फरीदाबाद: कहते हैं कि एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है. उसी तरह से कुछ भ्रष्ट पुलिसकर्मी पूरे पुलिस विभाग को बदनाम करते हैं, कई पुलिस अफसर और पुलिसकर्मचारी ऐसे होते हैं जो मेहनत करके अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही करते हैं लेकिन कुछ पुलिसकर्मी ऐसे भी होते हैं जो पहले अपराधियों को सिर्फ पैसे कमाने के लिए पकड़ते हैं और पैसे मिलने पर इन्हें छोड़ देते हैं.
कई ऐसे पुलिसकर्मी होते हैं तो शिकायतकर्ताओं की शिकायत पर FIR दर्ज करते हैं और अपराधियों को पकड़कर पीड़ितों के साथ न्याय करते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी पुलिसकर्मी हैं जो पीड़ितों की शिकायत लेते हैं लेकिन आरोपियों को थाने में बुलाकर कानूनी कार्यवाही से उन्हें बचाने के लिए उनसे लाखों की रिश्वत लेते हैं और पीड़ितों को उनके हाल पर छोड़ देते हैं और बेचारे पीड़ित पुलिस थाने के धक्के ही खाते रहते हैं.
भ्रष्ट पुलिसकर्मी कुछ ही महीनों में ऐसा करके कई लाख रुपये कमा लेते हैं उसके बाद अगर किसी केस में उनके खिलाफ कार्यवाही भी होती है, कुछ दिनों के लिए उन्हें सस्पेंड भी कर दिया जाता है तो उनका कुछ नहीं बिगड़ता क्योंकि वे पहले ही रिश्वत लेकर इतनी मोटी रकम कमा चुके होते हैं कि जिंदगी भर आराम से खा सकते हैं. अगर ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए और इन्हें आजीवन जेल की सजा दी जाए तो शायद ये लोग रिश्वत लेने से डरेंगे लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है.
अब आप खुद सोचिये, खेड़ीपुल पुलिस थाने में नाबालिक की गुमशुदगी का मामला दर्ज हुआ, जब पीड़ित पिता पुलिस थाने में जाकर अपनी बच्ची को ढूँढने की गुहार करता था तो पुलिसकर्मी उसपर हँसते थे. क्या ऐसे लोगों के अन्दर इंसानियत या संवेदना नहीं है. पीड़ित पिता ने आरोपियों के नाम बताये, गाडी का नंबर बताया, CCTV फुटेज दी, कई सबूत दिए लेकिन पुलिसवाले हाथों पर हाथ धरे बैठे रहे.
उसी थाने में जब एक CRPF जवान अपने लापता भाई के बारे में केस के IO वेदराम से फोन करके पूछताछ किया तो वेदराम ने फौजियों को पागल बोला, उसकी बेटी को गाली दी और उसका बहुत अपमान किया, वेदराम को सस्पेंड किया गया लेकिन वह कब तक सस्पेंड रहेंगे, क्या सजा मिलेगी इसके बारे में कोई सूचना नही दी गयी.
दो तरह से कमाते हैं भ्रष्ट पुलिसकर्मी - पहला तरीका
मान लो कोई पीड़ित अपनी शिकायत लेकर थाने गया. पुलिसकर्मी की ड्यूटी है कि पीड़ित से पूछताछ करके और घटनास्थल का दौरा करके अगर कानूनी कार्यवाही बनती है तो FIR दर्ज करे और आरोपियों को गिरफ्तार करके उचित धाराओं के तहत उनके खिलाफ कार्यवाही करे लेकिन कई मामलों में ऐसा होता नहीं है. पीड़ित जब पुलिसथाने जाते हैं और अपनी शिकायत देते हैं तो कई केसों में शामिल अपराधियों या बदमाशों की पुलिसवालों से पहले ही जान पहचान होती है, ऐसे लोगों का मोबाइल नंबर पुलिसवालों के पास पहले से ही होता है, ऐसे मामलों में पुलिसवाले शिकायत देने गए लोगों को थाने/चौकी में बिठा लेते हैं और आरोपियों को फोन करके बता देते हैं कि आपके खिलाफ शिकायत आयी है. आरोपी लोग पुलिसवालों को फोन पर ही बता देते हैं कि आपका हिसाब किताब हो जाएगा आप इनकी शिकायत मत लीजिये और FIR दर्ज मत कीजिये. जब पुलिसवालों को पता चल जाता है कि उधर से हिसाब किताब आ जाएगा तो वे पीड़ितों से कड़ाई से पेश आते हैं, पीड़ितों से ही अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाता है. उन्हें इतना हतोत्साहित कर दिया जाता है कि या तो वे डरकर शिकायत देते ही नहीं हैं. कई लोग उच्च अधिकारियों के पास जाते हैं, कई लोग CM विंडो पर जाते हैं, कई PM को लिखते हैं. अगर ऐसे लोगों को थाने में ही न्याय मिल जाए तो इधर उधर भटकने की जरूरत ही नहीं है लेकिन लोग भटकते रहते हैं.
दूसरा तरीका
कमाने का दूसरा तरीका ये है कि पुलिसकर्मी FIR तो दर्ज कर लेते हैं. कई लोगों के नाम भी लिख लेते हैं, कई धाराएं फालतू जोड़ दी जाती हैं. छोटे अपराधों में जान बूझकर नॉन-बेलेबल धाराएं जोड़ दी जाती हैं और जब पैसे मिल जाते हैं तो बड़े अपराधों में भी नॉन-बेलेबल धाराएं जोड़ी ही नहीं जाती हैं. कई मामलों में FIR दर्ज होने के बाद लोगों के नाम हटाने, धाराएं हटाने के लिए भी मोटी रिश्वत चलती है. लोग कई वर्षों तक कोर्ट कचेहरी और वकीलों के ऑफिस के चक्कर काटने से बचने के लिए एक दो लाख आराम से दे देते हैं. ऐसे मामलों में पीड़ित लोगों को न्याय नहीं मिलता. धाराओं का खेल करने वाले पुलिसकर्मी महीनें में कई लाख रुपये कमा लेते हैं.
कैसे ख़त्म होगा ये भ्रष्टाचार
पुलिस विभाग में फैला ये भ्रष्टाचार बहुत अन्दर तक घुस चुका है. जब तक ऐसे लोगों को बर्खास्त नहीं किया जाएगा. भ्रष्टाचार से कमाए गए पूरे पैसे को इनसे रिकवर नहीं किया जाएगा, ऐसे लोगों को जेल नहीं भेजा जाएगा तब तक ये भ्रष्टाचार होता रहेगा, सिर्फ कुछ दिनों के लिए सस्पेंड करने से कुछ नहीं होगा क्योंकि इन्हें पता है - दो चार केसों में ही ये फिर से लाखों रुपये कमा लेंगे. सरकार को को बड़ी पालिसी या कठोर कानून बनाना पड़ेगा तभी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा. पुलिस विभाग को चाहिए कि इमानदारी से काम करने वाले अफसरों और कर्मचारियों को ईनाम मिले और रिश्वत लेने वालों, जनता को परेशान करने वालों की सैलरी काटी जाए, प्रोमोशन रोजा जाए और जेल भेजा जाए.
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