फरीदाबाद: अवतार भडाना बहुत बड़ा धोखा खा गए. उन्होंने प्रियंका वाड्रा पर बहुत अधिक भरोसा कर रखा था, उनकी ही उपस्थिति में उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा, उन्हें लगा कि प्रियंका ने जो कह दिया वही अटल सत्य है, इसी विश्वास में वह टिकट मिलने का इन्तजार कर रहे थे लेकिन अंत में उन्हें धोखा मिला. अवतार भडाना शायद नहीं जानते थे कि गाँधी परिवार में रॉबर्ट वाड्रा भी रहते हैं और वे दामाद हैं, दामाद की ससुराल में ज्यादा ही चलती है.
अब अवतार भडाना ना घर के रहे ना घाट के, अच्छा खासा भाजपा विधायक बनकर बैठे थे, उनकी सुरक्षा में कई कमांडो दिए गए थे, पूरा मान सम्मान था, लेकिन कांग्रेस पार्टी से दोबारा जुड़कर उन्होंने अपने राजनैतिक कैरियर का सत्यानाश कर लिया.
अब अवतार भडाना ना घर के रहे ना घाट के, अच्छा खासा भाजपा विधायक बनकर बैठे थे, उनकी सुरक्षा में कई कमांडो दिए गए थे, पूरा मान सम्मान था, लेकिन कांग्रेस पार्टी से दोबारा जुड़कर उन्होंने अपने राजनैतिक कैरियर का सत्यानाश कर लिया.
अवतार भडाना को टिकट की गारंटी पर ही कांग्रेस पार्टी से जुड़ना चाहिया था और कायदे से कहें तो उन्हें कांग्रेस से जुड़ते ही फरीदाबाद का लोकसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया जाना चाहिए था, अगर उन्हें पहले ही लोकसभा सीट मिल जाती तो वह ताबड़तोड़ प्रचार शुरू कर देते और उन्हें काफी फायदा मिलता लेकिन प्रियंका वाड्रा के दिल में कुछ और था, उन्होंने अवतार भडाना को झूठा दिलाना देकर अंत में धोखा दे दिया.
हमारी सूचना के मुताबिक़ ललित नागर को टिकट प्रियंका वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा की शिफारिश पर मिली है, बेचारे अवतार भडाना प्रियंका की भक्ति में खोये हुए थे, उन्होंने अपने दफ्तर के मेनगेट पर प्रियंका वाड्रा की ही फोटो लगा रखी है, एक तरह से वह प्रियंका वाड्रा के भक्त बन गए थे. अगर उन्होंने प्रियंका वाड्रा से अधिक भक्ति रॉबर्ट वाड्रा की दिखाई होती तो शायद टिकट मिल गयी होती लेकिन इस काम में ललित नागर ने बाजी मार ली, उनके महेश नागर जो रॉबर्ट वाड्रा के सबसे करीबी हैं, उन्होंने अपने भाई ललित नागर को टिकट दिलवा दी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सिलेक्शन कमेटी ने करण दलाल का नाम फाइनल किया था लेकिन रॉबर्ट वाड्रा ने अपने बिजनेस पार्टनर महेश नागर के भाई ललित नागर को टिकट दिलवा दी.
अवतार भडाना ने 18 अप्रैल को अपने नामांकन की तारीख तय कर रखी है, कांग्रेस की टिकट ना मिलने से वह निर्दलीय के रूप में या किसी और पार्टी से चुनाव लड़ सकते हैं, अगर वो ऐसा करते हैं तो ललित नागर की टिकट काटेंगे. अब देखते हैं कि कांग्रेस इस नुकसान की भरपाई करके करती है.
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