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मैंने जुनैद को नहीं मारा, मीडिया-नेताओं के दबाव में पुलिस ने मुझे बनाया आरोपी: चौधरी नरेश

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फरीदाबाद, 13 अक्टूबर: पिछले साल फरीदाबाद के जुनैद हत्याकांड ने पूरे देश में बवाल बचा दिया था, मीडिया ने इसमें बीफ और मोब लिंचिंग का मशाला डालकर इसे देशवासियों के सामने खूब परोसा और देशवासियों ने भी बिना सच जाने इसका खूब आनंद लिया लेकिन इस आनंद में नरेश सहरावत की जिंदगी नरक बन गयी. 

मीडिया की TRP की वजह से राजनीतिक पार्टियों ने इसे हिन्दू-मुस्लिम की लड़ाई बता दी, जुनैद के घर डेरा दाल दिया गया, पुलिस-प्रशासन और सरकार पर आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने का दबाव डाला गया, पुलिस ने भी आनद फानन ने नरेश सहरावत को मुख्य आरोपी बनाकर पेश कर दिया और दुनिया ने भी नरेश को हत्यारा मान लिया.

इस मामले की जल्द ही सच्चाई सामने आ गयी, बाद में पता चला कि ना तो यह बीफ का मामला था, ना तो मोब लिंचिंग थी लेकिन तब तक नरेश को पकड़कर उसे जेल भेजा जा चुका था.

अब तक किसी भी मीडिया चैनल ने नरेश का पक्ष नहीं दिखाया, हाल ही में नरेश को हाई कोर्ट से जमानत मिली है, हमने कल नरेश से मुलाक़ात करके उसका पक्ष लिया, वीडियो में उसनें इस मामले की हकीकत बतायी है.

नरेश ने बताया कि यह मामला ना तो बीफ का था और ना ही सीट का और ना ही हिन्दू मुस्लिम का. यह दो ग्रुपों के बीच मामूली झड़प का मामला था जिसे मीडिया ने हिन्दू मुस्लिम और बीफ का रंग दे दिया.

नरेश ने बताया कि जून 2017 में घटना के दिन वह अपनी दिल्ली में अपनी ड्यूटी ख़त्म करके घर वापस लौट रहे थे, उन्होंने शिवाजी से ट्रेन पकड़ी थी, पांच सात लड़के गेट पर खड़े थे, मैं भी ट्रेंड में चढ़ गया और एक कोने में खड़ा हो गया लेकिन वे लड़के गेट पर भी खड़े थे, तिलक ब्रिज और निवामुद्दीन में भीड़ भरती गयी लेकिन वे लड़के वहीँ खड़े रहे, ओखला में ज्यादा भीड़ चढ़ी, एक 55 साल का बुजुर्ग भी ट्रेंन में चढ़ा और लड़कों को थोडा धक्का लग गया तो उन्होंने बुजुर्ग का गला पकड़ लिया और उसका अपमान कर दिया. 

नरेश सहरावत ने कहा कि मुझसे बुजुर्ग का अपमान नहीं देखा गया तो मैंने लड़कों को डांट दिया, उसके बाद वे मुझसे बहस करने लगे तो मैने दो तीन थप्पड़ उन्हें लगा दिया.

इसके बाद वे लड़के तुगलकाबाद में उतर गए तो मैंने मामला ख़त्म समझ लिया लेकिन उन्होंने फोन करके बल्लभगढ़ में अपने दोस्तों को बुला लिया, 10-12 लड़के ट्रेन में घुस आये, उनके हाथों में चाकू और अन्य हथियार थे, उन्होंने लोगों को मारना पीटना शुरू कर दिया, वहां मौजूद लोगों ने मुझे समझाया कि बेटा तू छुपजा या यहाँ से भाग जा वरना ये लोग तुझे मार देंगे, भागने का कोई रास्ता नहीं था इसलिए मैं वहीँ पर छुप गया लेकिन किसी ने मुझे देख लिया.

इसके बाद वे लोग मुझे मारने लगे, मुझे दोनों हाथों में चाकू लगे, सर में भी तीन चार जगह चाकू लगे, नरेश ने चाकुओं ने निशान भी दिखाए, वीडियो में देख सकते हैं.

लगातार पिटाई के बाद नरेश ने भी अपना बचाव करने की कोशिश की, उसनें भी हाथ चलाये लेकिन उस वक्त खून से लथपथ होने की वजह से और सर में चाकू मारे जाने से उसे कुछ होश नहीं था कि वहां क्या हो रहा है, कुछ लोग बीच बचाव कर रहे थे, मैं भी खुद को बचाने की कोशिश कर रहा था, इस बीच मैं बेहोश होकर गिर गया. असावती में मुझे होश आया तो किसी ने कहा कि बेटा तू भाग जा वरना ये लोग तुझे मार देंगे, उसके बाद मैं ट्रेन के दूसरी तरफ से उतर गया और बाइक रुकवाकर अपने मामा के घर पहुंचा.

नरेश ने बताया कि तब तक मुझे कुछ पता नहीं था कि इस झगडे में किसी की ह्त्या हुई है, मैंने अपनी प्रेमिका से शादी की और उसके बाद महाराष्ट्र में ड्यूटी करने चला गया क्योंकि वहां पर मैंने पहले ही इंटरव्यू दे रखा था, मैं कंपनी के दिए फ्लैट के अपनी पत्नी के साथ रह रहा था तो एक दिन पुलिस ने आकर मुझे गिरफ्तार कर लिया.

नरेश ने बताया कि पुलिस ने मीडिया और नेताओं के दबाव में मुझे आरोपी बना दिया, मैंने जुनैद को नहीं मारा, वहां लड़ाई में हो सकता है कि उसका चाकू उसे ही लग गया हो, या किसी ने खुद को बचाने के लिए उसे मार दिया हो, मुझे तो कुछ होश नहीं था क्योंकि मेरे कई जगह चाकू लगे थे, जुनैद की मौत का मुझे भी दुःख है, मैं उसके माता पिता से कहना चाहता हूँ कि वह मुझे दोषी ना समझें, मुझसे नफरत ना करें, भगवाना उन्हें हिम्मत दे, यह एक बहुत बड़ी दुर्घटना थी जिसकी वजह से जुनैद भी चला गया और मेरी भी जिंदगी बर्बाद हो गयी.

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