फरीदाबाद, 30 अक्टूबर: राशन माफिया के बारे में हम फिल्मों में देखते हैं कि इनकी जड़ें बहुत ही मजबूत होती हैं लेकिन फरीदाबाद का राशन माफिया गिरोह फिल्मों में दिखने वाले गिरोह से भी अधिक ताकतवर है और इसकी जड़ें इतनी मजबूत है कि फ़ूड अफसर, स्थानीय नेता और राज्य सरकार भी इनके आगे मजबूर है। सब के सब बैठकर तमाशा देख रहे हैं, इनके खिलाफ कार्यवाही करने की किसी में हिम्मत भी नहीं है।
पिछले एक हप्ते ने हमने दर्जनों कॉलोनियों का सर्वे किया जिसमें हमें राशन माफियाओं की अकूत ताकत का अंदाजा हो गया। इनकी जड़ें हमारी कल्पना से भी अधिक मजबूत हैं लेकिन इसका नुकसान हाल के चुनावों में भाजपा सरकार को हुआ, क्योंकि घोटाले से नाराज जनता ने अपना गुस्सा भाजपा के मंत्रियों, विधायकों पर दिखाया और 75 पार का नारा लगा रही भाजपा 45 पार भी नहीं हो पायी और जजपा के साथ गठबंधन करके सरकार बनानी पड़ी. अगर अब भी इस घोटाले के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई तो जनता आगामी लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में अपना गुस्सा निकालेगी और हो सकता है कि सत्ताधारी भाजपा 25 पार भी ना कर पाए, अभी तो पांच-छह मंत्री चुनाव हारे हैं, हो सकता है कि अगले चुनाव में मुख्यमंत्री साहब भी चुनाव हार जाएं।
राशन गिरोह के बारे में जानिये
पहले ऐसा लग रहा था कि राशन डिपो वाले अपना खर्चा निकालने के लिए दो चार किलो राशन चुरा लेते होंगे लेकिन सर्वे में पता चला कि यह सब सिस्टेमैटिक तरीके से सिस्टम को फेल करके किया जा रहा है, राशन गिरोह में राशन डिपो के अलावा राशन माफिया, ऑफिसर और नेता भी शामिल हैं। राशन माफियाओं को नेताओं का संरक्षण मिला हुआ है और चुनाव के समय राशन माफिया नेताओं की मदद करते हैं।
कैसे ऑपरेट होता है राशन गिरोह
मोदी सरकार ने राशन वितरण में घोटाले को ख़त्म करने के लिए इसे आधार सिस्टम से जोड़ दिया, मतलब जो अंगूठा लगाएगा उसके हिस्से का राशन मिल जाएगा। अगर कोई ग्राहक अंगूठा नहीं लगाता तो उसके हिस्से का राशन भी सरकारी खाने से नहीं निकलता और डिपो धारकों को बचे हुए राशन का हिसाब रखना पड़ेगा।
डिपो वाले कैसे करते हैं लूट
राशन डिपो पर हर महीनें गरीबों के हिस्से का राशन सरकार द्वारा भेजा जाता है। राशन डिपो वाले कई तरीके से लूटते हैं - कुछ लोग गरीबों से हर महीनें अंगूठा लगवा लेते हैं लेकिन उन्हें तीन-चार महीनें में सिर्फ एक बार राशन देते हैं. मान लो एक डिपो पर एक हजार लोगों को राशन मिलता है, तीन महीनें में एक बार ही राशन मिलता है तो 1000 * 5 = 5000 किलो। 12 महीनें में 600 क्विंटल। तीन महीनें में सिर्फ एक बार राशन मिलता है मतलब 600/3 = 200 क्विंटल अनाज ही गरीबों को मिलता है। 400 क्विंटल डिपो वाले ब्लैक कर लेते हैं मतलब 7.40 लाख रुपये का सिर्फ गेंहू बचता है। अगर तेल, चीनी, मिटटी का तेल, चावल, दाल आदि का अनुमान लगाएंगे तो हर साल करीब 15-20 लाख रुपये की लूट एक डिपो पर होती है।
गरीबों के हिस्से से लूटा हुआ अनाज या तो बेच लिया जाता है या कुछ चिन्हित चक्कियों पर आटा पिसवाकर और अधिक मुनाफ़ा कमाया जाता है। कई बार जब ग्राहक तीन चार महीनें बाद राशन लेने के लिए डिपो पर जाते हैं तो डिपो वाले उनसे तीन चार बार अंगूठा लगवा लेते हैं ताकि उनके हिस्से का दो तीन महीनों का राशन मशीन से कट जाए, डिपो वाले गरीबों को एक महीनें का राशन दे देते हैं, बाकी का अपने पास रख लेते हैं।
गरीबों के हिस्से से लूटा हुआ अनाज या तो बेच लिया जाता है या कुछ चिन्हित चक्कियों पर आटा पिसवाकर और अधिक मुनाफ़ा कमाया जाता है। कई बार जब ग्राहक तीन चार महीनें बाद राशन लेने के लिए डिपो पर जाते हैं तो डिपो वाले उनसे तीन चार बार अंगूठा लगवा लेते हैं ताकि उनके हिस्से का दो तीन महीनों का राशन मशीन से कट जाए, डिपो वाले गरीबों को एक महीनें का राशन दे देते हैं, बाकी का अपने पास रख लेते हैं।
सरकार ने यह भी सिस्टम लागू किया है कि डिपो वाले मशीन में अंगूठा लगाने के बाद ग्राहक का मोबाइल नंबर भी डालें ताकि हर बार राशन कटने के बाद ग्राहक के मोबाइल पर मैसेज आ जाए लेकिन हमें मिली सूचना के मुताबिक़ कोई भी राशन डिपो वाला ग्राहक का मोबाइल नंबर मशीन में नहीं डालता बल्कि अपना ही मोबाइल नंबर डाल देता है। सरकार ने पर्ची देने का भी नियम बनाया है लेकिन डिपो वाले पर्ची नहीं देते।
मतलब अगर गरीबों के लिए 12 महीनें का राशन आता है तो उन्हें सिर्फ तीन महीनें का राशन मिलता है, बाकी का 9 महीनें का राशन डिपो होल्डर, अफसरों और नेताओं में बंट जाता है।
राशन माफियाओं का घोटाले में क्या रोल है
वास्तव में डिपो वाले सिर्फ एक प्यादे हैं, सारा काम राशन माफिया करते हैं. सरकार ने एक परिवार में एक ही डिपो का सिस्टम बना रखा है लेकिन राशन माफिया एक ही परिवार में 10-10 डिपो दिलवा देते हैं, यही नहीं, राशन माफिया अपने सभी सगे-सम्बन्धियों के नाम से डिपो ले लेते हैं और वहां पर अपने आदमी बैठाकर काम करते हैं। सर्वे में पता चला कि फरीदाबाद के हर हिस्से में अलग अलग राशन माफिया हैं जो 50-60 डिपो को मैनेज करते हैं. सरकार ने यह भी सिस्टम बना रखा है कि डिपो की एक दुकान होनी चाहिए और उसे हमेशा खुली रहनी चाहिए लेकिन राशन माफिया कहीं भी राशन डिपो खुलवा देते हैं और जब मर्जी राशन देते हैं जब मर्जी ग्राहकों को लौटा दिया जाता है।
राशन लूट में अधिकारियों का क्या रोल
सरकार हर विभाग में अधिकारियों की नियुक्ति करती है ताकि ये लोग गलत काम पर हमेशा नजर रखें और गलत लोगों के खिलाफ कार्यवाही करें लेकिन फरीदाबाद में अधिकारी लोग सिर्फ सैलरी लेते हैं, फरीदाबाद में राशन डिपो वालों पर कार्यवाही नहीं होती, जब इनपर बहुत अधिक प्रेशर आता है तभी कार्यवाही करते हैं वरना मैनेज हो जाते हैं। राशन माफिया सीधे इनके संपर्क में होते हैं। जब कोई ग्राहक राशन डिपो वालों के खिलाफ शिकायत करते हैं तो राशन माफिया तुरंत सक्रिय हो जाते हैं और अधिकारियों को मैनेज करके डिपो वालों को बचा लेते हैं। अगर इतने से काम नहीं बनता तो बड़े बड़े नेताओं से फोन करवा दिए जाते हैं क्योंकि राशन माफियाओं के जड़ें ऊपर तक फैली हुई हैं।
स्थानीय नेता विधायक देते हैं राशन माफियाओं को संरक्षण
राशन माफियाओं का नेताओं के साथ भाईचारा होता है। फरीदाबाद के बड़े बड़े राशन माफिया हर पार्टी के नेता के साथ बड़े बड़े मंच पर बड़ी बड़ी कुर्सियों पर दिखते हैं, ये राशन माफिया सभी पार्टी के नेताओं के साथ सम्बन्ध रखते हैं, भाजपा की सरकार है तो उनका समर्थन करते हैं, कांग्रेस की सरकार आती है तो उनका समर्थन करने लग जाते हैं। जो भी स्थानीय विधायक बनता है ये लोग माला लेकर उनके पास पहुँच जाते हैं और उन्हें अपने प्रभाव में ले लेते हैं। इन राशन माफियाओं की जड़ें फरीदाबाद के नेताओं के बीच इतनी मजबूत हैं कि स्थानीय नेता तो इनके खिलाफ आवाज उठा ही नहीं सकते।
कैसे होगी राशन माफिया गिरोह के खिलाफ कार्यवाही
राशन माफियाओं के खिलाफ या तो सरकार कार्यवाही कर सकती है या जनता कार्यवाही कर सकती है। जनता भी पूरे घोटाले के बारे में जानती है लेकिन लोग सोचते हैं कि सरकार से जो मिल जाए वही ठीक है। कुछ लोग डरते हैं इसलिए आवाज नहीं उठाते लेकिन इनके अंदर गुस्सा बढ़ता रहता है और समय आने पर सरकार बदल देते हैं। हाल के चुनावो में भाजपा को सिर्फ 40 सीट मिलना इसी का उदाहरण है, हो सकता है कि जनता अगले चुनाव में पूरी कार्यवाही कर दे और भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंके।
राशन माफियाओं के खिलाफ सरकार भी कार्यवाही कर सकती है लेकिन अधिकारी राशन माफियाओं से मिले होते हैं, कई बार प्रेशर में जब सरकार चंडीगढ़ से अधिकारियों को जाँच करने के लिए भेजती है तो राशन माफिया उन्हें भी मैनेज कर लेते हैं और अधिकारी लोग सरकार को झूठी रिपोर्ट देकर चुप बैठ जाते हैं। अगर अधीकारी ईमानदारी से काम करें तो घोटाला ख़त्म हो सकता है लेकिन कलयुग में ऐसा सिर्फ सपने में सोचा जा सकता है।
घोटाला ख़त्म करने का सबसे उचित रास्ता है कि राशन वितरण बंद करके जनता के खाते में राशन की कीमत भेज दी जाय। जनता उस पैसे का चाहे राशन खरीदे या किसी अन्य काम में इस्तेमाल करे। जब तक राशन वितरण होगा, यह घोटाला जारी रहेगा। अगर कोई विधायक ये सोचता है कि राशन घोटाले से उनका कोई नुकसान नहीं है तो उनका सोचना गलत है। चुनाव के समय नाराज जनता बड़े बड़े नेताओं को भी हरा देती है और 5-10 करोड़ रुपये बेकार खर्च हो जाते हैं। अगर विधायक लोग ईमानदारी से काम करें और घोटाले के खिलाफ आवाज उठायें तो जनता इन्हें सिर्फ-माथे पर बिठा लेगी और ऐसे नेताओं तरक्की होगी लेकिन फरीदाबाद में ऐसे नेताओं की कमी है।
देखें राशन घोटाले के सर्वे के कुछ वीडियो
देखें राशन घोटाले के सर्वे के कुछ वीडियो
good keep it up brother best journalism but pls be careful
ReplyDeleteAll d best, aap acha kaam kar rahe hai
ReplyDeleteYe sub such Janta Ko toh bta diya ab CM or PM Ko bhi toh bta do taki ye corruption khtm ho tbhi toh maane ha media kch kaam krti hai
ReplyDelete