गुरुग्राम, 14 अक्टूबर: गुरुग्राम सेक्टर-49 में 13 अक्टूबर को आर्केडिया मार्किट के सामने जज की पत्नी-बेटे की हत्याकांड में बड़ा खुलासा हुआ है, पहले कई कहानियाँ चल रही थीं, तरह तरह की अफवाहें उड़ाई जा रही थीं, कोई कह रहा था कि महिपाल सिंह ने चार वर्ष पहले इसाई धर्म अपना लिया था और जज की पत्नी और बेटे को भी इसाई धर्म में परिवर्तन करने का दबाव बना रहा था, जब दोनों उसकी बात नहीं मानें तो उसनें दोनों को मार डाला. कोई अलग कहानी बता रहा था.
आज गुरुग्राम पुलिस ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके सभी अफवाहों को झूठा साबित कर दिया, पुलिस ने इसाई वाली कहानी को मनगढ़ंत बताया और गोली मारने की असली वजह भी बतायी है.
गुरुग्राम पुलिस ने बताया कि इस मामले में पुलिस कमिश्नर द्वारा SIT का गठन किया गया था जिसकी पूछताछ में महिपाल सिंह ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. महिपाल सिंह की चार दिन की पुलिस रिमांड कल ख़त्म हो जाएगी. जिस हथियार से क़त्ल किया गया था वह हथियार पुलिस ने बरामद कर लिया है. गाडी भी बरामद कर ली गयी है.
पुलिस ने बताया कि - अर्कैडिया मार्किट के सामने यह घटना हुई, वहां पर मैडम अपने किसी काम से गयीं थीं, जब वह वापिस आयीं तो महिपाल सिंह गाडी के पास नहीं मिला, उसके बाद वहां पर दोनों पार्टियों के बीच बहस हुई, मैडम ने महिपाल सिंह से गुस्से में गाडी की चाबी मांगी, दोनों में लड़ाई हुई, इसी वजह से उसनें गुस्से में आकर दोनों को गोली मार दी.
मीडिया ने पूछा कि क्या सिर्फ छोटी से बहस से महिपाल सिंह को इतना गुस्सा आ गया कि उसनें गोली मार दी, क्या गुरुग्राम पुलिस में इतना गुस्सा भरा है, इसके जवाब में कहा गया कि महिपाल सिंह ने किसी और काम में ध्यान बटा रखा था, कहीं किसी की गाडी चला लेता था, किसी स्कीम में उसका पैसा फंसा हुआ था जिसकी वजह से उसे गुस्सा था.
पुलिस ने बताया कि दोनों में बहस के बाद सभी लोग गाडी में बैठ गए, ध्रुव आगे वाली सीट पर बैठा था, महिपाल सिंह ने पहले उसको गोली मारी, जब मैडम ने बीच बचाव किया तो उन्हें भी गोली मार दी.
मीडिया ने पूछा कि - महिपाल सिंह के परिवार का कहना है कि वह जज परिवार द्वारा बहुत ज्यादा प्रेशर में था, उसे बहुत परेशान किया जाता था, हम किसे सही मानें, आपकी बातों को या उसके परिवार की बातों को.
इसके जवाब में गुरुग्राम पुलिस ने कहा कि - महिपाल सिंह ने खुद ही जज की तारीफ की है, उस पर किसी भी तरह का प्रेशर नहीं था, यह बात पूरी तरह से गलत है, यह सब निराधार है.
आपको बता दें कि गनर से ड्राइविंग करान सुप्रीम कोर्ट के कानून का उल्लंघन है, गाडी में ड्राईवर होना चाहिए था, गनर सिर्फ सुरक्षा के लिए होते हैं, घटना के दिन गाडी में ड्राईवर नहीं था जिससे साफ है कि गनर से ही ड्राइविंग कराई जाती रही होगी, हो सकता है कि उससे और भी काम करवाए जाते रहे हों और जज साहब को पता ना हो, हो सकता है कि अन्य काम करके गनर का सेल्फ रेस्पेक्ट डाउन हो रहा हो, उसके मन में गुस्सा भर रहा हो, इसी गुस्से को उसनें थोड़ी सी बहस के बाद निकाला हो. आगे सभी चाजें सामने आयेंगी लेकिन इतना तो साफ़ हो गया कि महिपाल ने इसाई घर्म में परिवर्तन नहीं किया था, वह जज की पत्नी-बेटे को इसाई बनने के लिए कोई दबाव नहीं डाल रहा था. आगे और भी चीजों का खुलासा होगा.
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