फरीदाबाद: फरीदाबाद में मेयर पद की वैल्यू ख़त्म हो गयी है. मेयर शहर का सबसे बड़ा पद होता है, विधायकों से भी ऊंचा पद मेयर का माना जाता है क्योंकि विधायक सिर्फ एक विधानसभा का प्रतिनिधि होता है जबकि मेयर पूरे शहर का प्रतिनिधि होता है और अगर स्मार्ट सिटी की बात करें तो मेयर प्रधानमंत्री मोदी की टीम का सबसे अहम सदस्य है क्योंकि मेयर पर ही स्मार्ट सिटी की सबसे अधिक जिम्मेदारी है लेकिन फरीदाबाद में सुमन बाला को मेयर तो बना दिया गया लेकिन उन्हें वो मान सम्मान एवं इज्जत नहीं मिल रही है जो एक मेयर को मिलनी चाहिए.
अगर शहर के विकास में मेयर का रोल देखें तो उनका नंबर सांसद और विधायक से ऊपर आता है, जिस तरह से राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक कहलाते हैं उसी प्रकास से मेयर शहर का प्रथम नागरिक कहलाता है लेकिन फरीदाबाद शहर की मेयर को यहाँ के नेताओं और रसूखदार पार्षदों ने अपने हाथों की कठपुतली बना रखा है.
आज आरएसएस के सामाजिक समरसता पर आयोजित कार्यक्रम में शहर के सभी प्रतिष्ठित लोगों को आमंत्रित किया गया था, मेयर सुमन बाला भी वहां पर पहुंची लेकिन उन्हें पीछे वाली सीट पर बैठा दिया गया जबकि पृथला विधायक टेकचंद शर्मा और पार्षद धनेश अधलखा उनसे भी आगे वाली VVIP सीट पर बैठे नजर आये. वहीं शहर की प्रथम नागरिक एवं मेयर सुमन बाला साधारण कुर्सी पर पीछे बैठीं नजर आयीं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुमन बाला वार्ड 12 की पार्षद हैं, पहली बार पार्षद बनने पर ही चालाक विधायकों एवं बड़े भाजपा नेताओं ने उन्हें मेयर बना दिया ताकि उन्हें कठपुतली के रूप में इस्तेमाल कर सकें, यही वजह है कि वह नाम की तो मेयर हैं लेकिन उन्हें वो मान सम्मान नहीं मिलता जो एक मेयर को मिलना चाहिए, नेताओं को ध्यान रखना चाहिए, सुमन बाला को भले ही अधिक राजनीतिक अनुभव नहीं है लेकिन अगर उन्हें मेयर बनाया गया है तो उन्हें पूरा मान सम्मान दिया जाना चाहिए वरना ना सिर्फ मेयर पद का अपमान होगा बल्कि उस पद पर बैठे व्यक्ति का भी अपमान माना जाएगा.
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