फरीदाबाद: शहर के विभिन्न जगहों पर गरीबों के लिए बने लगभग 5000 फ़्लैट लगभग पूरी तरह से जर्जर हो गए लेकिन सम्बंधित अधिकारी सोते रहे। अब जब मैंने इन्हे आइना दिखाया तक ये कुछ जगहों पर फ्लैटों का निरीक्षण करने पहुंचे। इन अधिकारियों को डबुआ कालोनी में बने फ़्लैट भी देखना चाहिए जहाँ के सैकड़ों फ़्लैट पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। ये कहना है बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एल एन पाराशर का जिन्होंने इन जर्जर फ्लैटों का मामला उठाया था। वकील पाराशर ने कहा कि मुझे सूचना मिली कि शुक्रवार को हुडा एडमिस्ट्रेटर धर्मेंद्र सिंह की अध्यक्षता में उनके विभाग के कई अधिकारियों ने इस सेक्टर 56 ,56ए में बनाए गए फ्लैटो का निरीक्षण किया था और अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे फ्लैटों में पेयजल सप्लाई ,बिजली ,सिवरेज व्यवस्था सहित तमाम कार्यों को सुचारू रूप से पूरा करवाना सुनिश्चित करें।
वकील पाराशर ने सेक्टर पहुंचे हुडा के अधिकारियों के बारे में कहा कि देर से वहाँ पहुंचे हैं लेकिन अब भी वो जल्द वहाँ रहने वालों को ये सभी सुविधाएँ देते हैं तो वहाँ रहने वालों को थोड़ी ख़ुशी जरूर मिलेगी। वकील पाराशर ने कहा कि मैंने सवाल उठाया था कि इन फ्लैटों के निर्माण में बड़ा घोटाला हुआ है और इसकी जांच कराई जानी चाहिए क्यू कि लगभग 10 साल पहले ये फ़्लैट बनाये गए थे और 10 वर्षों में तो मिट्टी की दीवार भी नहीं गिरती। वकील पाराशर ने कहा कि मैंने कई ऐसे निर्माण देखे हैं जहाँ सीमेंट की जगह मिट्टी का प्रयोग किया जाता है लेकिन 10 वर्षों में वो निर्माण भी नहीं गिरते और यहाँ मिट्टी नहीं सीमेंट से फ़्लैट बने हैं और 10 वर्षों में गिरने लगे हैं। वकील पाराशर ने कहा कि इस निर्माण में घटिया मैटेरियल लगा है और जांच करवाने पर कई करोड़ का घोटाला सामने आ जाएगा।
उन्होंने कहा कि जो अधिकारी मौके पर गए थे उन्हें इस बारे में भी सोंचना चाहिए कि सरकारी निर्माण इतनी जल्दी क्यू गिरने लगा। वकील पाराशर ने कहा कि जो अधिकारी सेक्टर 56 गए वो नेताओं जैसे आश्वाशन दे आये हैं लेकिन मैं इनका तब तक पीछा नहीं छोडूंगा जब तक उन गरीबो को सभी सुविधाएँ नहीं मिल जातीं। वकील पाराशर ने कहा कि वहां 2080 फ़्लैट बने हैं और अरबों की लागत से बने हैं जिनमे घटिया मैटेरियल लगाया गया है, यही हालत डबुआ में बने फ्लैटों के है। मैं सीएम को पत्र लिख मांग करूंगा कि इसकी जांच करवाई जाए और जिसने ये घोटाला किया है उसकी संपत्ति जब्त की जाए और उस पर मामला दर्ज किया जाए।
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