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फरीदाबाद में हर सीट पर 50-50 में भाजपा, आखिर डेढ़ महीनें में ऐसी क्या गलती हो गयी खट्टर से, पढ़ें

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फरीदाबाद, 23 अक्टूबर: फरीदाबाद जिले की 6 सीटों में से एक भी सीट पर भाजपा की एकतरफा जीत नहीं हो रही है, हर सीट पर कांटे की टक्कर हैं, भाजपा प्रत्याशी भी डरे डरे से दिखाई दे रहे हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं कि सिर्फ डेढ़ महीनें में ऐसा क्या हो गया कि फरीदाबाद में भाजपा की ये दुर्गति हो गयी। 

करीब दो महीनें पहले 28 अगस्त को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने फरीदाबाद में जन आशीर्वाद यात्रा निकाली थी, उस समय हर कोई यही कहता था कि फरीदाबाद में एकतरफा भाजपा का माहौल है। सभी सीटों पर भाजपा की जीत होगी लेकिन मुख्यमंत्री की यही जन आशीर्वाद यात्रा उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई। 

आपको याद होगा कि ठीक इसी तरह से लोकसभा चुनाव से पहले कोंग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा ने परिवर्तन बस यात्रा निकाली थी, उस समय विधानसभा टिकट के दावेदार कोंग्रेसी नेताओं ने जगह जगह उनका स्वागत किया था और अपना शक्ति प्रदर्शन किया था। सभी ने एक दूसरे का पत्ता काटने के लिए एक दूसरे से अधिक भीड़ जुटाने का प्रयास किया था और इसकी वजह से कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ गयी थी। उस समय कांग्रेस में गुटबाजी देखकर भाजपा नेता बहुत खुश हुए लेकिन खट्टर की जन आशीर्वाद यात्रा में खुद भाजपा ने यही गलती कर दी। 

जब मनोहर लाल खट्टर की जन आशीर्वाद यात्रा का प्लान बनाया गया तो भाजपा नेताओं को यह सन्देश दिया गया कि जो ज्यादा भीड़ जुटाएगा उसे टिकट मिल सकता है। यही सोचकर सभी विधानसभा के टिकट के दावेदारों ने अपनी अपनी सभा में खूब भीड़ जुटाने का प्रयास किया। करीब करीब सभी नेताओं की सभा में भीड़ जुटी और सभी खुद को टिकट का दावेदार मानकर अपने अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने लगे। इसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सबसे बड़ी गलती ये थी कि उन्होंने भी सभी नेताओं को एक ही तरह का आशीर्वाद दिया। सबको बोल दिया गया कि तैयारी करो। 

इसके बाद सभी भाजपा नेता अपने अपने क्षेत्रों में खुद को टिकट का दावेदार बताकर चुनाव प्रचार करने लगे, चुनाव प्रचार में जमकर पैसा खर्च किया जाने लगा। टिकट का फैसला करने में देरी की गयी। उससे पहले अधिकतर नेताओं ने खुद को टिकट का दावेदार बताकर अपने अपने क्षेत्रों में जनसम्पर्क कर लिया था। इन नेताओं के समर्थक और रिश्तेदार भी काफी खुश थे। 

लेकिन, 

जब भाजपा की टिकट का फैसला हुआ तो उन सभी भाजपा नेताओं के पैरों तले जमीन खिसक गयी जिन्होंने खुद को टिकट का दावेदार बताकर जनसम्पर्क किया था और लाखों रुपये खर्च किये थे। अगर इन्हें पहले ही बता दिया जाता कि आपको टिकट नहीं मिलेगी तो ना ही ये लाखों रुपये खर्च करते, ना ही ये अपने समर्थकों और रिश्तेदारों को खुद को टिकट का दावेदार बताकर चुनाव प्रचार करते और ना ही इन्हें दुःख होता लेकिन चुनाव के 15 दिन पहले इन्हें टिकट ना देकर जोर का झटका दिया गया जिसे अधिकतर भाजपा नेता सहन नहीं कर पाए। 

टिकट ना मिलने से भाजपा नेताओं की बेइज्जती भी खूब हुई, जो नेता खुद को टिकट का दावेदार बताकर जनसम्पर्क करे और उसे टिकट ना मिले, ऐसे में उसकी क्या हालत होगी इसका आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं। मतलब जो नेता तन-मन-धन से दशकों से पार्टी की सेवा करते आ रहे थे, पार्टी की गलत नीतियों की वजह से उनकी सरेआम नाक कट गई, जहाँ भाजपा को टिकट काटने चाहिए थे वहां से विधायकों को फिर से टिकट दी गयी, जिनकी जीत पक्की लग रही थी उनकी टिकट काट दी गयी, जहाँ पर दशकों से भाजपा नेता पार्टी की सेवा कर रहे हैं उन्हें टिकट ना देकर दलबदलुओं को टिकट दी गयी। 

अब इसे मुख्यमंत्री मनोहर ली गलती मानें या किसी और की, लेकिन फरीदाबाद में भाजपा को ये गलती बहुत भारी पड़ी है, यह यात्रा हरियाणा की सभी 90 विधानसभा में निकाली गयी थी इसलिए हो सकता है कि हर जगह गुटबाजी को बढ़ावा मिला हो। 

कांग्रेस ने खट्टर वाली गलती नहीं की, टिकट बंटने से पहले हुड्डा-शैलजा ने सभी नेताओं की एक मीटिंग बुलाई और सभी को बता दिया गया कि, आप सभी लोग तैयारी कर रहे हैं लेकिन टिकट किसी एक को ही मिलेगी, इसलिए आप लोग पार्टी का साथ दें, एकजुट होकर चुनाव लड़ें, इसके बाद कांग्रेस ने मजबूत प्रत्याशी उतारे, किसी भी विधानसभा में गुटबाजी नहीं दिखी, सभी नेताओं ने एकजुट होकर सिर्फ कांग्रेस को जिताने के लिए चुनाव लड़ा, इसी वजह से आज कांग्रेस मजबूत पोजीशन में दिख रही है जबकि भाजपा नेता टेंशन में दिख रहे हैं। 24 अक्टूबर को नतीजे आएंगे। 
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