नई दिल्ली: भारत में दामिनी फिल्म का एक डायलाग बहुत हिट हुआ था – तारीख पर तारीख। अब यह डायलाग सबकी जुबान पर है, सब यही कह रहे हैं कि कोर्ट में सिर्फ तारीख मिलती है, पीड़ित लोग दौड़ दौड़ कर परेशान हो जाते हैं लेकिन बदले में उन्हें सिर्फ तारीख मिलती है। निर्भया गैंगरेप और मर्डर के दोषियों को फांसी की सजा मिलने के बाद भी फांसी की तारीख बदलती जा रही है, दोषी लोग बदल बदल कर और बारी बारी से चांस का इस्तेमाल करके अपनी जिंदगी के दिनों को बढ़ा रहे हैं और कोर्ट कानून का मजाक बना रहे हैं। ये लोग कौन बनेगा करोड़पति शो कि तरह बार बार चांस का इस्तेमाल कर रहे हैं।
निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा का आर्डर मिले एक साल से अधिक हो चुके हैं लेकिन दोषी लोग कानून द्वारा प्रदान किये गए तरह तरह के चांस का इस्तेमाल अच्छी तरह और समझदारी के साथ कर रहे हैं, इस मामले में चार दोषी हैं। कभी एक दोषी क्यूरेटिव पेटिशन लगाकर तारीख बढ़वा देता है, उसके बाद जैसे ही 14 दिन का समय ख़त्म होने वाला होता है तो दूसरा आरोपी पेटिशन लगाता है, उसके बाद उसका भी 14 दिन बीतने वाला होता है तो तीसरा आरोपी यही काम करता है और उसके बाद चौथा आरोपी यही काम करता है।
इसके बाद चारों आरोपी मर्सी पेटिशन वाले चांस का इस्तेमाल करते हैं। इसमें भी कई दोनों का समय दोषियों को मिल जाता है, चारों आरोपी बदल बदल कर मर्सी पेटिशन डालकर अपनी जिंदगी बढ़ाते रहते हैं।
दोषियों कि चालाकी कि वजह से उनकी फांसी की तारीख एक बार फिर से बदल गयी है, अब 1 फ़रवरी को उनकी फांसी की तारीख तय कि गयी है लेकिन दो आरोपियों की मर्सी पेटिशन का चांस अभी बकाया है इसलिए हो सकता है की दोषी लोग कानून का इस्तेमाल करके अपनी जिंदगी और बढ़वा लें।
इन दोषियों ने कोर्ट और कानून का मजाक बना रखा है, जनता भी कोर्ट कचहरी पर हंस रही है। निर्भया की माँ भी आज खूब रोई हैं। उन्हें लग रहा था की 22 तारीख को दोषियों को फांसी पर लटका दिया जाएगा, लेकिन उन्हें एक बाद फिर से मायूसी मिली है।
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