फरीदाबाद: अवतार भडाना फरीदाबाद के तीन बार के सांसद रहे हैं, वह मेरठ से भी एक बार सांसद रहे हैं और कुल चार बार कांग्रेस पार्टी से सांसद रहे हैं. वह फरीदाबाद से 2019 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी बनाए गए हैं लेकिन उनके रास्ते आसान नहीं हैं. एक तरह से अवतार भड़ाना के लिए करो या मरो की लड़ाई है, अगर उनकी जीत होती है तो लोग उनका लोहा मान लेंगे लेकिन अगर उनकी हार होती है तो लोग उनपर हँसेंगे क्योंकि उन्होंने तीन उम्मीदवारों को रास्ते से हटाकर फरीदाबाद की टिकट हासिल की है - करण दलाल, ललित नागर और महेंद्र प्रताप सिंह.
आपको बता दें कि सिलेक्शन कमेटी में पहले नंबर पर करण दलाल का नाम था, दूसरे नंबर पर ललित नागर और तीसरे नंबर महेंद्र प्रताप सिंह. सिलेक्शन कमेटी में अवतार भडाना के नाम पर विचार ही नहीं किया गया था लेकिन अवतार भड़ाना को कांग्रेस आलाकमान पर भरोसा था कि सिलेक्शन कमेटी किसी का भी नाम तय करे लेकिन आलाकमान मुझे ही टिकट देगा.
अवतार भडाना का दावा सच साबित हुआ और अंत में फरीदाबाद की टिकट उनको ही मिली, ललित नागर को आधिकारिक रूप से फरीदाबाद का लोकसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया गया था और उन्होंने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया था, उसके बाद भी अवतार भड़ाना ने ऐसा करिश्मा दिखाया कि ललित नागर की टिकट काट दी गयी.
क्या है अवतार भड़ाना के सामने मुश्किल
अवतार भडाना को अगर पहले ही कांग्रेस पार्टी का टिकट मिल गया होता और अन्य उम्मीदवारों के नाम पर विचार ना किया जाता तो इससे अवतार भडाना को भी फायदा होता और कांग्रेस पार्टी को भी फायदा होता लेकिन तीन लोगों के नाम उछालकर कांग्रेस पार्टी ने पार्टी में फूट डाल दी, सिलेक्शन कमेटी ने तीनों लोगों को बोल दिया था कि आपकी टिकट कन्फर्म है, आप तैयारी शुरू कर दो, सभी लोगों ने चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी, अपने समर्थकों को भी यह बात बता दी, सभी नेताओं के समर्थक भी अपने अपने नेताओं को टिकट मिलनी की ख़ुशी में उत्साहित हो गए लेकिन सबका उत्साह अब ठंडा पड़ चुका है.
अवतार भड़ाना को टिकट मिलने से करण दलाल भी नाराज हैं, ललित नागर तो बहुत ही नाराज होंगे क्योंकि उनकी टिकट काट दी गयी है, महेंद्र प्रताप सिंह और उनके बेटे विजय प्रताप सिंह भी नाराज हैं.
अब अवतार भड़ाना को पहले इन तीनों नेताओं को मनाना होगा, अगर ये मान गए तो ठीक है लेकिन ना माने तो अवतार भड़ाना को अपने दम पर चुनाव लड़ना होगा लेकिन ऐसी अवस्था में उनकी जीत असंभव है. जीत को संभव बनाने के लिए अवतार भड़ाना को बहुत मेहनत करनी पड़ेगी लेकिन उनके पास समय भी कम है. अब देखना है कि अवतार भड़ाना कौन सा रास्ता पकड़ते हैं.
करो या मरो की लड़ाई क्यों?
जैसा कि आप जानते हैं, अवतार भड़ाना ने तीन लोगों को रास्ते से हटाकर टिकट हासिल की है, अगर वे हार गए तो अगली बार टिकट की दावेदारी नहीं कर पाएंगे क्योंकि उन्होंने ललित नागर की टिकट कटवाई है, अगली बार कांग्रेस पार्टी उन्हें टिकट देने का रिस्क नहीं लेगी. इसके अलावा उनकी हार होने पर ललित नागर, करण दलाल और महेंद्र प्रताप सिंह खुश होंगे और कांग्रेसी आलाकमान से कहेंगे - अगर हमें टिकट दिया होता तो हम सीट जीत लेते. यही नहीं सिलेक्शन कमेटी भी राहुल-प्रियंका से बोलेगी - हमने तो इनको लिस्ट से बाहर कर दिया था उसके बावजूद भी आपने इन्हें टिकट दी, इसमें हमारी क्या गलती है. ऐसी हालत में अवतार भडाना को जीत हासिल ही करनी होगी वरना उनका राजनीतिक कैरियर ख़त्म हो जाएगा.
करो या मरो की लड़ाई क्यों?
जैसा कि आप जानते हैं, अवतार भड़ाना ने तीन लोगों को रास्ते से हटाकर टिकट हासिल की है, अगर वे हार गए तो अगली बार टिकट की दावेदारी नहीं कर पाएंगे क्योंकि उन्होंने ललित नागर की टिकट कटवाई है, अगली बार कांग्रेस पार्टी उन्हें टिकट देने का रिस्क नहीं लेगी. इसके अलावा उनकी हार होने पर ललित नागर, करण दलाल और महेंद्र प्रताप सिंह खुश होंगे और कांग्रेसी आलाकमान से कहेंगे - अगर हमें टिकट दिया होता तो हम सीट जीत लेते. यही नहीं सिलेक्शन कमेटी भी राहुल-प्रियंका से बोलेगी - हमने तो इनको लिस्ट से बाहर कर दिया था उसके बावजूद भी आपने इन्हें टिकट दी, इसमें हमारी क्या गलती है. ऐसी हालत में अवतार भडाना को जीत हासिल ही करनी होगी वरना उनका राजनीतिक कैरियर ख़त्म हो जाएगा.
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