फरीदाबाद, 12 अक्टूबर: वर्ष 2014-15 में सरकार बनाने के बाद भाजपा सरकारों ने बड़े बड़े दावे किये थे, सभी सरकारी दफ्तरों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस, CCTV कैमरे लगाकर भ्रष्टाचार और घूसखोरी ख़त्म करने के दावे किये थे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.
फरीदाबाद की तहसीलों के अधिकतर तहसीलदार अपने ऑफिस के बजाय गुप्त स्थानों पर बैठकर रजिस्ट्री पर साइन करते हैं, बिना वेरीफाई किये रजिस्ट्री पास करते हैं, हरियाणा की सरकार ऑंखें बंद करके तमाशा देख रही है या इन्हें कुछ पता ही नहीं है कि इनकी सरकार में कितने बड़े बड़े काण्ड किये जा रहे हैं.
हमें बताया गया है कि तहसीलदार अपने दफ्तरों में इसलिए नहीं बैठते क्योंकि हर रजिस्ट्री का घूस लिया जाता है, अगर तहसीलदार अपने दफ्तर में बैठकर घूस लेगा तो बिजिलेंस टीम किसी ना किसी दिन पकड़ लेगी इसलिए तहसीलदार अक्सर गुप्त स्थानों पर बैठकर काम करते हैं ताकि उन्हें कोई पकड़ ना सके.
तहसील में बाबू लोग रजिस्ट्री इकट्ठी कर लेते हैं, डील हो जाती है तो तहसीलदार के पास गुप्त स्थान पर घूस देकर काम करवाया जाता है, किसी को इनके काण्ड की खबर नहीं रहती.
हमारा सवाल ये है कि अगर तहसीलदार इमानदार हैं तो अपने दफ्तर में बैठकर काम क्यों नहीं करते, इसके अलावा सरकार को भी सभी सरकारी अफसरों को अपने दफ्तर में बैठकर काम करने का आदेश देना चाहिए और विजिलेंस टीम को इनके पीछे लगा देना चाहिए, इसके अलावा हर नागरिक के पास विजिलेंस का फोन नंबर होना चाहिए ताकि घूसखोरों की शिकायत करके उन्हें पकड़वाया जा सके, हमें कई दिनों से तहसीलों का दौरा करके देखा तो पता चला कि तहसीलदार अपने दफ्तर में नहीं बल्कि गुप्त स्थान पर बैठकर काम करते हैं. इस बात के हमारे पास सबूत हैं, वीडियो है और बाबुओं का कबूलनामा भी है.
हमने फरीदाबाद तहसील का दौरा किया तो वहां भी तहसीलदार नहीं मिले जबकि काम हो रहा था, बडखल तहसील में गए तो वहां भी नायब तहसीलदार नहीं मिले जबकि काम हो रहा था, वह किसी गुप्त स्थान पर बैठकर साइन कर रहे थे, इस मामले में मुख्यमंत्री को शिकायत की जाएगी, उसके बाद देखते हैं क्या एक्शन होता है.
ये दोनों वीडियो देख लें, खुद समझ जाएंगे पूरा खेल
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