फरीदाबाद, 16 अक्टूबर: फरीदाबाद के डब्बा अस्पताल ESI हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज में आज डॉक्टरों की लापरवाही से एक बच्चे की मौत हो गयी. संजय कॉलोनी में रहने वाले गरीब परिजनों ने अपने 11 महीनें के बच्चे निखिल को सिर्फ उल्टी-दस्त की शिकायत पर ESI में दिखाया था लेकिन यहाँ के डॉक्टर उल्टी-दस्त भी सही नहीं कर सके और बच्चा बेमौत मर गया.
परिजनों ने बताया कि 5 अक्टूबर को निखिल का इलाज शुरू हुआ था, पहले दस्त थी, उसके बाद उल्टी शुरू हो गयी. ESI के डॉक्टरों ने बच्चे को एडमिट नहीं किया, रोजाना दो चार घंटे लिटाकर घर वापस भेज देते थे, बच्चे को आराम नहीं हुआ, परिजनों ने किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में भेजने की गुहार की तो डॉक्टरों ने उनकी बात नहीं सुनी और उसे दवाइयाँ देनी चालू रखीं.
परिजनों ने बताया कि डब्बा अस्पताल की दवाइयों का निखिल पर कोई असर नहीं हो रहा था उसके बावजूद भी डॉक्टरों ने लापरवाही जारी रखी, जब निखिल के माँ-बाप उसे कहीं और रिफर करने की गुहार करते तो डॉक्टर उन्हें अपनी डिग्री का धौंस दिखाते थे और उन्हें डांटते थे, नर्सिंग स्टाफ भी बदतमीजी से बात करता था. गुस्से में दवाइयां देता था.
आज तवियत ज्यादा खराब देखकर निखिल के माँ-बाप ESI से BK हॉस्पिटल ले गए लेकिन तब तक निखिल की मौत हो चुकी थी. परिजन बहुत दुखी हैं. डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को खूब बद्दुवाएं दे रहे हैं क्योंकि उन्होंने ना तो निखिल का सही से इलाज किया और ना ही उनसे तमीज से बात की, नर्स की बदतमीजी मरीज के परिजनों को याद थी इसलिए उसे भी खूब बद्दुवा दी गयी.
वहां पर मौजूद कई मरीजों ने बताया कि ESI में उन्हें बहुत परेशान किया जाता है, यहाँ से वहां दौडाया जाता है, इलाज के नाम पर सिर्फ थैली भर भर कर दवाएं दी जाती हैं जिसे खाकर वे पहले से भी अधिक बीमार हो जाते हैं और प्राइवेट हॉस्पिटल में अपने खर्च से इलाज कराना पड़ता है.
बता दें कि इतना बड़ा हॉस्पिटल होने के बाद भी यहाँ पर कोई सुविधा नहीं है. रात में इमरजेंसी में सिर्फ एक डॉक्टर रहता है और वो भी सिर्फ सर्दी, गर्मी और बुखार की दवाएं देता है, अन्य मरीजों को दूसरे अस्पतालों में भेज दिया जाता है लेकिन निखिल को कहीं रिफर भी नहीं किया गया. अगर समय रहते निखिल का किसी अच्छे अस्पताल में रिफर कर दिया जाता तो उसकी मौत नहीं होती लेकिन ESI हॉस्पिटल में मरीजों को हो रही परेशानी पर शासन, प्रशासन और सरकारों ने ऑंखें बंद कर रखी हैं.
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