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पृथला में तय थी रघुवीरा की जीत, लेकिन कमल खिलाने के लिए बनाया गया विशेष नयन-प्लान, पढ़ें

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फरीदाबाद, 27 अक्टूबर: हरियाणा चुनाव में इस बार सबसे हॉट सीट पृथला की रही। चुनाव से पहले सर्वे में यहाँ पर कांग्रेस प्रत्याशी रघुवीरा की जीत हो रही थी, भाजपा के लिए यहाँ पर एंटी-इंकम्बेंसी थी, जाट पहले से ही भाजपा से नाराज थे, सबसे पहले ही कांग्रेस प्रत्याशी रघुवीरा को वोट देने का मन बना लिया था, पृथला विधानसभा में करीब 46000 जाट वोटर हैं. भाजपा के लिए यह सीट जीतना सिर्फ सपना लग रहा था इसलिए कमल खिलाने के लिए एक विशेष प्लान बनाया गया। 

अगर यहाँ पर टेकचंद शर्मा को टिकट दी जाती तो एंटी-इंकम्बेंसी उनके लिए मुसीबत बन जाती, नयनपाल को टिकट दी जाती तो लोग सोचते कि यह तो दो बार हार चुका है, इसलिए नए प्रत्याशी सोहनपाल छोकर को उतारा गया।

यह भी समझ लीजिये, अगर नयनपाल रावत को टिकट दी जाती तो ना ही वह रोकर वोट मांगते, ना ही उन्हें जनता की सहानुभूति मिलती, ऐसे में रघुवीरा की आसान जीत होती।

जब भाजपा से बगावत करके नयनपाल भी मैदान में उतर गए तो सभी लोग ऐसा कहने लगे कि अब तो रघुवीरा बाजी मार जायगा क्योंकि नयनपाल भाजपा का वोट काटेगा। 

नयनपाल के मैदान में उतरने के बाद भाजपा की भी टेंशन बढ़ गयी। भाजपा भी यह मानकर चलने लगी कि अब तो यह सीट कांग्रेस ले जाएगी। इसके बाद एक विशेष गेम-प्लान बनाया गया जिसे नयन-प्लान भी कह सकते हैं। 

भाजपा ने यह रणनीति बनायी कि यहाँ पर सोहनपाल वर्सेस नयनपाल की लड़ाई दिखाए जाए, अगर ऐसा किया गया तो रघुवीरा का ग्राफ अपने आप डाउन हो जाएगा और जो लोग भाजपा को हराने के लिए वोट करते हैं वो भाजपा को हराने के लिए नयनपाल को वोट करेंगे। 

भाजपा की रणनीति कामयाब रही। भाजपा को हराने वालों के वोट रघुवीरा की बजाय नयनपाल को मिले। ऐसा इसलिए क्योंकि जब नयनपाल और सोहनपाल की चर्चा अधिक होने लगी तो भाजपा विरोधियों ने सोचा कि भाजपा को हराने के लिए हमें नयनपाल को ही वोट देना चाहिए। नयनपाल को मजबूत दिखाने के लिए एक अफवाह ये भी उड़ाई गयी कि जनता ने नयनपाल को जिताने के लिए 10 करोड़ रुपये चंदा दे दिए हैं, यह सब कोरा झूठ था। चंदा तो सभी उम्मीदवारों को मिलता है लेकिन गरीब किसानों के पास इतना भी पैसा नहीं होता कि 10-20 करोड़ ऐसे ही लुटा दिया जाए। 

भाजपा यह मानकर चल रही थी कि सोहनपाल जीता तो भी कमल खिलेगा और नयनपाल जीता तो भी कमल खिलेगा, नयनपाल तो पहले ही बोल रहे थे कि यह सीट जीतकर मैं भाजपा की झोली में डालूँगा। भाजपा ने एक और चालाकी दिखाई, नयनपाल को 6 साल के लिए सस्पेंड कर दिया ताकि भाजपा विरोधियों को लगे कि अब तो नयनपाल भाजपा का दुश्मन बन गया, ये भाजपा में नहीं जाएगा। भाजपा विरोधी भी भाजपा की चाल में आ गए और रघुवीर तेवतिया के बजाय नयनपाल रावत को एकतरफा वोट दे दिया।

कुछ लोग यकीन नहीं करेंगे लेकिन अगर भाजपा चाहती तो नयनपाल रावत का नामांकन ख़ारिज हो जाता, ऐसा इसलिए क्योंकि, कोई भी उम्मीदवार मरने की धमकी देकर वोट नहीं मांग सकता, अगर चुनाव आयोग के पास शिकायत की जाती तो तुरंत नामांकन खारिज हो जाता, भाजपा का तो यह गेम-प्लान था लेकिन कांग्रेस वालों ने इसलिए शिकायत नहीं की क्योंकि उन्होंने सोचा कि अगर नयनपाल का नामांकन ख़ारिज हुआ तो इसका फायदा सोहनपाल को मिलेगा। कांग्रेस इस भुलावे में आ गयी कि नयनपाल भाजपा के वोट काटेगा तो उनकी आसानी से जीत हो जाएगी। 

भाजपा का गेम-प्लान उर्फ़ नयन-प्लान पूरी तरह से कामयाब हो चुका है। नयनपाल फिर से भाजपा में जा चुके हैं। वास्तव में नयनपाल ने चुनाव जीतने के बाद ही भाजपा से संपर्क कर लिया था। अब पृथला में कमल खिल चुका है और रघुवीर तेवतिया के हाथों में जाती  हुई सीट वापस भाजपा के पास आ चुकी है. वाकई में रणनीति बनाने में भाजपा का कोई सानी नहीं है। 
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