फरीदाबाद, 4 अक्टूबर: टाइम्स ऑफ़ इंडिया अखबार में एक खबर छपी है जिसमें लिखा है कि हाई कोर्ट जिला अदालत के जजों के धन और संपत्तियों की जांच कर सकता है ताकि लोगों का न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास बना रहे और न्यायिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार ख़त्म हो.
हाई कोर्ट के इस आदेश को सुनकर फरीदाबाद जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान और वरिष्ठ वकील एल एन पाराशर खुश हो गए. उन्होंने कहा कि यही तो मैं भी चाहता हूँ, अगर डिस्ट्रिक्ट और सेशन जजों की हर साल संपत्ति और कमाई की जांच हो तो भ्रष्टाचार करने से लोग डरेंगे और जनता का न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा फिर से कायम होगा.
बता दें कि हाई कोर्ट के सर्कुलर के अनुसार जजों की संपत्तियों की जांच करने के लिए सबऑरडिनेट अकाउंट सर्विस (SAS) या इंस्टिट्यूट ऑफ़ कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंट (ICWA) के अधिकारी/कर्मचारी लगाए जाएंगे. इसमें न्यायिक अधिकारियों की चल एवं अचल संपत्ति के साथ साथ बैंकों में मोटे ट्रांजैक्शन की जांच की जाएगी.
इससे पहले सेंट्रल सिविल सर्विस के नियमानुसार जजों को दोस्तों द्वारा मिले गिफ्ट, शाही स्वागत, गाड़ियों एवं प्रॉपर्टी की खरीद की जानकारी सरकार को देनी पड़ती थी लेकिन अब हाईकोर्ट ने एक कदम आगे बढ़ते हुए जजों की संपत्ति की जांच कराने का फैसला किया है ताकि भ्रष्टाचार का मौका ना मिले और जनता का न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा कायम रहे.
बता दें कि वकील एल एन पाराशर फरीदाबाद कोर्ट में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं हालाँकि यह नियम दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली की अदालतों के लिए लागू किया है, जब तक पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ऐसा आर्डर नहीं जारी करती तब तक वकील पाराशर का मिशन कामयाब नहीं होगा.
Post A Comment:
0 comments: