हथीन के समीपवर्ती गांव मण्डकोला में बाबा नन्ददास धाम में आयोजित वेदकथा व गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिन कथावाचक आचार्य देशराज सत्येच्छू ने कहा कि बच्चों को संस्कारित करने के लिए गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करने से पहले संस्कारविधी का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि माता व पिता जब धार्मिक होते हैं तो पैदा होने वाली सन्तान भी धार्मिक होगी। अयोग्य व अधार्मिक सन्तान पैदा करने वाले गृहस्थों को पाप लगता है। उन्होंने कहा कि वैदिक संस्कृति में स्त्रियों को ब्रह्मा कहा गया है। कन्याओं को गर्भ में मारने व मरवाने वाले पापी हैं। उन्होंने बताया कि कन्याभ्रूण हत्या के मूल में कारण है दहेजप्रथा। कन्या के माता पिता को दहेज देने के लिये मजबूर करना अपराध है.
देशराज सत्येच्छू ने कहा कि मानव समाज के सम्पूर्ण विकास में वर्णाश्रम व्यवस्था का अभूतपूर्व योगदान है, वर्णाश्रम व्यवस्था पूर्णरूपेण वैदिक मान्यताओं पर आधारित है। कुछेक तथाकथित मानवतावादी बिना पढें ही मनु व मनुस्मृति का विरोध करतें हैं। मानवीय ऊँच नीच की भावना के लिए मनु को दोष देना सरासर गलत है। गायत्री महायज्ञ के ब्रह्मा महात्मा श्रद्धानन्द सरस्वती ने प्रातःकालीन सत्र में कहा कि जो अग्नि में होम किया जाता है,वह देवयज्ञ कहलाता है।देवयज्ञ में सुगन्धित प्रदार्थों की आहुति देने से दुर्गंध का नाश होता है तथा वायु निर्मल व शुद्ध हो जाती है। होम न करने वाला पापी है।
वेदकथा के दूसरे दिन की सभा की अध्यक्षता मंहत मुरारीशरणदास ने की तथा सैकड़ों लोगों ने कथा का श्रवण किया। इस अवसर विष्णुदास, जगराम दास, ब्रीमी ठेकेदार, रामजीलाल, पण्डित नत्थी, तुलशीराम, धर्मवीर प्रधान, महाशय महेन्द्रसिंह, मोहरसिंह पहलवान, राजवीर आर्य, कुमरपाल, राजेन्द्र मथुरा, सहीराम, ग्यासीराम, सरजीत डागर आदि मौजूद थे। तुलाराम शर्मा, उदयराज आर्य, पूर्णसिंह आर्य, रणजीतसिंह चैहान ने ईश्वर भक्ति के भजन प्रस्तुत किए।
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