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मतदान के मामले में फरीदाबाद जिला पूरे हरियाणा में रहा फिसड्डी, भाजपा के लिए टेंशन की बात, पढ़ें

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फरीदाबाद, 21 अक्टूबर: हरियाणा में मतदान आज शाम 6 बजे समाप्त हो गया। फरीदाबाद जिला मतदान के मामले में पूरे हरियाणा में फिसड्डी रहा, यहाँ तक की पलवल जिला भी मतदान के मामले में फरीदाबाद से आगे रहा। 

फरीदाबाद जिले में 6 सीटें हैं - NIT, बड़खल, बल्लभगढ़, फरीदाबाद, तिगांव और पृथला। मतदान के मामले में पृथला अव्वल रहा जबकि NIT दूसरे स्थान पर रहा। हम नीचे रिपोर्ट दे रहे हैं कि फरीदाबाद में कम मतदान की वजह क्या रही। 

NIT विधानसभा

NIT विधानसभा में 60 फ़ीसदी मतदान हुआ। यहाँ पर भाजपा ने पूर्व इनेलो नेता और विधायक नगेंदर भड़ाना को टिकट दी थी, भाजपा नेताओं ने चुनाव लड़ने के लिए पांच साल मेहनत की थी लेकिन टिकट दल बदल कर आये नागेंद्र भड़ाना को मिल गया। नगेंदर भड़ाना को जैसे ही भाजपा की टिकट मिली उन्हें घमंड आ गया कि अब तो मोदी के नाम से जीत जाएंगे। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं की जरूरत ही नहीं समझी, वह किसी से मिले भी नहीं, उन्होंने सोचा कि जिसकी गरज होगी मेरे पास आएगा और मुझे समर्थन देगा। 

यह तो सभी जानते हैं कि भाजपा कार्यकर्ता स्वाभिमानी होते हैं। वे लोग कई वर्षों से भाजपा की सेवा करते थे लेकिन भाजपा प्रत्याशी ने उनकी कदर ही नहीं की इसलिए भाजपा कार्यकर्ता भी चुप होकर बैठ गए। यही कार्यकर्ता पिछले चुनावों में लोगों को घरों से निकालकर वोटिंग करवाते थे लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं हुआ.

अंदर की रिपोर्ट तो ये है कि अबकी बार भाजपा वोटरों ने नीरज शर्मा के पक्ष में वोटिंग की है। यहाँ पर कांग्रेस की जीत दिखाई दे रही है। एग्जिट पोल के अनुसार हरियाणा में भाजपा की सरकार बन रही है, अगर नीरज शर्मा की जीत हुई तो वह भी क्षेत्र के विकास के लिए सरकार का समर्थन कर सकते हैं, अगर ऐसा हुआ तो नगेंदर भड़ाना का घमंड भी ख़त्म हो जाएगा और भाजपा कार्यकर्ताओं को एक नेता भी मिल जाएगा। यही नहीं भाजपा के नुकसान की भरपाई हो जाएगी। 

बड़खल विधानसभा

बड़खल विधानसभा में 51.3 पर्सेंट मतदान हुआ है। यहाँ पर भाजपा की सीमा त्रिखा, कांग्रेस के विजय प्रताप सिंह, आप के धर्मबीर भड़ाना के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। धर्मबीर भड़ाना और विजय प्रताप दोनों गूजर और मुस्लिम वोटरों पर पकड़ रखते है इसलिए दोनों ने वोट बांटकर एक दूसरे का नुकसान किया है, यही नहीं बसपा के मनोज चौधरी और इनेलो के अजय भड़ाना ने भी आपस में वोटों का बँटवारा किया है जिसका फायदा भाजपा को मिला है। यहाँ के लोग सीमा त्रिखा से नाराज थे लेकिन अंत में लोग कहते दिखे - महेंद्र प्रताप को तो हमने 8 बार आजमा लिया है, आम आदमी पार्टी की सरकार बनने वाली नहीं है, इसके अलावा सीमा त्रिखा कम से कम महेंद्र प्रताप (विजय प्रताप के पिता) से तो ठीक है। यही सोचकर लोगों ने सीमा त्रिखा को मतदान किया है लेकिन मेवलामहराजपुर, अनंगपुर, लकड़पुर और शिवदुर्गा विहार की तरह विजय प्रताप को भी वोट पड़े हैं इसलिए कांटे की टक्कट है। 

बल्लभगढ़

बल्लभगढ़ विधानसभा में 52 फ़ीसदी मतदान हुआ है। यहाँ पर भाजपा घमंड में आ गई कि मूलचंद शर्मा तो सीट निकाल ही ले जाएंगे क्योंकि कांग्रेस ने कमजोर प्रत्याशी आनंद कौशिक को टिकट दिया है लेकिन भाजपा यह भूल गयी कि मोदी लहर को मात देने की ताकत रखने वाले पार्षद दीपक चौधरी भी आजद उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। दीपक चौधरी ने खूब मेहनत की। पहले मीडिया भी दीपक चौधरी को हल्के में ले रही थी लेकिन अचानक दीपक चौधरी को जनता का जबरदस्त समर्थन मिलने लगा और देखते ही देखते वह मीडिया में भी छा गए। देखते ही देखते बल्लभगढ़ के पढ़े लिखे नौजवान उनके साथ हो गए और खुद ही उनके प्रचारक बन गए। इस सीट पर दीपक चौधरी को मूलचंद शर्मा के बीच में कांटे की टक्कर है और  हो सकता है कि दीपक यह सीट निकाल लें, ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा वोटरों में वह उत्साह नहीं दिखा जो उत्साह दीपक चौधरी के समर्थकों में था, इसके अलावा मूलचन्द शर्मा से नाराज भाजपा वोटर दीपक चौधरी के साथ हो गए हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि दीपक चौधरी भी भाजपा को ही समर्थन देते हैं। 

फरीदाबाद

फरीदाबाद विधानसभा में सबसे कम 48 परसेंट मतदान हुआ है. यहाँ पर भाजपा से सबसे बड़ी गलती की। जनता कहती थी कि विपुल गोयल को कोई हरा नहीं सकता लेकिन भाजपा ने उनका ही टिकट काट दिया और उसे टिकट दे दिया जिसे ना जनता जानती थी कर ना ही भाजपा कार्यकर्ता जानते थे. यहाँ पर लखन सिंगला बढ़त में हैं। नरेंद्र गुप्ता को जिताने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं में वह उत्साह नहीं दिखा जो उत्साह लखन सिंगला के समर्थकों में दिखा है। अंदर ही बात बताएं तो विपुल गोयल की टिकट कटने के बाद उनके समर्थक अपने आप लखन सिंगला का साथ देने लगे, यह बात शायद विपुल गोयल को भी ना पता हो। 

तिगांव 

तिगांव सीट भाजपा निकाल सकती थी अगर कृष्णपाल गुर्जर के बेटे देवेंद्र चौधरी को टिकट मिलती लेकिन वंशवाद को ध्यान में रखकर देवेंद्र चौधरी को टिकट नहीं दी गयी और पूर्व उम्मीदवार राजेश नागर को टिकट दी गयी है। राजेश नागर ने चुनाव जीतने के लिए खूब मेहनत की है लेकिन तिगांव के नेता का तमगा ललित नागर के ऊपर लग चुका है। यहाँ पर कांटे ही टक्कर दिखाई दे रही है क्योंकि अंत में मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने भी राजेश नागर को जिताने की अपील की थी। हम तो यहाँ पर 50-50 मानकर चल रहे हैं।

पृथला विधानसभा

पृथला विधानसभा में जिले में सबसे अधिक 62.75% मतदान हुआ है। यहाँ पर किसी को पता ही नहीं है कि क्या नतीजे आने वाले हैं। भाजपा, कांग्रेस, बसपा और आजाद उम्मीदवार नयनपाल रावत के बीच में टक्कर है। पिछली बार यहाँ से बसपा की जीत हुई थी इसलिए चारों के चारों प्रत्याशी मजबूत दिख रहे हैं। यहाँ पर भाजपा की जीत तभी हो सकती है जब नयनपाल, रघुबीर तेवतिया और बसपा के सुरेंद्र वशिष्ठ अच्छे खासे वोट हासिल करें। अगर तीनों से अच्छे वोट हासिल कर लिए तो भाजपा की जीत हो सकती है। नयनपाल रावत ने जनता के सामने रोकर उन्हें इमोशनली अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है, उन्होंने सोचा होगा कि उनके रोने से पृथला की जनता उन्हें एकतरफा वोट देगी लेकिन जो हमें रिपोर्ट मिल रही है उसके मुताबिक़ नयनपाल, रघुवीर और सुरेंद्र वशिष्ठ को भी अच्छे खासे वोट मिले हैं। भाजपा का अपना वोटबैंक है जो सोहनपाल को जीत जिला सकता है।
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