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डबुआ सब्जी मंडी को मिलना चाहिए सबसे गन्दी मंडी का अवॉर्ड, इसके लिए सेक्रेटरी जिम्मेदार

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फरीदाबाद की डबुआ सब्जी मंडी हरियाणा की सबसे बड़ी सब्जी मंडी है, लेकिन इस सब्जी मंडी में साफ-सफ़ाई नाम की कोई चीज नहीं है, चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है, जगह-जगह कूड़ा कचरा इकट्ठा रहता है। गंदगी के मामलें में डबुआ सब्जी मंडी को कोई बड़ा अवॉर्ड मिलना चाहिए, मंडी में साफ़-सफाई न होने का सबसे बड़ा कारण भ्रस्टाचार है और इसके लिए सीधे तौर पर मंडी का सेक्रेटरी विनय यादव जिम्मेदार हैं. 

सवाल यह उठता है कि जब सब्जी मंडी की साफ़-सफाई के लिए सरकार लाखों रूपये देती है, मंडी में दुकान लगाने वाले दुकानदारों से भी वसूली होती है तो आख़िरकार मंडी की सफाई क्यों नहीं होती। सफाई इसलिए नहीं होती क्योंकि जो फंड आता है वो भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ जाता है, मंडी में साफ़-सफाई न होना सैकड़ों बीमारियों को जन्म देता है, क्योंकि मंडी में बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे सभी आते हैं, सब्जी बेंचने वाले भी इंसान हैं, लेकिन वे भी बेचारे मजबूर हैं. सेक्रेटरी मंडी का सबसे बड़ा अधिकारी है, उसे इस भ्रस्टाचार के बारें में जानकारी न हो या उसकी संलिप्तता न हो, ऐसा मुमकिन नहीं है. डबुआ सब्जी मंडी में न सिर्फ गंदगी का अम्बार लगा हुआ बल्कि गुंडागर्दी भी चरम पर है.

आपराधिक छवि वाले व्यक्तियों को मंडी का ठेका दे दिया जाता है, ये ठेकेदार किराये के गुंडे रख लेते हैं और अवैध वसूली करवाते हैं, बाइक वालों से तो ली ही जाती है साइकिल वालों से भी पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली की जाती है, मंडी में आपराधिक तत्वों का बोलबाला है, इन गुंडों की दहशत इतनी है कि कोई इनके खिलाफ एक शब्द नहीं बोल सकता। 

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, मंडी में अवैध पार्किंग लगाने वाले ठेकेदार के गुंडों ने मा-बेटे की बेरहमी से पिटाई की थी. ये वीडियो वायरल हो गया तो इनकी पोल खुल गईं, बहुत सारे वीडियो तो बन ही नहीं पाते। बेचारों को पीट दिया जाता है और वो चुपचाप अपने घर चले जाते हैं. सम्भव है कि ये सब गुंडागर्दी मंडी के सेक्रेटरी विनय यादव के संरक्षण में ही होती होगी। अगर ऐसा नहीं तो वो मंडी का सबसे बड़ा अधिकारी है, गुंडागर्दी और भ्रस्टाचार पर लगाम क्यों नहीं लगाता।

डबुआ सब्जी मंडी में अवैध मंगल बाजार लगवाकर भी बेतहाशा अवैध उगाही की जाती है, लगभग रोजाना 60-70 हजार की उगाही होती है, इसका न टैक्स दिया जाता है, न तो सरकार को कोई हिसाब-किताब दिया जाता है, सीधा दलालों के खाते में जाता है. क्या यह सब बिना सेक्रेटरी की सहमति से सम्भव हो सकता है? बिलकुल नहीं। मुमकिन है कि अवैध उगाही का कुछ हिंसा अफसरों के खाते में भी जाता होगा। जांच होने के बाद सारी पोल पट्टी खुलेगी। कुछ दिन पहले डबुआ सब्जी मंडी में करोड़ों रूपये का फड़ घोटाला हुआ था, फड़ तो मिला नहीं किसी को, पैसों की बंदरबांट हो गई.

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