फरीदाबाद, 15 नवम्बर: हरियाणा और एनसीआर में सक्रिय पुरुष आयोग की टीम ने एक पति को जेल जाने से बचा लिया, कल आरोपी लव गोगिया को फरीदाबाद न्यायलय ने जमानत दे दी. NIT पुलिस उसकी दो दिन की रिमांड की मांग कर रही थी लेकिन कोर्ट ने आरोपों को आधारहीन मानते हुए लव गोगिया को जमानत दे दी. लव गोगिया को जेल जाने से बचाकर पुरुष आयोग की टीम खुश है.
क्या था मामला
बात दरअसल ये थी कि आरोपी लव गोगिया और उनकी पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद चल रहा है, दोनों के एक बेटा भी है, पहले बेटा लव गोगिया के पास रहता था लेकिन पत्नी ने बेटे को अपने पास रख लिया, लव गोगिया ने उसका विरोध नहीं किया लेकिन अपने बेटे से मिलना जारी रखा.
दीवाली पर लव गोगिया अपने बेटे से मिलने आये तो उसे अपने साथ अपने घर लेकर चले गए, इसी पर उनकी पत्नी ने उनपर अपने बेटे के किडनैप का मामला दर्ज करवा दिया, NIT पुलिस ने भी दिनांक 08.11.2018 को मामला (FIR No. 462) दर्ज कर लिया.
पुलिस ने लव गोगिया को पूछताछ के लिए नोटिस दिया लेकिन समय की व्यवस्तता की वजह से लव गोगिया नहीं जा सके, इसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ उनके ही बेटे के अपहरण का मुकदमा दर्ज कर 13.11.2018 की रात के समय उसके घर से गिरफ्तार कर लिया और 14 नवम्बर को उन्हें फरीदाबाद न्यायालय में पेश किया व बच्चे के पिता के एक अज्ञात साथी व स्कूटी (अपहरण में प्रयुक्त) को बरामद करने के लिए अदालत से 2 दिन का पुलिस रिमांड माँगा।
बच्चे के पिता की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता मनोज शर्मा ने पुलिस की सारी कहानी को झूठा बताया व मामले में शिकायतकर्ता पत्नी पक्ष व पुलिस की संलिप्तता के आरोप लगाए। मामले में आरोपित के अधिवक्ता ने अदालत को यह भी बताया कि अभियुक्त बच्चे का प्राकृतिक पिता है, पति व पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद के मामले लंबित हैं, बच्चे की कस्टडी/संरक्षा की बाबत आज तक किसी सक्षम न्यायालय द्वारा कोई आदेश पारित नही हुआ है जो यह निर्धारित करता हो कि बच्चा माता या पिता में से किसके पास रहेगा। बच्चे को वह फरीदाबाद उसकी माँ से मिलाने लेकर आया था व शांति से मुलाकात के बाद अपने साथ सुरक्षित घर ले गया था, बच्चे का पिता बच्चे की सुरक्षा व कल्याण हेतु प्रतिबद्ध है व इस संदर्भ में अदालत द्वारा पारित किसी भी फैसले की पालना करेगा।
जमानत याचिका पर विचार करते हुए अदालत ने राज्य व शिकायतकर्ता की दलीलों को खारिज किया यह निर्धारित किया कि बच्चे के पिता पर प्रथम द्रष्टया बच्चे के अपहरण का मामला नहीं बनता है अतः आरोपी की जमानत याचिका मंजूर की जाती है। अधिवक्ता मनोज शर्मा ने अदालत के इस फैसले को स्वागत योग्य बताते हुए कहा कि इस तरह के फैसलों से पत्नियों द्वारा कानून का दुरुपयोग कर सताए जा रहे पतियों को राहत मिलती है व न्याय व्यवस्था पर उनका विश्वास और प्रगाढ होता है। (मनोज शर्मा अधिवक्ता, 9899375003).
इस मामले में आरोपी लव गोगिया ने बताया कि NIT पुलिस वालों ने उसके साथ टॉर्चर किया, उसे गिरफ्तार करने के बाद उसके बाल खींचते हुए थाने लाया गया, रास्ते में शिकायतकर्ता उसकी पत्नी के वकील ने उसके साथ मारपीट की, उसे, उसके परिवार और पत्नी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया, पुलिस ने उसके कपडे उतरवाकर उसे फर्श पर रात में रखा, उसे बाथरूम नहीं जाने दिया गया.
NIT पुलिस के इस व्यवहार से पुरुष आयोग की टीम, आरोपी और उसके अधिवक्तागण ने नाखुशी जताई, पुलिस कमिश्नर अमिताभ सिंह ढिल्लों से आरोपी पुलिसवालों पर एक्शन लेने की मांग की गयी और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से भी हरियाणा पुलिस की कार्यशाली में सुधार पर जोर देने की मांग की गयी. देखें VIDEO.
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