फरीदाबाद: हिन्दुओं में जातिवाद अभी भी हावी है इसलिए ब्राह्मण दलित और मुस्लिम का कॉम्बिनेशन ही मायावती का वोटबैंक है. जहाँ ब्राहमण आबादी अधिक होती है वहां मायावती ब्राहमण को टिकट देती हैं ऐसा करने पर उन्हें ब्राह्मणों के वोट तो मिलते ही हैं, दलित और मुस्लिम वोट भी अपने आप मिल जाते हैं. इसीलिए पृथला विधानसभा में मायावती ब्राह्मण को टिकट देती हैं.
2014 विधानसभा चुनाव में मायावती ने पृथला से ब्राहमण उम्मीदवार टेकचंद शर्मा को टिकट दिया था और उनकी जीत भी हुई थी, टेकचंद शर्मा अब भाजपा में शामिल हो गए हैं इसलिए मायावती ने फिर से ब्राहमण उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पृथला विधानसभा में करीब 30000 ब्राह्मण वोटर हैं, 27000 राजपूत वोटर हैं, करीब 40000 जाट वोटर हैं, 15000 के आसपास मुस्लिम और 25 हजार हरिजन-बाल्मीकि-कोली, और करीब 50,000 अन्य जातियों के लोग हैं.
भाजपा का क्या है धर्मसंकट
भाजपा का धर्मसंकट ये है कि टेकचंद शर्मा अब भाजपा में शामिल हो गए हैं. भाजपा से टिकट लेने की उनकी इक्षा भी होगी लेकिन अगर भाजपा ब्राह्मण को टिकट देती है तो बसपा और भाजपा में ब्राह्मण वोट बंट जाएंगे, इसका लाभ ना भाजपा को मिलेगा और ना ही बसपा को. दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों के हारने का खतरा रहेगा. कांग्रेस इस सीट से जाट को उतारती है जिनकी संख्या करीब 35000 के आसपास है. ऐसी हालत में कांग्रेस बाजी मार सकती है. ऐसी हालत में भाजपा के सामने सबसे बड़ा सवाल ये होगा की टेकचंद शर्मा को कहाँ सेट करे, उन्हें या तो बल्लभगढ़ से चुनाव लडवाया जा सकता है. या कोई और पद देकर उनका सम्मान बरकरार रखा जा सकता है.
पृथला में कांग्रेस के पास कई जाट चेहरे हैं. भाजपा के पास आशा हुड्डा हैं लेकिन वह अधिकतर समय पार्टी के काम से जिले से बाहर रहती हैं. वह भी टिकट का दावा कर रही हैं.
इसके बाद भाजपा के पास किसी ठाकुर/राजपूत को टिकट देने का विकल्प बचता है. भाजपा दो बार नयनपाल रावत को आजमा चुकी है लेकिन उनकी जीत नहीं हुई. सोहनपाल छोकर भी विकल्प बनकर उभरे हैं और उनकी छवि सबको साथ लेकर चलने की है. अगर उन्हें टिकट मिलता है तो वे ठाकुर, जाट, ब्राह्मण, दलित, मुस्लिम और सभी जातियों को अपने साथ जोड़ सकते हैं और उन्होंने कई ऐसे प्रोग्राम आयोजित किये हैं जिसमें सभी तबके के लोग दिखाई दिए थे.
अब देखना ये है कि भाजपा क्या विकल्प चुनती है. मायावती के ब्राह्मण उम्मीदवार को टक्कर देने के लिए ब्राह्मण टेकचंद शर्मा को उतारती है, या नयनपाल रावत को तीसरी बार मौका देती है या अंतिम विकल्प सोहनपाल छोकर को उम्मीदवार बनाती है. वैसे ऑनलाइन पोल में सोहनपाल छोकर टेकचंद शर्मा और नयनपाल रावत दोनों को हरा चुके हैं.
(नोट: जातिवाद एक सामाजिक बुराई है, जनता को जातिवाद के आधार पर वोट नहीं देना चाहिए बल्कि पढ़े-लिखे और काबिल उम्मीदवार को वोट देना चाहिए.)
(नोट: जातिवाद एक सामाजिक बुराई है, जनता को जातिवाद के आधार पर वोट नहीं देना चाहिए बल्कि पढ़े-लिखे और काबिल उम्मीदवार को वोट देना चाहिए.)
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