्ट तरीका अपनाया गया है जो कामयाब हुआ है।

चुनाव प्रचार के दौरान एक चीज बहुत ही दिलचस्प रही। नयनपाल रावत ने कृष्णपाल गुर्जर पर टिकट बेचने का और सोहनपाल पर टिकट खरीदने का आरोप लगाया गया, दोनों के खिलाफ जनता को खूब भड़काया गया लेकिन दोनों ने कभी इसका खंडन नहीं किया, यही नहीं दोनों नेताओं ने नयनपाल पर सॉफ्ट नीति अपनाई, अब लोग कह रहे हैं इसकी पहले ही सेटिंग कर ली गयी थी, सोहनपाल छोकर को बोल दिया गया था कि न तो आप खुद को ठाकुर बताना और ना ही नयनपाल के खिलाफ कठोर शब्दों का इस्तेमाल करना, ऐसा करने पर ठाकुर वोट बंट जाते और नयनपाल को नुकसान होता। ये सब भाजपा के कट्टर विरोधियों के वोट लेने के लिए किया गया था, नयनपाल रावत को ना सिर्फ वोट मिले, उन्हें खूब नोट भी मिले और चुनाव जीतकर वह फिर से भाजपा में आ गए। एक तीर से कई कई शिकार कर लिए गए। रही बात सोहनपाल की, उन्हें कोई पद देकर खुश कर दिया जाएगा।

अगर नयनपाल को मिलती BJP टिकट तो तय थी कांग्रेस की जीत

मान लो नयनपाल को पहले ही टिकट मिल जाती तो सीन कुछ अलग होता। ना ही उनकी आँखों में आंसू आते, ना ही वह सुसाइड की बात करते। पब्लिक पहले ही तरह वोट करती और इस बार कांग्रेस प्रत्याशी रघुवीरा की जीत होती क्योंकि पृथला में जाट वोटर अर्वाधिक हैं लेकिन इस बार जाट वोटर ने भी भाजपा को हराने के लिए नयनपाल रावत को वोट दे दिया और रघुवीरा को हरा दिया। 
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